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बुला रही है प्रकृति की खूबसूरत वादियां

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24 Jan 18
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बुला रही है प्रकृति की खूबसूरत वादियां (डॅा. प्रभात कुमार सिंधल)आपको ले चलते हैं पूर्वांचल के प्रवेश द्वार खूबसूरत राज्य असम की यात्रा पर। विशाल ब्रह्मपुत्र नदी, हरे-भरे शानदार पहाड, विविध प्रकार की वनस्पति,वन्यजीव आपको अपने प्राकृतिक सम्मोहन बांध लेंगे। इस संघीय राज्य का गठन २६जनवरी १९५० को किया गया और दिसपुर को राजधानी बनाया गया।
यह राज्य उत्तर में अरूणाचल प्रदेश, पूर्व में नागालैण्ड तथा मणिपुर, दक्षिण में मिजोरम व मेघालय तथा पश्चिम में बंग्लादेश से जुडा है। राज्य का कुल क्षेत्रफल ७८४६६ वर्ग कि.मी. तथा जनसंख्या ३१२०५५७६ है। यहां की साक्षरता दर ७३.१८ प्रतिशत है। गुवाहाटी राज्य का सबसे बडा शहर है। ब्रह्मपुत्र, सुवंसिरी, मानस एवं सूरमा यहां की प्रमुख नदियां हैं।
ब्रह्मपुत्र की ३५ सहायक नदियां भी यहां बहती हैं। गारो,ं खासी एवं जयन्तियां यहां की प्रमुख पहाडया हैं।
पहाडी घाटियो ं में झील और झरने प्रचुर मात्रा में दख्ेाने का मिलत हैं। कांजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, मानसर राष्ट्रीय उद्यान एवं राजीव गांधी ओरंग राष्ट्रीयउद्यान में वन्यजीवो ं की अठखेलियां दख्ेा े ही बनती है। यहां का प्रमुख पशु एक सिंहवाला गेडं ा है। राज्य का राज्यगीत ”ओ मोर अपनोर दश्ेा“ है, जिसे शिक्षण संस्थाओ ं मेंराष्ट्रीय गीत के साथ गाया जाता है। राज्य में असमियां एवं बोडो प्रमुख क्षेत्रीय भाषा


हैं। यहां हिन्दी, अंग्रेजी, बंगाली एवं कारबी भाषाओ ं सहित करीब ४५ प्रकार की भाषाएंबोली जाती हैं। यहां हिन्दू, मुसलमान, ईसाई, जैन तथा कई प्रकार की जनजातियांनिवास करती है। खासी, दिवासा, बोडो, रामा, लालूंग, ढफला, मिरी, मिश्मी तथा अबोर आदि प्रमुख जनजातियां यहां पाई जाती हैं।
अर्थिक दृष्टि से राज्य कृषि प्रधान है तथा कृषि आधारित उद्योग लगाये गयेहैं। करीब ६९ प्रतिशत लोगो ं को कृषि पर रोजगार प्राप्त है। धान, गेहूँ, दालें, सरसो ंतथा तिलहन यहां की प्रमुख फसलें हैं। आलु शकरकंद, हल्दी, हर्ब, जूट, गन्ना, पपीता,सुपारी एवं पत्तेदार सब्जियां भी प्रमुख रूप से उगाई जाती हैं। असम का आर्थिक तंत्र चाय बागान के इर्द-गिर्द घूमता है। दश्े ा के छोटे-बड े करीब ७००० में से ७०० चाय बागान असम में स्थित हैं। यहां की चाय की पूरी दुनियां में पहचान है। चाय के साथजूट एवं गन्ना यहां की प्रमुख नकदी फसले ं हैं। खनिज तेल का भी अर्थव्यवस्था मे ंयोगदान चाय से कम नहीं है। गुवाहाटी तथा डिब्रूगढ खनिज तेल के प्रमुख क्षेत्र हैं।
गुवाहाटी मे ं कपडा मिल, दिग्बोई मे ं तेल शोधक कारखाना, चीरा में सीमन्े ट काकारखाना ह ै तथा नामरूप मे ं उर्वरक केन्द्र हैं। काये ला, खनिज तले के साथ-साथफायर क्ले खनिज भी यहां पाया जाता है। राजस्व उत्पादन में डिब्रूगढ, महाराष्ट्र केमुम्बई के बाद देश का सबसे बडा जिला है। चाय उत्पादन में विश्व बाजार में राज्यका सबसे बडा योगदान है।
अर्थव्यवस्था मे ं यहां का वस्त्र उद्योग तथा हस्तशिल्प का भी काफी योगदानहै। यहां मंगू ा रश्ेाम, प्राकृतिक सुनहरा रश्े ाम तथा मलाईदार उज्जवल चांदी के रगं कारश्े ाम प्रमुख रूप से साडी एवं अन्य वस्त्र बनान े के काम में लिया जाता ह।ै साडयो ं केविभिन्न डिजाईन अत्यन्त आकर्षक होते हैं। मूंगा साडी की मांग पूरे देश में है। ब्रह्मपुत्रघाटी क्षेत्र में सभी जगह ग्रामीण परिवार कढाई, डिजाईन के साथ रश्े ाम के वस्त्रो ं काउत्पादन करते हैं।
सांस्कृतिक एवं साहित्यिक दृष्टि से भी यह राज्य सम्पन्न है। असमिया भाषाका साहित्य काफी समृद्ध है। चित्रकारी की यहां प्राचीन परम्परा है। चित्रा भागवत एवं गीता गोविन्द जैसी पाण्डुलिपियो ं पर अनके पारम्परिक चित्र दख्े ान े को मिलत े हैं। मू र्त एवं स्थापत्य कला, राज्य की पुरातत्व महत्व की धरोहर, मन्दिरो,ं महलो ं तथा अन्य इमारतो ं में दख्े ान े को मिलती ह।ै काष्ठ शिल्प, गहन,े संगीत के वाद्य, लोहे की नाव,पारम्परिक बन्दूकें, हाथी दांत शिल्प, रंग और पेन्ट, लाख की वस्तुएं, खिलौना एवं मुखौटे आदि प्रमुख हस्तशिल्प हैं। नृत्य एवं संगीत असम की अपनी ही विशेषता है।
यहां का असमिया नृत्य एवं बिहु नृत्य सर्वाधिक प्रमुख नृत्यो ं में आते हैं। नये वर्ष के आगमन की खुशी में बसन्त ऋतु में मुख्य बिहु नृत्य जिसे रंगोली बिहु भी कहा जाता है, किया जाता ह।ै जनवरी के मध्म मे ं आमतौर पर मकर संक्रांति पर भोगाली बिहुनृत्य किया जाता है। तीसरा कटि या कंकाली बिहु नृत्य अक्टूबर के मध्य मंम कियाजाता है। बांगला, नोगं क्रीम डांस एवं शद् सूक, मन्सेम जनजातियो ं के उल्लेखनीय नृत्य
एवं उत्सव हैं। यहां शिवरात्री, दीपावली, क्रिसमिस, ईद, दुर्गा पूजा आदि परम्परागत पर्वभी बनाये जाते हैं। शिवरात्री मेला, अशोक अष्टमी मेला, पौष मेला, पशुराम मेला,अम्बूकाशी मेला एवं डोलयात्रा प्रमुख मेले एवं उत्सव हैं।
आवागमन की दृष्टि से धुबरी, गुवाहाटी, लामड तथा सिल्चर रेल मार्ग द्वाराजुड े हुए हैं। गुवाहाटी मे ं गोपीनाथ बोरदोलोई अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा ह।ै यहां से हरसप्ताह १४ अन्तर्राष्ट्रीय तथा ३१५ घरले ू उडानें रवाना होती है। देश के १२ प्रमुख शहरो ंके लिए नोनस्टोप उडाने उपलब्ध हैं।

