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मूल हल्दीघाटी की नहीं परवाह - निजी व्यापार को बढ़ावा

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27 Apr 17
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मूल हल्दीघाटी की नहीं परवाह - निजी व्यापार को बढ़ावा खमनोर। स्थानीय क्षेत्र विकास योजनान्तर्गत नाथद्वारा विधायक की अनुशंषा पर ग्राम पंचायत उनवास के ग्राम बलीचा में प्रताप के नाम चल रही निजी दुकान के सामने राष्ट्रीय स्मारक के विकास हेतु आरक्षित भूमि पर स्थित पहाड़ी चेतक अश्व मूर्ति पेडीस्टल निर्माण कार्य के लिए जिला परिषद द्वारा 3.22 लाख की प्रशासनिक स्वीकृति जारी की गई है।


स्थानीय लोगों का कहना है कि जिला परिषद द्वारा यह आम जनता का पैसा मूल हल्दीघाटी दर्रे,रक्त तलाई , राष्ट्रीय स्मारक के संचालन व संग्रहालय निर्माण में खर्च होता तो कोई अफ़सोस नहीं होता ...यहाँ तो सरकारी विकास योजनाओं में पलीता लगा कर प्रताप के नाम अपनी दुकान चलाने वाले अतिकर्मी व्यापारी के निजी प्रचार में खर्च किया जा रहा है।

सच्चाई तो यह है राष्ट्रीय स्मारक से लेकर रक्त तलाई तक व मूल दर्रे के संरक्षण हेतु जन सेवकों को कोई परवाह नहीं है। नियमों की धज्जियां उड़ा कर हल्दीघाटी बलीचा के प्राकृतिक नाले को भराव डाल अतिक्रमण कर पूर्व में 5 बीघा आवंटन करा पाने में सफलता मिलने के बाद कथित दुकानदार अब अपने लिए पार्किंग के लिए भी यहाँ का स्वरुप बदलने की तैयारी कर रहा है।

प्रशासनिक स्तर पर भी भूमिका संदिग्ध है। सूत्रों के अनुसार मार्च में नाले पर पुनः भराव करने की खबर समाचारपत्र में प्रकाशित होने से 2016 में यह एक बार रोक दिया गया। भ्रष्टाचार को शिष्टाचार के रूप में प्रदर्शित कर गत 19 जनवरी को महाराणा प्रताप पुण्य की तिथि पर निजी दुकानदार द्वारा प्रशासन को गुमराह कर नाले को पाट दिया गया व चेतक अश्व मेले का एक दिवसीय प्रयोजित आयोजन किया गया।

जिला कलक्टर व विधायक की मौजूदगी में मूर्तियों के व्यापारी द्वारा आयोजन की आड़ में अघोषित कब्ज़ा स्थल स्थित छोटी पहाड़ी पर मूर्ति लगाने की घोषणा उस बेशकीमती भूमि को हथियाने का षडयंत्र प्रतीत होता है।वैसे भी प्रशासनिक व राजनैतिक उपेक्षा के चलते बलीचा में चल रही दुकान को ही हल्दीघाटी के मुख्य स्थल के रूप में प्रचारित किया जा रहा है जिससे पर्यटक हल्दीघाटी आकर भी मूल स्थलों को देखने से वंचित है। पर्यटक,नेता,अफसर,मंत्री उसके कारनामो को अपनी होने वाली सेवा व आवभगत के चलते नजर अंदाज करते आये है।

प्रताप प्रेमियों का कहना है कि पूर्व उप राष्ट्रपति स्वर्गीय भेरूसिंह जी के बाद हल्दीघाटी के दर्द को समझने का प्रयास किसी ने नहीं किया है। नेताओं व पूंजीपतियों के स्वार्थपूर्ण व्यवहार से राष्ट्रीय महत्त्व की हल्दीघाटी जैसी धरोहरें पर्यटकों से वीरान हो उपेक्षित है । विधायक को गुमराह कर उनके मद से राष्ट्रीय स्मारक के नीचे ही एक और मूर्ति लगवाने के पीछे की मंशा आम आदमी की समझ के बाहर है।
प्रताप जयंती व युद्धतिथि आगामी माहों में आने वाली है। एक बार पुनः सभी नेता अभिनेता महाराणा प्रताप की भक्ति को दर्शाते हुए बड़ी बड़ी बाते करेंगे,लेकिन जिस मातृभूमि के स्वाभिमान की रक्षार्थ महाराणा प्रताप लड़े थे आज उन्ही की रण धरा हल्दीघाटी में प्रताप व चेतक के नाम रोटियां सेकी जा रही है।अफसोसजनक किंतु सत्य है कि 365 दिन हल्दीघाटी आने वाले पर्यटकों से 80 रुपया प्रति व्यक्ति बटोरने वाले पूर्व घोषित अतिकर्मी व्यापारी ने भ्रष्टाचार से इस ऐतिहासिक स्थल का स्वरूप बिगाडने में कोई कसर बाकि नहीं रखी है।चेतक गेस्ट हाउस बंद पड़ा है व स्मारक का संचालन सुनियोजित तरीके से महाराणा प्रताप स्मृति संस्थान के जरिये कथित दुकानदार द्वारा किया जा रहा है। व्यावसायिक स्वार्थ के चलते हल्दीघाटी आज भी अपने विकास को तरस रही है।


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