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जीवन में व्रत, मर्यादा जरूरीः नीलांजना श्री

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22 Sep 17
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उदयपुर,साध्वी नीलांजना श्री ने दादाबाडी स्थित वासुपूज्य मंदिर में प्रवचन सभा को संबोधित करते हुए कहा कि बिजली का उपयोग करें या नही बिल आएगा जैसे ही वस्तु खाएं या नही, उसको सीमित नही करेंगे, व्रत, मर्यादा नही करेंगे तो पाप तो लगेगा।
व्रती श्रावक वो जो १२ व्रतों में से एक या अधिक व्रत स्वीकार करते हैं। दर्शनीय श्रावक वो जो परमात्मा के मंदिर में जाते हैं, व्याख्यान में जाते हैं पूर्ण निष्ठा से सुनते हैं लेकिन आचरण में नही लाता है। खाने की अनेक सब्जियां, नहाने के अनेक साबुन हैं लेकिन जीवन में कितनी वैरायटी का उपयोग करते हैं। बाजार में ५० तरह के साबुन हैं लेकिन एक व्यक्ति ५ या १० तरह के साबुन इस्तेमाल करता है। एक नियम ले लिया कि १० से ज्यादा साबुन का उपयोग नही करूँगा तो उतना ही पाप लगेगा। इससे बहुत सारी हिंसा से बच जाता है।
श्रावक में श्र का अर्थ श्रद्धावान हो, व यानी विवेक से काम करे। हम सच में श्रावक हैं या नहीं इस पर विचार करने की जरूरत है। व्यक्ति सम्पूर्ण हिंसा से बच नही सकता। उसके लिए मर्यादा बताई गई है कि थोडे रूप में भी अणुव्रत के माध्यम से हिंसा से बच सकता है।
दादाबाडी ट्रस्ट के सचिव प्रतापसिंह चेलावत ने बताया कि २७ सितम्बर से आरंभ होने वाली नवपद की ओली की तैयारियां पूरी हो चुकी है। इसके लाभार्थी निर्मलाबेन कोठारी एवं परिवार हैं।

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