प्रभु और भक्त का संबंध दर्शाती है भक्तमाल कथा
( Read 14313 Times)
17 Feb 18
Print This Page
उदयपुर । नारायण सेवा संस्थान के लियों का गुडा स्थित सेवामहातीर्थ, में आयोजित त्रिदिवसीय ’सरस भक्तमाल कथा‘ एवं दीनबन्धु वार्ता कार्यक्रम के पहले दिन शुक्रवार को व्यासपीठ से कैलाश मानव ने कहा कि यह ग्रंथ भक्तों के परम पवित्र चरित्ररूपी पुष्पों की एक परम रमणीय माला के रूप में गुम्फित है और इस सरस सौरभमयी तथा कभी भी म्लान होने वाली सुमनमालिका को परमात्मप्रभु श्री हरि नित्य निरंतर अपने श्रीकंठ में धारण किए रहते हैं। भक्तमाल में भक्तों का गुणगान है यशोगान है। भक्तों की सरस लालित्यमयी लीला का विस्तार है। भगवान और भक्त का कैसा संबंध होना चाहिए। भक्तमाल के श्रवण ,मनन से शुष्क हृदय भी सरस हो जाता है तथा सरस हृदय में भक्ति की लहरें सदा प्रवाहित होती हैं। अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने भी इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण संस्कार चैनल पर किया गया। संचालन महिम जैन ने किया।
Source :
This Article/News is also avaliable in following categories :
Udaipur News
,
Chintan