उदयपुर। विश्व संग्रहालय दिवस पर उदयपुर के आहाड़ संग्रहालय में गुरुवार को आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता डाॅ. ललित पाण्डेय ने इतिहास के कालखण्ड के संघर्ष का विवेचन किया। उन्होंने कहा कि कंटेस्टेड हिस्ट्री पर भारत में बहुत कम काम किया गया। इतिहास में विरोध के मुकाबले उसे कालखण्ड में राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक परिदृश्य में देख कर सही और गलत का निर्णय होना चाहिए। जबकि अब तक इतिहास को सिर्फ राजनीतिक चश्में से ही देखा गया है। अगर इतिहास का इतिवृत्त सही संास्कृतिक नजरिये से लिखा जाए तो कालखण्ड और विषय संघर्ष नहीं हो सकता है।
संग्रहालय दिवस पर शहर के प्रमुख न्यूमेसमेटर्स को भी सम्मानित किया गया। लक्षप्रा फाउंडेशन की और से चार न्यूमेस्मेटर्स भूपेन्द्र मलारा, गोपाल पालीवाल, नवीन कुमार लोढा, महेन्द्र राज भण्डारी को रजत पदक से सम्मानित किया गया। इनका सम्मान पूर्व में लगाई गई सिक्कों की प्रदर्शनी में शानदार संग्रह प्रदर्शित करने के लिए किया गया।
संग्रहालय दिखाता है ऐतिहासिक सत्य
इस बार विश्व संग्रहालय दिवस का विषय ष्डनेमनउे ंदक बवदजमेजमक ीपेजवतपमेरू ैंलपदह जीम नदेचमंांइसम पद उनेमनउेष् रखा गया था। इस विषय पर बोलते हुए प्रो. पाण्डेय ने कहा कि संग्रहालय इतिहास के कालखण्ड के संघर्ष को स्पष्ट करने का सबसे मजबूत साधन है। यहां पर प्रदर्शित वस्तुएं बिना कुछ बोले इतिहास के सत्य को प्रदर्शित करने और उसे लोगों को समझाने में सक्षम है।
शिक्षा में शामिल हो संग्रहालय
वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए लक्षप्रा फाउंडेशन के संस्थापक डाॅ. बी.पी. भटनागर ने कहा कि संग्रहालय लोगों में जानकारी और जागृति दोनों का काम करते हैं। विद्यार्थियों को कैसे इन स्थानों तक पहुंचाया जाए। इसकी व्यवस्था करने और शैक्षणिक सत्र में इसके लिए समय निर्धारित करने का काम भी होना चाहिए।
इतिहास में हो सर्वग्राहिता
प्रो. महेश शर्मा ने कहा कि इतिहास की सर्वग्राहिता ही उसे सत्य के करीब ले जाती है। इसलिए किसी भी प्रमाण को हटाना या मिटाना इतिहास के साथ छेड़खानी है। उन्होंने गुलाबबाग में लगी विक्टोरिया के मूर्ति के बारे में उदाहरण देते हुए कहा कि अंग्रेजों का शासन ऐतिहासिक सत्य है। इसके किसी भी प्रकार से नकारा नहींे जा सकता। इसलिए विक्टोरिया की मूर्ति भी संग्रहालय में प्रदर्शित की जानी चाहिए।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए संग्रहालय के वृत्त अधीक्षक मुबारिक हुसैन ने संग्रहालय के विकास और इतिहास की जानकारी देते हुए आहाड़ संग्रहालय की विकास यात्रा पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन करते हुए प्रो. विष्णुमाली ने संग्रहालयों की बिगड़ी हालत पर चिंता जताई।
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