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जावर के डीएवी स्कूल में बिईंग सेफ वर्कशॉप का आयोजन

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20 Sep 17
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जावर के डीएवी स्कूल में बिईंग सेफ वर्कशॉप का आयोजन उदयपुर। डीएवी सेकण्डरी स्कूल जावर में मंगलवार को आयोजित बिईंग सेफ वर्कशॉप में लगभग १०० से अधिक बच्चों ने सुरक्षा के प्रति जागरूकता का संकल्प लिया। हिन्दुस्तान जिंक के हेड कार्पोरेट कम्यूनिकेशन एवं बिईंग सेफ के फाउण्डर पवन कौशिक इन बच्चों से मिलने और इनके साथ इन्टरेक्शन के लिये डीएवी स्कूल जावर पहुंचे।

इस वर्कशॉप में पवन कौशिक ने बच्चों से बातचीत के दौरान सुरक्षा नियमों के बारे में जानकारी देते हुए स्कूली बच्चों को बताया कि सुरक्षा की भावना अपने भीतर से आनी चाहिए। सुरक्षा के बारे में अध्यापिक एवं पेरेन्टस उन्हें सिखा सकते हैं क्रियान्वयन स्वयं को ही करना पडेगा। सुरक्षा के प्रति जागरूकता से खुद एवं परिवार सुरक्षित होगा, बच्चों को अपने से बडों, अध्यापकों एवं परिवार के हर बडे सदस्य की बात माननी चाहिए। विशेष रूप से इस उम्र में सडक सुरक्षा के लिये ट्राफिक नियमों की पालना, हेलमेट पहनना, बिना लाईसेंस वाहन नहीं चलाना, सुनिश्चित करना होगा। इस अवसर पर उन्होंने बच्चों से संवाद के लिये प्रजेन्टेशन के माध्यम से एक कहानी भी प्रस्तुत की जिसमें बच्चों की जिद और माता पिता की अपेक्षा दर्शाया गया था जिसे बच्चों ने खूब पसंद किया और उसकी गहराई को समझा, साथ ही विचार-विमर्श भी किये।

पवन कौशिक ने बताया कि प्रति वर्ष भारत में लगभग एक लाख पच्चास हजार लोगों की किसी न किसी सडक दुर्घटना में मृत्यु हो जाती है और यह भी देखा गया है कि लापरवाही से चलाने वाले वाहनों से बेकूसरों की जान चली जाती हैं। इन सब से बचने का एक ही तरीका है कि अपनी खुद की सुरक्षा और परिवार की सुरक्षा पर ध्यान दिया जाए।

इस अवसर पर प्रधानाचार्य एवं अध्यापकों ने इस वर्कशॉप को लाभदायक बताया। बिईंग सेफ प्रोजेक्ट के माध्यम से पवन कौशिक ने अब तक करीब ढाई हजार से अधिक बच्चों और परिजनों से मिल चुके है, जिसके अन्तर्गत लघु फिल्म, प्रजेन्टेशन और कहानी के माध्यम से बच्चों को स्वयं और परिवार को सुरक्षित रखने की जाानकारी दी जा रही है।

बिईंग सेफ के फाउण्डर पवन कौशिक ने बताया कि इस प्रोजेक्ट का उद्धेश्य सडक, घर या कार्यस्थल एवं हर स्थान पर सुरक्षा के प्रति जागरूक रहना है, सुरक्षा नियम सुरक्षा के लिए बनाये जाते हैं सभी को सुरक्षा नियमों का पालन करना चाहिए जिससे परिजनों और बच्चों के स्वयं के मन में सुरक्षा के लिये प्रतिबद्धता उत्पन्न हो।

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