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५१ दिव्यांग एवं निर्धन जोडे बने जीवन साथी

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22 Jan 17
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नई दिल्ली, सपने देखना किसे अच्छा नही लगता और जब कोई सुनहरा सपना साकार हो जाए तो उसकी खुषी को बयां करना आसान नही होता। एक ऐसा सपना जिसकी दिव्यांग एवं निर्धन परिवारों के युवक-युवतियों ने कभी साकार होने की कल्पना भी न की थी, लेकिन वह रविवार को दिल्ली के पंजाबी बाग में साकार हुआ। माध्यम बना उदयपुर (राजस्थान) का नारायण सेवा संस्थान। भले ही बैसाखी या किसी और के सहारे के बिना चल नही सकते, देख नहीं सकते हर काम में दूसरे की मदद का मोहताज रहना पडता है मगर हम साथ मिलकर एक दूजे का सहारा तो बन ही सकते हैं। कुछ ऐसी ही भावना के साथ ५१ दिव्यांग एवं निर्धन वर-वधूओं ने सात जन्मों तक साथ निभाने का वचन लिया और पवित्र अग्नि के सात फेरे लेकर बनगए हमसफर।
पिछले ३१ वर्षो से निःषुल्क पोलियोग्रस्त बच्चों व किषोर-किषोरियो के पोलियो करेक्षन ऑपरेषन, दिव्यांग युवाओं के पुनर्वास, निराश्रित, प्रज्ञा चक्षु, विमंदित एवं मूकबधिर बालको की षिक्षा-दीक्षा एवं उनके लिए विभिन्न रोजगारोन्मुख व्यावसायिक प्रषिक्षणों का निःषुल्क संचालन करने वाले नारायण सेवा संस्थान की ओर से यह २८ वां निःषुल्क विवाह समारोह था। जिसमें देष के विभिन्न राज्यों के जोडे षामिल थे। प्रातः ९ बजे जन्माष्टमी पार्क से सेंट्रल पार्क होते हुए वर-वधूओं की सजी-धजी बग्गियों में बाजे-गाजे के साथ बिन्दोली निकाली गई जिसमें वर-वधूओं के परिजन, उनके धर्म माता-पिता व अतिथि नाचते-झूमते चल रहे थे। विवाह स्थल पर पंहुचने के पष्चात १०ः१५ बजे तोरण की परम्परागत रस्म का निर्वाह हुआ। विवाह समारोह का षुभारंभ संस्थान संस्थापक पदम्श्री कैलाष ’मानव’, विधायक शिवचरण गोयल, समाजसेवी कुसुम गुप्ता (दिल्ली), विश्वामित्र बहल, कथा प्रवक्ता सुनील कौशिक महाराज, उद्यमी रमेश गोयल, विजय खण्डेलवाल व उपअधीक्षक जेल दिल्ली विनय ठाकुर ने विनायक पूजन एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया।
इस अवसर पर कैलाष ’मानव’ ने नवयुगलों व अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि जिन निषक्त दिव्यांग भाई-बहिनों ने अपनी निःषक्तता को दुर्भाग्य मानते हुए विवाह का विचार भी कभी मन में आने ही नही दिया, उनकी चाह को संस्थान ने पंख दिए और पिछले २७ विवाहो में १२०० दिव्यांग एवं निर्धन जोडों की गृहस्थी बसाने में पहल की। आज वे सभी सुखी हैं और उनके आंगन में किलकारियां गूंज रही हैं। संस्थान अध्यक्ष प्रषान्त अग्रवाल ने संस्थान की ३१ वर्शीय निःषुल्क सेवा यात्रा की डॉक्यूमेन्ट्री के माध्यम से जानकारी देते हुए बताया कि विवाह समारोह वर्श में दो बार आयोजित किये जाते हैं। दिल्ली में यह तीसरी बार हो रहा है। इससे पूर्व पिछले वर्श जनवरी में ही पंजाबी बाग में १०१ निर्धन एवं दिव्यांग जोडे एक दूसरे के हमसफर बने थे।
