उदयपुर, साध्वी नीलांजना श्री ने दादाबाडी स्थित वासुपूज्य मंदिर में प्रवचन सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जो समृद्धि चित्त की समाधि में बाधक बनती है वह सफल नही कही जा सकती। आसक्त व्यक्ति धन के पीछे दौडता है इसलिए वह कष्ट पाता है। मनुष्य को प्र*ति ने दो पैर दिए ताकि वो चल सके। दो हाथ सबसे बडी भेंट है जिससे वो जीवन में बहुत कुछ काम कर सकता है।
उन्होंने कहा कि मस्तिष्क की तरह हाथ भी साफ होने चाहिए। रास्ते में कीमती वस्तु दिख जाए तो लालायित रहता है। ऐसे में वो साफ नही हो सकते। पराया धन धूल के समान होना चाहिए। धन सम्बंधी सारे पाप हाथों से ही होते हैं। पत्थर लेकर ऊपर अधिक देर तक नही चढा जा सकता। पत्थर फेंक कर ऊपर चढते रहें आसानी से चढ जाएंगे। ये पत्थर सांसारिक मोह माया है। अपने अंदर ही मौजूद हैं।
उन्होंने कहा कि संसार से पार पाने के लिए परमात्मा की अनुपस्थिति में दो चीजों को आधार बना लें तो जीवन सफल हो जाएगा। क्रिया हम करते हैं लेकिन कैसी, परमात्मा की आज्ञानुसार। उस क्रिया के साथ श्रद्धा भी जुडनी चाहिए। काया, वचन से भक्ति कर लें लेकिन मन को जोडना बहुत जरूरी है। मन, वचन और काया तीनों का जुडना जरूरी है।
दादाबाडी ट्रस्ट के सहसचिव दलपत दोशी ने बताया कि 27 सितम्बर से आरंभ होने वाली नवपद की ओली की तैयारियां जोर शोर से चल रही है। इसके लाभार्थी निर्मलाबेन कोठारी एवं परिवार हैं।
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