पुरे देश की सभी कृषि विश्वविद्यालयों में कृषि विज्ञान की डिग्रियों को व्यवसाइक डिग्रियों मैं बदलने का निर्णय हो चुका है. पाँचवी डीन कमेटी की शिफ़रिशे लागू हो चुकी हैं, पाठ्योकर्मों में बदलाव कर कृषि ज्ञान तथा कोशलता विकास पर ज़ोर दीया जायेगा ये वक्तव्य प्रोफेसर नरेन्द्र सिंह राठोड़, माननीय उप- महानिदेशक (शिक्षा), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् , नई दिल्ली ने कहे. प्रो. राठोड एक राष्ट्रीय स्तर के प्रशिषण स्कूल के उदघाटन के दोरान दिनाक 03.12.2016 को राजस्थान कृषि महाविद्यालय में मुख्य अथिती के तोर पर उपस्थित थे !
प्रोफेसर उमा शंकर शर्मा कुलपति , महाराणा प्रताप कृषि एवम् प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय उदयपुर ने समारोह की अध्यक्षता की ! प्रो शर्मा ने प्रस्तुत शरदकालीन स्कुल “ शिक्षा में नवाचारों कि प्रांसगिकता बताते हुए बताया कि कृषि वैज्ञानिकों को अपने विषय में पारंगत होना ही काफी नहीं है ,इस बात की आवश्यकता है कि अपने ज्ञान को किसानो के पास व् विधार्थियों के पास प्रभावी ढंग से कैसे जायें ! इस हेतु वैज्ञानिको को नवीन शिक्षण विधियों का उपयोग करने की महती आवश्यकता है ! प्रस्तुत स्कुल में 21 दिनों तक प्रशिषणार्थी नई –नई विधाओं को सीखेंगे, ताकि वे अपनी –अपनी भूमिका सुचारू रूप से सम्पन कर सके !
स्कुल के निदेशक प्रोफ़ेसर के . एल . डांगी ने बताया कि स्कुल में कुल 11 राज्यों से 39 वैज्ञानिक गहन प्रशिषण ले रहे है !
कार्यकर्म के दोरान प्रोफेसर अनिला दोशी, अधिष्ठाता, राजस्थान कृषि महाविद्यालय, उदयपुर ने पठन- पाठन प्रक्रिया के पांच अववयो ( अध्यापक , पटन सामग्री , शिक्षण विधि तथा भोतिक सुविधायों ) पर ज़ोर दिया ! कार्यकर्म संचालन तथा धन्यवाद की रस्म स्कुल कोर्डिनेटर तथा सहायक प्रोफेसर (बागवानी ) ने किया !
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