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जिला शतरंज संघ का वाद खारिज

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13 May 18
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जिला शतरंज संघ की ओर से सचिव प्रवीण कोठारी द्वारा हकरसी का प्रार्थना पत्र सिविल न्यायालय (क.ख.), उत्तर-उदयपुर में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया था, जिसे माननीय न्यायालय द्वारा खारिज कर दिया है और किसी प्रकार का कोई अनुतोष जिला शतरंज संघ, उदयपुर को प्रकरण में नहीं दिया गया है। अप्रार्थी विकास साहू सचिव चेस इन लेकसिटी की ओर से अधिवक्ता मनीष मोगरा द्वारा पैरवी की गई।
जिला शतरंज संघ की ओर से आयोजक द्वारा जब भी कोई फिडे रेटेड प्रतियोगिता या अन्य प्रतियोगिता आयोजित की जाती है, तब आधारहीन तथ्यों के आधार पर कार्यवाहियाँ की जाती है तथा हर बार की तरह इस बार भी जिला शतरंज संघ को असफलता प्राप्त हुई। विद्वान अधिवक्ता प्रार्थी (एडवोकेट श्री प्रवीण कोठारी, सचिव जिला शतरंज संध) का यह तर्क रहा है कि अप्रार्थी (विकास साहू, सचिव चेस इन लेकसिटी) राज. क्रिडा (संगमों का रजिस्ट्रीकरण, मान्यता, विनियमन) अधिनियम, २००५ के तहत रजिस्टर्ड नहीं है, ऐसे में वह जिला व राज्य स्तरीय प्रतियोगिताएँ नहीं करवा सकता है तथा जिले व राजस्थान राज्य का नाम भी प्रतियोगिता में इस्तेमाल नहीं कर सकता है एवं न ही राज्य अथवा जिले का प्रतिनिधत्व कर सकता है।
न्यायालय आदेश
हुक्म या कार्यवाही मय इनिशियल्स जज
प्रकरण संख्या ः ३५/२०१५ हकरसी दीवानी
०८-०५-२०१८
वकुलाय उभय पक्ष उपस्थित। इस आदेश द्वारा डिक्रीदार की अेर से प्रस्तुत प्रार्थना पत्र अन्तर्गत आदेश २१ नियम ११ सीपीसी का निस्तारण किया जा रहा है। उभ्य पक्षों की ओर से बहस प्रार्थना पत्र गत पेशी तारीख पर सुनी गई। आज पत्रावली एवं संबधित विधि का अवलोकन किया गया।
डिक्रीदार की ओर से हस्तगत हकरसी प्रार्थना पत्र न्यायालय में प्रस्तुत कर यह अभिवयन किया गया था कि मदयून द्वारा डिक्री की पालना नहीं की जाकर उदयपुर राजास्थान व स्टेट शब्दों का उपयोग करते हुए शतरंज प्रतियोगिता दिनांक २१ से २४ जून, २०१५ के भण्डारी दर्शक मण्डप गांधी ग्राउण्ड में आयोजित करवा रहा है एवं खिलाडयों काो मनमाने ढंग से चयनित कर राज्य का प्रतिनिधित्व करने के लिए भेज रहा है जिसकी खबर समाचार पत्र दैनिक भास्कर, दैनिक नवज्योति व उदयपुर एक्सप्रेस में प्रकाशित हुई। मदयून संख्या १ डिक्री की पालना नहीं कर लेकसिटी (उदयपुर) का उपयोग करते हुए विभिन्न प्रतियोगिताएँ आयोजित करवा रहा है और उक्त आधारेां पर दिनांक २१ से २४ जून, २०१५ को हो रही स्टेट प्रतियोगिता को रोके जाने, चेस इन लेकसिटी के नाम से उदयपुर खिलाडीयों से सदस्यता शुल्क लेने से रोके जाने मदयून संख्या १ द्वारा डिक्री की पालना नहीं करने से मदयून की सम्पत्ति कुर्क किये जाने तथा मदयून संख्या १ को सिविल जेल में भिजवाये जने की प्रार्थना की गई।
इस संबंध में मदयून की ओर से जवाब प्रस्तुत कर अभिवचन किया गया कि मदयून द्वारा किसी भी प्रकार से उदयपुर जिला एवं राजस्थान शब्दों का प्रयोग नहीं किया जा रहा है और न ही किसी प्रकार से खिलाडीयों का मनमाने ढंग से चयन किया जा रहा है। डिक्रीदार ने जिन प्रतियोगिताओं के संबंध में स्वयं के प्रार्थना पत्र में वर्णन किया है, उनमें मदयून संख्या १ निर्णायक के रूप में अपनी सेवाएं देकर आया है। डिक्रीदार उएवं मदयून के बीच हुये राजीनामा के अनुसार पारित की गई डिक्री की पालना मदयून द्वारा की जा रही है और उक्त आधारों पर डिक्रीदार की ओर से प्रस्तुत प्रार्थना पत्र खारिज किये जाने की प्रार्थना की गई।
दौराने बहस उभय पक्षों की ओर से स्वयं प्रार्थना पत्र एवं जवाब पत्र में वर्णित तथ्यों की पुनरावृत्ति करते हुए विस्तृत रूप से स्वयं को विभिन्न संघों द्वारा मान्यता प्राप्त होने एवं स्चयं को विभिन्न संघों द्वारा प्रतियोगिताएँ आयोजित करवाने बाबत् अधिकृत होने के कथन किये गये है। साथ ही डिक्रीदार की ओर से मुख्य रूप से यह तर्क दिया गया है कि पूर्व में डिक्रीदार एवं मदयून के मध्य हुए राजीनामा में वर्णित शर्तो की पालना मदयून द्वारा नहीं की जा रही है एवं विभिन्न प्रतियोगिता करवाकर लेकसिटी (उदयपुर), जिला राज्य एवं राजस्थान शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है जबकि मदयून की ओर से मुख्य रूप से यह तर्क रहा है कि मदयून ने राजीनामा में वर्णित शर्तो की पालना की है और उसके द्वारा आयोजित प्रतियोगिताएँ ऑपन प्रतियोगिताएँ है

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