पर्यटक स्थल
कामाख्या मंदिर
दश्ेा के ५१ शक्तिपीठो ं में कामाख्या मं दर का प्रमुख शक्तिपीठ असम कीराजधानी दिसपुर के समीप नीलांचल पहाडी पर स्थित है। यह सबसे पुराना शक्तिपीठ है जो कामाख्या देवी को समर्पित है। जब भगवान शंकर ने सति की मृत देह को उठाकर संहारक नृत्य किया था उस समय सती के शरीर के ५१ हिस्से अलग-अलग जगहो ं पर गिर े और वहां शक्तिपीठ बन गये। यहां पर सति का योनी भाग गिरा था
और यहां कामाख्या शक्तिपीठ बना।
मंदिर के गर्भगृह में योनी के आकार का एक कुण्ड है जिसमें जल निकलता है। इसे योनी कुण्ड कहा जाता है। योनी कुण्ड लाल कपड े व फूलो ं से ढक ा रहता ह।ै मंदिर में प्रति वर्ष अम्बुबाची मेले का अयोजन किया जाता है। इस मेले में देशभर केतांत्रिक और अघोरी भाग लेते हैं। मान्यता है कि मेले के दौरान कामाख्या देवी
रजस्वला होती है और इन तीन दिन में योनी कुण्ड से जल की जगह रक्त प्रवाहहोता है। अम्बुबाची मले े को कामरूपो ं का कुम्भ भी कहा जाता ह।ै
कामाख्या देवी की पूजा दैनिक रूप से करने के साथ-साथ कुछ विशेषअवसरो ं पर भी आयोजित की जाती है। सितम्बर-अक्टबू र माह में दुर्गा पूजा, पौष माहमें पोहन बिया पूजा ;इस दौरान भगवान कमेश्वरा और कामेश्वरी की प्रतिकात्मक विवाहकी पूजाद्ध, फाल्गुन माह में दुर्गाडियूल पूजा, चैत्र माह में बसन्ती पूजा एवं इसी माह
मडानडियूल पूजा का आयोजन विशेष रूप से किया जाता है।

