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प्रो. सारंगदेवोत को कर्नल की मानद उपाधि से नवाज़े गये

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27 Apr 17
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प्रो. सारंगदेवोत को कर्नल की मानद उपाधि से नवाज़े गये उच्च शिक्षा, शोध में उत्कृष्ट योगदान युवाओं व एनसीसी केडेट्स के मोटिवेशन, विशिष्ट कार्य व प्रयास के लिए जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विवि के कुलपति प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत को बुधवार को भारत के रक्षा मंत्रालय की ओर से प्रतापनगर स्थित खेल मैदान पर आयोजित समारोह में सेनाएयर कमांडर कोमोडार राधा कृष्णनन शंकर तथा कर्नल ग्रूप कमांडर कर्नल जे.एस. सिंह ( वी.एस.एम. ) द्वारा कुलपति प्रो. सारंगदेवोत को कर्नल की रेंक, अशोक स्तम्भ, स्टॉर तथा कॉलर डाफ पहनाये गये तथा प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। प्रारंभ में एनसीसी की विंग द्वारा एयर कमांडर राधा कृष्णनन शंकर तथा कर्नल जे.एस. सिंह को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। पिपिंग सेरेमनी में उदयपुर आर्मी स्टेशन के ब्रिगेडियर एस.एस. पाटिल, कर्नल हरीश चंडोक, कर्नल एस.एस. दबास, लेफटिनेट कर्नल प्रतीक हमाल , केप्टन अनिता राठोड, लेफटिनेट डॉ. युवराज सिंह राठोड, केप्टन रामचन्द्र उपस्थित थे। प्रारंभ में रजिस्ट्रार प्रो. मुक्ता शर्मा ने अतिथियों का स्वागत उद्बोधन दिया। कुलाधिपति एच.सी. पारख ने सेना के अधिकारियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। कुल अध्यक्ष प्रो. देवेन्द्र जौहर, कुल प्रमुख बी.एल. गुर्जर, सहायक कुल सचिव डