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आचार्य डॉ. शिवमुनि का महाप्रज्ञ एतिहासिक एवं भव्य चातुर्मासिक प्रवेश

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22 Jul 18
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आचार्य डॉ. शिवमुनि का महाप्रज्ञ एतिहासिक एवं भव्य चातुर्मासिक प्रवेश उदयपुर। श्री वर्द्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ व आचार्य श्री शिवाचार्य चातुर्मास आयोजन समिति के संयुक्त तत्वावधान में श्रमण संघ आचार्य सम्राट डॉ. शिवमुनि महाराज, युवाचार्य महेन्द्र ऋशि महाराज,शिरीश मुनि,शुभम मुनि आदि ठाणा-१० आज आयड पुलिया, १०० फीट रोड ,शुभकेसर गार्डन, शोभागपुरा होते हुए शोभायात्रा महाप्रज्ञ विहार स्थित शिवाचार्य समवशरण चातुर्मास स्थल पर पंहुच कर धर्मसभा में परिवर्तित हुई। शोभायात्रा में बच्चों, पुरूश एवं महिलाओं की भागीदारी ने इस प्रवेश यात्रा को एतिहासिक बना दिया। बीच मार्ग में खडी जनता के मुख यही निकला कि ऐसा प्रवेश शहर में पहली बार हुआ है। शोभायात्रा में श्रावक-श्राविका जुडते गये और कारवंा आगे बढता गया।
चातुर्मास समन्वयक संजय भण्डारी ने बताया कि ने बताया कि शोभायात्रा के प्रारम्भ में आचार्यश्री के चित्र बना ध्वज लिये युवक चल रहा था। तत्पष्चात ५१ बुलेट एवं अन्य दुपहिया वाहनधारी जैन धर्म ध्वज लिये चल रहे थे। शोभायात्रा में युवक मण्डल के सैकडों सदस्य हाथों में जैन धर्म के ध्वज की पताका फहरा रहे थे। पंक्तिबद्ध धवल वस्त्रों में गुलाबी रंग का साफा पहने एवं श्राविका संघ की अध्यक्ष भूरि बाई सिंघवी,ज्योति सिंघवी,पूर्व महापौर रजनी डंागी,पूर्व जिला प्रमुख मधु मेहता एवं निधि मुणोत के नेतृत्व में ११११ महिलायें लाल चुन्दड में सिर पर कलश लिये चल रह थे। यह दृष्य नयनाभिराम बन गया था। बीच में नन्हें-नन्हें बच्चें स्केटिंग करते चल रहे थे। वाहन में आचार्यश्री एक झांकी साथ चल रही थी जिसमें आचार्यश्री को पहाडों पर ध्यान में लीन बताया गया।
श्री शिवाचार्य चातुर्मास आयोजन समिति के मुख्य संयोजक विरेन्द्र डांगी ने बताया कि शोभायात्रा में कच्छी घोडी सवार नृत्य कर रहे थे। महिलायें आचार्यश्री के संदेश को जन-जन को लाभान्वित करने वाले संदेश की तख्तियां हाथों में लिये सिर पर साफा बांधे चल रही थी। इस बीच एक वाहन में साध्वी बनी बालिका की और पयार्वरण संरक्षण का संदेश देती झांकी भी चल रह थी। महिलायें जैन धर्म और ‘आचार्य भगवंत साथ में घणी खम्मा‘ के नारें लगा कर मार्ग को गुंजायमान कर रही थी। युवक मण्डल के सदस्य आगे आगे परेड करते हुए शोभयात्रा का नेतृत्व करते हुए चल रहे थे।
मंगल प्रवेश समिति के सह संयोजक प्रवीण पोरवाल ने बताया कि षोभायात्रा में शहर के विभिन्न उपनगरों मल्लातलाई, अंबामाता, राडाजी चौराहा, दैत्य मगरी,फतहपुरा,हिरणमगरी से.३,४,५,६,ग्लास फेक्ट्री से हजारों श्रावक-श्राविकाओं ने भाग लिया।