राजकीय संग्रहालय

रलेवे स्टेशन के समीप राजकीय संग्रहालय सैलानियो ं के आकर्षण का एकप्रमुख केन्द्र है। यहां इतिहासिक महत्व की अनके वस्तुओ ं के साथ-साथ असम राज्यकी संस्कृति वेश-भूषा आभूषण, हथियार आदि का प्रदर्शन किया गया है। यहसंग्रहालय प्रति सोमवार एवं अन्य राजकीय अवकाशो ं में बंद रहता ह।ै संग्रहालय के
समीप ही एक पार्क एवं रविन्द्र भवन दर्शनीय है।

चिडयाघर
रलेवे स्टेशन से ५ कि.मी. दूरी पर स्थित चिडयाघर में नाना किस्मो ं केपशु-पक्षियो ं का बसेरा रहता ह।ै रगं -बिरगं े पक्षियो ं की यहां एक अलग ही दु नयानजर आती है। भारतीय एवं अफ्रीकी गैंडे, सफेद शेर, चीत े सहित सापो ं की अनेकप्रजातियां यहां देखने को मिलती हैं।

नेहरू पार्क
चिडया घर के समीप स्थित नेहरू पार्क एक खूबसूरत पार्क है। शाम कोयहां विशेष चहल-पहल दख्े ान े को मिलती है। बच्चो ं के मनोरंजन के लिए यहां अनकेसाधन उपलब्ध हैं। विभिन्न किस्मो ं के फूल, सजावटी वृक्ष एवं मध्य में संगीतमयफव्वारा बना है।

वशिष्ठ आश्रम
गुवाहाटी रेलवे स्टेशन से १५ कि.मी. दूर गुरू वशिष्ठ जी का वशिष्ठ आश्रमदर्शनीय स्थल है। यहां कभी महर्षि वशिष्ठ रहा करते थे। वे महान विचारक थे औरउन्होनं े रामायण जैसे धर्म ग्र्रंथ की रचना की।

उमानन्द शिव मंदिर
ब्रह्मपुत्र नदी के बीच बने टापू पर स्थित उमानन्द मंदिर भगवान शिव कोसमर्पित है। इसक मं दर का े दखन े के लिए नाव में जाना पडता है। नावे ं प्रातः ७ बजेसे सायं ५.३० बजे तक उपलब्ध रहती है। बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण १५९४ ई. में करवाया गया था। असम में गुवाहाटी के विश्वविद्यालय की प्राकृतिक सौन्दर्यता, गांधी मण्डप, गीता मंदि तथा तेल शोधक कारखाना भी दर्शनीय हैं।

काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान
हिमालय की तलहटी में स्थित यह अभ्यारण्य भूटान के रॉयल मानस नेशनल पार्क के समीप स्थित ह।ै करीब ४३० वर्ग कि.मी. मे ं फैल े इस पार्क की स्थापना १९०५ ई. मे ं की गई थी। यह बाघो ं एवं हाथियो ं के लिए आरक्षित क्षेत्र है। इस प्राकृतिक स्थल को यूनेस्को द्वारा विश्वविरासत सूची में शामिल किया है। यहां दुर्लभ एवं लुप्त प्रायःस्थानीय वन्यजीव छतवाले कछुए, हेपीड खरगोश, गोल्डन लंगूर एवं पैगी हॉग आदिपाये जाते हैं। यह उद्यान एक सिंग वाले गैंडे ;राइनोसेरोस, यूनीकोर्निसद्ध के लिएविशेष रूप से पहचान बनाता ह।ै यहां बाज, तोतो ं की कई किस्मे ं दख्े ान े को मिलती हैं। अभ्यारण्य में चीते, बिल्ली, जंगली बिल्ली, सेही, भेडया, हाजबैजर, चिडयां, बतख, कलहंस, हार्नबिल एवं अन्य जलीय जन्तु भी देखने को मिलते हैं। मानस राष्ट्रीय उद्यान
भी बाघो ं के लिए प्रसिद्ध और विश्व धरोहर सूची में शमिल ह।ै

माजुली द्वीप
ब्रह्मपुत्र नदी के मध्य ८७५ वर्ग कि.मी. फैलाव लिये यह द्वीप विश्व की किसी भी नदी पर बने द्वीपो ं में सबसे लम्बा नदी द्वीप है। इसकी खूबसूरती को दख्ेात े हुए १सितम्बर २०१६ को इसे गिनीज बुक आफॅ वर्ल्ड रिकॉर्ड मे ं शामल किया गया। यहभारत का पहला द्वीपीय जिला है। यहां १.६० लाख की आबादी निवास करती है।
माजुली मे ं १५ से ज्यादा वैष्णव मठ दर्शनीय हैं।
हाजो -
गुवाहाटी से २७ कि.मी. पर स्थित हाजो को हिन्दू, इस्लाम और बौद्ध धर्म कासंगम स्थल कहा जा सकता ह।ै यहां कई मंदिरो ं के साथ-साथ पीर गैसुद्दीन औलाकी बनाई गई मस्जिद है, जिसे पोआ मक्का कहा जाता है। हाजो में हयाग्रीब मधाबमं दर बना ह ै जिसमे ं भगवान बुद्ध की निशानियां रखी हुई हैं।







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