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मोह दुःख का कारणः शशि

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22 Mar 17
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उदयपर आत्मा हमेशा प्रेम और आनन्द में रहना चाहती है। इसके लिए व्यक्ति को दूसरों के मंगल के लिए सतत् जागरुक रहना होगा। यदि मन मे ंसहयोग और सद्भाव विकसित हो जाय तो वे जीवन के कल्याण का मार्ग प्र८ास्त करेंगे। यह बात मंगलवार को नारायण सेवा संस्थान के बडी ग्राम स्थित परिसर में श्रीमद् भागवत कथा पारायण में व्यासपीठ से हनुमानगढ की ७ा८ा मित्तल ने कही। उन्होंने कहा कि जब मनु६य को मालूम है कि जीवन के अंत में उसके साथ कुछ भी नहंीं जाएगा, तब फिर उसे संसार में ेकसी भी चीज से मिथ्या मोह नहीं करना चाहिए। मोह ही दुख का कारण है। मानव जन्म अत्यंत दुर्लभ हैं। जिसे भगवत भजन और परोपकार में लगाना चाहिए।


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