उन्होंने बताया कि विवाह सूत्र मे बंधें ५१ जोडों में स ३१ दिव्यांग और २० निर्धन परिवारों से हैं। इनमें कोई पांव से तो कोई हाथ से अषक्त है। किसी जोडे में एक विकलांग है तो दूसरा सकलांग। एक अपनी आंख से देख नही सकता तो दूसरा अपनी आंख से उसके न देख पाने के दुख को अपना बनाने के लिए आतुर है। ऐसे भी जोडे हैं जो घुटनों के बल या घिसट-घिसट कर चलते हैं,मूकबधिर हैं लेकिन अग्नि के सात फेरे लेने के बाद ये सभी एक-दूसरे के पूरक बनकर खुषनुमा जिंदगी की नई इबारत लिखेंगे। विशिष्ट अतिथि भागवताचार्य संजीव कृष्ण ठाकुर महाराज ने कहा कि नारायण सेवा विष्व में सेवा की अनूठी मिसाल है। जो परपीडा को अपना बना लेता है, वही सच्चा इंसान है। प्रभु ने मनुश्य जीवन सेवा के लिए ही दिया है। जो व्यक्ति दीन-दुखियों की सदा निष्छल भाव से सेवा करता है वो परलोक के खाते में पुण्य जमा करता है। सांसद गिरीश सोनी, दिल्ली के मेयर श्याम सुन्दर शर्मा संघ प्रचारक, रवि बंसल और निगम पार्षद सुमन शर्मा ने भी वर वधुओं को आशीर्वाद प्रदान किया।
-सम्मान
इस अवसर पर समाजसेवा में उल्लेखनीय कार्यों के लिए धर्मपाल गर्ग हरियाणा, विश्वामित्र बहल, डॉ. विजय आनन्द गुप्ता दिल्ली, संजय राय फिरोजाबाद को सम्मानित किया गया।
-वरमाला
’तू मेरा सहारा है मैं तेरा सहारा ह’ू के संकल्प के साथ मंच पर सैकडों लोगों की साक्षी में वर-वधूओं ने जब एकदूजे के गले में वरमाला डाली तो पंाडाल तालियो से गूंज उठा। वरमाला रस्म के दौरान मंच के निकट चारों ओर घूमने वाली हाईड्रोलिक मशीन वर -वधूओं पर गुलाब की पंखुरियां बरसा रही थी।
५१ वेदियां-५१ आचार्य
सात फेरों के लिए विवाह स्थल पर ५१ वेदिया बनाई गई। प्रत्येक वेदी पर पूजन व हवन सामग्री के साथ एक आचार्य मौजूद थे। जिन्होंने मुख्य आचार्य पंडित हरीष पांडे व पंडित लक्ष्मण शास्त्री, वृन्दावन के निर्देषन में इन सभी जोडों का पाणिग्रहण संस्कार संपन्न करवाया। सात वचनों के अलावा दूल्हा-दूल्हनों ने ’बेटी पढाओ-बेटी बचाओ’ व घर-पडोस को स्वच्छ रखने का संकल्प भी लिया। कन्यादान वधूओं के माता-पिता व देष के विभिन्न भागों से आए उनके धर्म माता-पिता ने किया। ठीक ४ः१५ बजे विवाह की रस्म संपन्न हुई।
-दिया गृहस्थी का सामान
नवयुगलों को संस्थान एवं देष के विभिन्न राज्यों से आए अतिथियों ने वो सारा सामान दिया जो नई गृहस्थी बसाने के लिए जरूरी है। उन्हें मंगलसूत्र, कर्णफूल, बीछिया, पायल, अंगूठी, कान के टॉप्स एवं श्रृंगार सामग्री प्रदान की गई। नवयुगलों को उनकी गृहस्थी का आवश्यक सामान थाली, कटोरी, गिलास, स्टील की कोठी, बाल्टी, ककर, क्रॉकरी, सिलाई मशीन, डीनर सेट, इस्त्री, गैस चूल्हा, बिस्तर, कंबल, बेडशीट्स, संदूक, घडी, साडयां, पेंट-शट्र्स आदि सामग्री प्रदान की।
-दिव्यांगों को सहायक उपकरण
समारोह में ५० दिव्यांगों को नारायण मोड्यूलर आर्टीफिशियल लिम्ब (हाथ-पांव) तथा बडी संख्या में सहायक उपकरण यथा-ट्राइसाईकिल, व्हीलचेयर, वॉकर, बैसाखी, ब्लाइंड स्टिक, श्रवण यंत्र आदि भी प्रदान किए गए।
-रोजगार से जोडा
चयनित निर्धन एवं दिव्यांगजन को स्वरोजगार की दृश्टि से षाक-भाजी का ठेला एवं सिलाई मषीनों का वितरण किया गया।
-विदाई
विवाह संपन्न होने के बाद नवयुगलों को संस्थान संस्थापक कैलाष मानव, समारोह अध्यक्ष कुसुम गुप्ता, संस्थान अध्यक्ष प्रषान्त अग्रवाल, निदेषक वंदना अग्रवाल, ट्रस्टी देवेन्द्र चौबीसा व अतिथियों ने आषीर्वाद देते हुए उन्हें अपने नए घर के लिए विदा किया। ये पल बडे ही मार्मिक थे। सभी की आँखे इस तरह नम थीं, मानो वे अपनी ही बेटी को विदा कर रहे हों। नवयुगलों ने इन सभी के पांव छूकर सुखी दाम्पत्य जीवन का आषीर्वाद लिया। देर शाम विवाहित सभी जोडे संस्थान के वाहनों से अपने शहर गाँव के लिए रवाना हुए। संचालन अध्यक्ष प्रषान्त अग्रवाल व वरिश्ठ साधक महिम जैन ने किया।


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