बसन्तलाल कोठिफोडा ने बताया कि षोभायात्रा के बीच मार्ग में कुछ स्थानों पर श्रावक-श्राविकाओं के लिये पानी के काउन्टर लगाये गये। मार्ग में अनेक स्थानों पर आचार्यश्री के स्वागत में प्रवेश द्वार लगाये गये। षोभायात्रा जैसे ही महाप्रज्ञ विहार पंहुची वहंा पर बच्चों के एक दल ने सुस्वागतम आचार्यश्री म.सा. चातुर्मास २०१८ बनाकर आचार्यश्री एवं ससंघ की भव्य अगवानी की। वहंा पर चातुर्मास मुख्य संयोजक विरेन्द्र डंागी ने आचार्यश्री का स्वागत किया। प्रचार-पसार समिति के संयोजक निर्मल पोखरना ने बताया कि पूरे मार्ग को पोस्टर एवं होर्डिग से तथा शोभागपुरा चौराहा को सजाया गया। बीच मार्ग सिन्धी समाज, माहेष्वरी समाज, सिक्ख समाज,बोहरा समाज एवं विभिन्न समाजों ने आचायश्री का अभिनन्दन एंव स्वागत किया।महाप्रज्ञ विहार में आयोजित धर्मसभा में जनमेदिनी उमड पडी। पैर रखने के लिये तिल भर जगह नहीं बची थी।
पाण्डाल समिति के संयंोजक धर्मेश नवलखा की देखरेख में तैयार हुए २४ हजार वर्ग फीट के राजसी लुक देते विषाल पाण्डाल में आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए आचार्यश्री डॉ. शिवमुनि ने कहा कि उदयपुर में अरिहंतों की कृपा से चातुर्मास प्रवेष हुआ है। भगवान महावीर की वाणी का चार माह यहंा सूत्रपात होगा। उन्हने इस अवसर पर संकल्प से सिद्धी का नारा देते हुए कहा कि यह सिर्फ नारा नहीं वरन् वरन अपने आप से एक वादा करना होगा कि हम संकल्प ले कर सिद्धी तक का मार्ग प्रषस्त करेंगे,पुरूषार्थ करेंगे, कसम खायेंगें कि तब तक नहीं रूकेंगे जब तक जीवन की यह यात्रा महायात्रा नहीं बन जाती। जब धर्म आफ साथ हो तो सभी काम स्वतः ही बन जाते है।
इस अवसर पर उन्होंने अपने सभी गुरूओं का वदंन करते हुए उन्हीं सभी महान गुरूओं का बदौलत हम सभी यहंा पर एकत्रित हुए है। उदयपुर शहर त्याग, तपस्या एवं बलिदान की धरती है। यहंा के लोगों की श्रद्धा,भक्ति और समर्पण की भावना अनुमोदनीय है। विषाल षोभायात्रा में उमडा सैलाब आपकी श्रद्धा का परिचय दे रही थी। आज ऐसा लग रहा था कि शहर का बच्चा-बच्चा सडक पर उतर आया हो। १८ वर्ष की लम्बी तपस्या के बाद यहंा हम सभी एक हुए है। मैं अकेला नहीं युवाचार्य को भी साथ लेकर आया हूं। एक और एक ग्यारह हो कर आये है।
युवाचार्य महेन्द्र ऋशि म.सा. ने कहा कि आज उदयपुर श्रीसंघ के सौभाग्य का उदय हुआ है। १८ वर्श की लम्बी तपस्या के पष्चात उदयपुर श्रीसंघ को यह चातुर्मास आयोजित करने का अवसर मिला। उदयपुरवासियों का सपना आज पूरा हो गया। समवशरण पाण्डाल म उपस्थित जनमेदिनी के मन में उमंग, उत्साह एवं श्रद्धा का उल्लास भरा हुआ है।प्रमुख मंत्री षिरीश मुनि ने कहा कि आचार्यश्री का प्रवेष महाप्रज्ञ विहार में ही नहीं अपने दिलों में भी कराना है।
सभा में श्रावक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहनलाल चोपडा,श्रावक समिति के चेयरमेन सुमतिलाल कर्णावट मौजूद थे। इस अवसर पर राहता व अमहदनगर महाराष्ट्र एवं दिल्ली के सुभाश ओसवाल ने २०१९-२० के चातुर्मास की विनती की। प्रारम्भ में महिला मण्डल, बहु मण्डल ने मध्ुार स्वरों में गीत गा कर आचार्यश्री का स्वागत किया। युवा मनीशी षुभम मुनि ने गीत गा कर सभा को मंत्रमुग्ध कर दिया।
आज की धर्मसभा में देष भर से आये सैकडों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद थी। धर्मसभा को उदयपुर श्रीसंघ अध्यक्ष ओंकारसिंह सिरोया, मुख्य संयोजक विरेन्द्र डंागी,दिलीप सुराणा,रजनी डांगी,सूर्यप्रकाष मेहता ने भी संबोधित किया। धन्यवाद हिम्मतसिह गलुण्डिया ने ज्ञापित किया। श्राविका संघ,युवती मण्डल एवं तेरापंथ खल्ली परिशद की ओर से मंगलाचरण एवं गीत प्रस्तुत किये। सभा का संचालन महेन्द्र तलेसरा ने किया।


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