शिव परिवार एवं उनके वाहनों का भिन्न-भिन्न स्वभाव होने के बाद भी सब अपने आप का समायोजन करके एक साथ एक परिवार के रूप में रहते हैं, हमको श्रावण में आयोजित पार्थिव पूजन अनुष्ठान से यह प्रेरणा लेकर अपने परिवार में लागु करनी चाहिए, व्यक्ति का स्वभाव अलग हो सकता है परंतु एक दूसरे से समायोजन कर प्रेम से जब हम रहते हैं तो व्यक्ति से परिवार बनता है और परिवार से समाज और समाज से राष्ट्र।
यह बात मां नर्मदा तट से पधारी साध्वी श्री अखिलेश्वरी दीदी मां ने पानेरियों की मादडी स्थित भट्ट तलाई में समाज द्वारा आयोजित पार्थिव पूजन अनुष्ठान की पूर्णाहुति के अवसर पर कही। उन्होंने आगे कहा कि जिस प्रकार समुद्र मंथन से प्राप्त विष को शिव पी कर नीलकंठ कहलाए, ऐसे ही हमें परिवार को एक रखना है तो अपमान का विष पीकर नीलकंठ बनना होगा।
उल्लेखनीय है कि यहां पिछले 7 दिनों से सैकड़ों महिलाएं व परिवार जोड़ों के साथ आकर पार्थिव शिवलिंग का निर्माण, पूजन व अभिषेक का कार्यक्रम कर रहे हैं अब तक लगभग सवा लाख पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर आज संपूर्ण समाज के लोग झामेश्वर महादेव महादेव में विसर्जन के लिए पधार रहे हैं।
आज इस अनुष्ठान के समापन अवसर पर उन्होंने यह भी कहा कि महामृत्युंजय के जाप से हम अकाल मृत्यु को टाल सकते हैं एवं शिव सरलता से प्रसन्न होने वाले देवता इसलिए उनको आशुतोष भी कहते हैं ।
"शिवभक्ति मय वातावरण" - समाज में पहली बार आयोजित इस अनुष्ठान को लेकर कौतुहल व उत्साह का माहोल २हा।। पार्थिव शिवलिंग की, आराधना, भक्ति व साधना से ओतप्रोत सातों दिन का वातावरण रहा।
"विसृजन" - आज सभी समाज बंधुओं नाचते-गाते अपने पार्थिव शिवलिंग को सिर पर धारण करते हुए प्रवाहमान जल में विसर्जन करने के लिए शोभायात्रा के रूप में गाजे बाजे लेकर, माताजी के साथ गए।
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