जीवन में धैर्य से मंजिल प्राप्त होती है।
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12 Jan 18
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उदयपुर । नारायण सेवा संस्थान के लियों का गुडा स्थित सेवामहातीर्थ, बडी में आयोजित पांच दिवसीय ’दिव्यांग दीनबन्धु वार्ता व सत्संग प्रवाह‘ एवं ’अपनों से अपनी बात’ कार्यक्रम के पहले दिन गुरुवार को संस्थान संस्थापक कैलाश मानव ने कहा कि सुख हो या दुख दोनों ही परिस्थिति में प्रभु को याद करना नहीं भूलें । सुख-दुख जीवन में धूप- छांव के समान है। दुख में घबराना नहीं चाहिए और सुख में प्रभु को भूलना नहीं चाहिए।उन्होने कहा मनुष्य में मोह दुःख का सबसे बडा कारण है, मोह रखें परंतु उस पर नियंत्रण भी रखें। पृथ्वी पर सभी प्राणीयों में आत्मा का वास है, बस शरीर भिन्न-भिन्न हैं। इसलिए मोह शरीर से नहीं आत्मा से रखें, आत्मा अमर हैं, शरीर नश्वर।
अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने कहा कि सेवा का काम करने स कभी पीछे नहीं हटना चाहिए, क्योंकि सेवा से ही प्रभु की प्राप्ति का मार्ग खुलता है। सेवा ही सबकुछ है, वहीं पुण्य है, आनंद है और वहीं परमात्मा है। जब किसी कार्य की शुरुआत करते है तो हमें कई कठिनाईयों का सामना करना पडता है। अगर धैर्य से उन कठिनाइयों का सामना करते हुए अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए डटे रहें तभी व्यक्ति को अपनी मंजील प्राप्त होती है और कभी ना समाप्त होने वाला सुख भी प्राप्त होता है। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण आस्था व आस्था इंटरनेशनल चैनल पर हुआ। संचालन महिम जैन द्वारा किया गया।
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