फूल से जीवन में हो चरित्र की महकः आचार्यश्री सुनीलसागरजी
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11 Dec 17
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उदयपुर । अषोक नगर स्थित श्री षांतिनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर में बिराजित आचार्यश्री सुनीलसागरजी माहराज ने रविवार को आयोजित धर्मसभा में कहा कि जिस फूल में जैसी खषबू होती है वह वैसे ही महकता है उसी तरह से इंसान में जैसा चित्त में होता है वैसा ही उसके चरित्र में दिखता है। जीवन को फूल की तरह बनाओ जिसके चरित्र की महक आपको महान बना दे। अगर इंसान के मन में श्रेश्ठ भाव होंगे तो वैसा ही उसके चरित्र में दिखेगा। अपने जीवन को फूलों की तरह बनाओ अगर वह पौधे पर लग रहा होता है तब भी महकता है और अगर वह टूट कर गिर जाता है तब भी अपनी महक बिखेरता है।
आचार्यश्री ने कहा कि जिसे जीने का तरीका आ गया उसके लिए हर सुबह होली है और हर षाम दीवाली होती है। जिसे जीवन जीने का तरीका नहीं आता है या जिसने जीना सीखा ही नहीं उसके लिए आए हुए त्यौहार ही सब बेकार है। सकारात्मक सोच रखने वालों का जीवन षांत, सहज और निर्मल होता है। अगर आपकी सोच सकारात्मक होगी तो आप दुख में से भी कहीं न कहीं सुख को ढूंढ लोगे और अगर आपकी सोच ही नकारात्मक होगी तो आप सुख में भी दुख को ही ढूंढोगे। जैसे आपका अच्छा-खासा हंसता- खेलता परिवार है। आप उसमें भी दुख को ढूंढोगे।
आचार्यश्री ने कहा कि हर समय किसी की कमियां ही मत देखो, बार- बार अगर आप ऐसा करोगे तो उसकी नजर मेें आपकी कीमत भी दो कौड़ी की रह जाएगी। वह भी सोचेगे कि कैसा आदमी है, जो इतना अच्छ काम किया है थोड़ा सा यह रह गया तो भी इतना सुना दिया। हर परस्थितियों में आप निभा कर चलोगे तो सब अनुकूल हो जाएगा। अगर आप षांत और निर्मल हो जाओगे तो सामने वाला आपके प्रतिकूल होने के बावजूद भी अनुकूल हो जाएगा। अगर आप षांति चाहते हो तो सबसे पहले स्वयं षांत रहना सीखो। प्रतिकूल परिस्थियों में भी विचलित होने के बजाए उसे सहज भाव से स्वीकारो, समझो और अपने अनुकूल बनाने का प्रयास करो। जीवन को समझो और उसे अच्छी तरह से जीने का प्रयास करो तो सब मंगल ही मंगल होगा।
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