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और कुदरती सुन्दरता को देखने आते है सर्वाधिक सैलानी

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05 Dec 17
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और कुदरती सुन्दरता को देखने आते है सर्वाधिक सैलानी डॉ. प्रभात कुमार सिंघल - लेखक एवं पत्रकार, कोटा देवभूमि (देवताओं की भूमि) के नाम से विख्यात उतराखण्ड धर्म एवं प्राकृतिक सौन्दर्य का संगम लिए देश का महत्वपूर्ण पर्यटन क्षेत्र है। हरी-भरी प्राकृतिक सुषमा से अच्छादित एवं हिमखण्डों से ध्वल आभा बिखेरती पर्वतों की ऊँची-ऊँची चोटियां, हिम खण्डों के पिघलने से इटलाती-बलखाती-कलचल करती गंगा एवं यमुना जैसी आराध्य नदियां और झिलमिलाते ऊँचाई से गितरते जलप्रपात, हिल स्टेशन, वन्यजीवों की अठखेलियां तथा मनोरंजन के लिए वाटर स्पोर्ट्स यहां कि अपनी ही विशेषताऐं है। बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री एवं यमुनोत्री की चारधाम यात्रा, पर्यावरण एवं पेडों को बचाने के लिए सत्तर के दशक का चिपकों आन्दोलन, हरिद्वार का कुम्भ, ऋषिकेश की प्राकृतिक खूबसूरती के मध्य देश का प्रमुख योग केन्द्र भी उतराखण्ड की रेखांकित करने वाली विशिष्ठताएं हैं।
भारत के २७ वें राज्य के रूप में इसकी स्थापना ९ नवम्बर २००० को की गई। वर्ष २००६ में स्थानीय लोगों की भावना के अनुरूप इसका नाम बदलकर उत्तराखण्ड किया गया। राज्य की सीमाऐं उत्तर में तिब्बत, पूर्व में नेपाल, पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और पूर्व में उत्तर प्रदेश से लगी हैं। पूर्व में यह उत्तर प्रदेश का ही हिस्सा था। हिन्दू धर्म की पवित्र और भारत की सबसे बडी नदी गंगा और यमुना का यह उद्गम गंगोत्री और यमुनोत्री से हुआ। नदियों के तटों पर कई वैदिक संस्कृति कालीन महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल हैं। गंगा, अलकनन्दा, भागीरथी, रामगंगा, कोसी, गौमती आदि प्रमुख नदियां हैं। उत्तरांचल की कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था में पर्यटन का महत्वपूर्ण योगदान है यहां बासमती चावल, गेहूँ, सोयाबीन, मूंगफली, दाल एवं तिलहन प्रमुख विकसित फसलें हैं। यहीं पर खाद्य प्रसंस्करण के लिए सेव, लीची, आडू, नारंगी एवं प्लम जैसे फलों का उत्पादन बडे पैमाने पर किया जाता है।
उत्तराखण्ड का सबसे बडा नगर देहरादून राज्य की राजधानी है। राज्य का उच्च न्यायालय नैनिताल में स्थित है। राज्य का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल ५३,४८३ वर्ग किमी हैं, जिसमें से अधिकांश भाग करीब (८० प्रतिशत) ४३,०३५ वर्ग किमी पर्वतीय क्षेत्र है तथा (६५ प्रतिशत) ३४ हजार वर्ग किमी भू-भाग वनाच्छादित एवं ७.४४ वर्ग किमी क्षेत्र मैदानी है। राज्य में उत्तरी भाग वृहत हिमालय ऊँची चोटियों की श्रृंखला से आच्छादित है और हिमखण्डों (ग्लेशियरों) से ढका है। पहाडों की तहलटी में सघन वनों का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है। गंगोत्री, दूनगिरी, बन्दरपूंछ, केदार, चौखम्भा, कामेट, सतोपंथ, नीलकंठ, नन्दादेवी, गौरी पर्वत, हाथी पर्वत, मृगथनी, गुनी, माना एवं यूंगटागट महत्वपूर्ण हिमशिखरों में आते हैं। हिमालय के विशिष्ठ पारिस्थितिकीय तंत्र के अन्तर्गत पशु-पक्षी, पौधे एवं जडी-बूटियां वनों की विशेषताएं हैं। नैनीताल, भीमताल, नौकुचियाताल प्रमुख झीले हैं।
