शौचालय निर्माण कोे प्रोत्साहित करने हेतु 50 पीपल के पेड़ लगाये
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24 Mar 17
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उदयपुर | लोगों की मनःस्थिती बदलने और खुले में शौच से मुक्ति के लिए गुरूवार को दशामाता के पावन अवसर पर वेल्स फॉर इंडिया व हनुमान वन विकास समिति द्वारा तीन ग्राम पंचायतों में पीपल के पेड़ लगाये गये।
वेल्स फॉर इंडिया के राष्ट्रीय निदेशक ओ. पी. शर्मा ने बताया कि दशामाता के दिन महिलाएं पीपल के पेड़ की पूजा कर कथाएं सुनती हैं। यह माना जाता हैं कि पीपल के पेड़ में दशामाता का निवास है अतः यह परिवार में समृद्धि लाता है। जहां-जहां पीपल के पेड़ होते हैं लोग उसके आसपास शौच जाने से कतराते हैं। इसी को ध्यान में रख वेल्स फॉर इंडिया व हनुमान वन विकास समिति ने द्वारा कुराबड़ ब्लॉक की 3 ग्राम पंचायतों के गांवों में 50 पीपल के पेड़ लगाऐ गए। इस दौरान वहां उपस्थित महिलाओं ने शपथ ली कि वे बाहर शौच के लिए नहीं जाएंगी और जल्द ही अपने घर में शौचालय का निर्माण करवा लेंगी।
श्री शर्मा ने बताया कि गत वर्ष भी इसी अवसर पर गांव में खुले शौच के स्थानों पर 70 से अधिक पीपल के पेड़ लगाये गए, इसीके परिणामस्वरूप कुराबड़ ब्लॉक की तीन ग्राम पंचायतों में 400 से भी अधिक शौचालयों का निर्माण हुआ। जो महिलाएं गत वर्ष बाहर शौच हेतु जाती थी उन्होंने पेड़ लगाए व अब घरों में शौचालय बनवा लिए हैं और इनका उपयोग कर रही हैं।
भलो का गुड़ा ग्राम पंचायत के छोटा गुड़ा गांव निवासी 52 वर्षीय भंबरीबाई ने बताया कि यह लोगों को खुले में शौच जाने से रोकने व उन्हें शौचायल निर्माण हेतु प्रेरित करने का एक अच्छा तरीका है। हमने गत वर्ष पीपल के पेड़ लगाए व आज हम इनमें से एक की पूजा कर रहे हैं। मैंने अपने घर में पांच महीने पहले शौचालय बनाया और गांव की अन्य महिलाओं को भी घर में शौचालय निर्माण हेतु प्रेरित करती हूं जिससे कि गांव के लोगों का खुले में शौच जाना रूके। मैं अपने घर में शौचालय बनवाकर खुश हूं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का स्वच्छ भारत अभियान धीरे-धीरे लोगों की पुरानी आदतों को अभिनव तरीकों के माध्यम से बदलने का काम कर रहा है। उदयपुर जिला पहाड़ी व जनजाति क्षेत्र होने के साथ जब लोगों की मनःस्थिति बदलने का काम करता है तब यह राजस्थान के सबसे चुनौतिपूर्ण जिलों में से एक बन जाता है।
इसमें उदयपुर जिला कलक्टर रोहित गुप्ता व जिला परिषद मुख्य कार्यकारी अधिकारी अविचल चतुर्वेदी के नेतृत्व में जिला प्रशासन, स्थानीय जनप्रतिनिधियों, ग्रामीणों व अन्य अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के सहयोग से लोगों को अधिक से अधिक शौचालय बनाने व खुले में शौच ना जाने हेतु प्रोत्साहित कर सक्रिय भागीदारी निभा रहे हैं। मार्च 2017 तक जिले की 544 ग्राम पंचायतों में से 141 ग्राम पंचायतें खुले में शौच मुक्त घोषित हो चुकी हैं।
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