कला-संस्कृति एवं पर्यटन की दृष्टि से उत्तराखण्ड अतियन्त समृद्ध शाली राज्य हैं। हरिद्वार एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है जहां हर बारह वर्ष में कुम्भ मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें बडी संख्या में देशी एवं विदेशी सैलानी भाग लेते हैं। नैनिताल, अलमोडा, कोसानी, भीमताल, रानीखेत, मंसूरी एवं ऋषिकेश राज्य के प्रमुख पर्वतीय पर्यटक स्थल हैं। हिन्दू धर्म में चार धामों की यात्रा को प्राचीन समय से ही पुण्यकारी एवं मोक्षदायीनी माना गया है। दीपावली, होली एवं दशहरा पर्वो के साथ-साथ स्थानीय पर्व चम्पावत में देवधुरी मेला, बागेश्वर में उत्तरायणी मेला, अरमोडा में नन्दादेवी मेला, कुमाऊँ में हरेला, चमोली में गोचर मेला, उत्तर काशी में माघ मेला आदि मुख्य रूप से मानाये जाते है। त्यौहारों एवं विशेष सामाजिक अवसरों पर आंगन को माण्डनों आदि से सजाने की परम्परा हैं। भगवान के प्रति डिकारे बनाये जाते हैं तथा दरवाजों के चौखट देवी-देवताओं, हाथी, शेर, मोर आदि के चित्रों से सजाये जाते हैं, जो पहाडी चित्रकला का एक रूप है। यहां की लोक धुने अन्य राज्यों से भिन्न है तथा नगाडा, ढोल, भेरी, बीन, कुरूली एवं अलगोजा प्रमुख वादय यंत्र हैं। लोकगीतों में बेडू पाको लोकप्रिय है जिसे अन्तर्राष्ट्रीय ख्याती प्राप्त है। साथ ही फाग, छपेली, बैर, न्यूयोली आदि प्रमुख हैं। समाज में लोक कथाओं एवं लोक विश्वासों का प्रचलन भी देखने को मिलता है। यहां छोलिया नृत्य विशेष रूप से लोकप्रिय है। यह नृत्य ऐतिहासिक युद्ध जैसा प्रतीत होता है। कुमाऊँ एवं गढवाल में महिलाऐं एवं पुरूष बडे गोल घेरे में झोडा नृत्य करती हैं।
राज्य की जनगणना के अनुसार एक करोड से अधिक जनसंख्या निवास करती है। राज्य में दो संभाग एवं १३ जिले हैं और साक्षरता दर ७८.८२ प्रतिशत हैं। उत्तराखण्ड के चमोली जिले में स्थित फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान एवं नन्दा देवी राष्ट्रीय उद्यान दोनों मिलकर यूनेस्को की विश्वधरोहर सूची में मान बढाते हैं। राज्य में भारत का पुराना राष्ट्रीय उद्यान जिम कार्बेट (बंगाल टाइगर), नैनिताल में रामनगर एवं उत्तरकाशी में गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान महत्वपूर्ण है। विद्युत उत्पादन की दृष्टि से टिहरी पन बिजलीघर महत्वपूर्ण विद्युत उत्पादन परियोजना है। यमुना, भागीरथी, अलखनन्दा, मन्दाकिनी, कोसी तथा काली आदि नदियों पर पन बिजलीघर बनाये गये हैं। राज्य में उद्योग लगाने के लिए भी उद्यमी आगे आने लगे है। राज्य में हिन्दी, उर्दू, पंजाबी, बंगाली, नेपाली एवं स्थानीय गढवाली व पहारी बोली बोली जाती है।


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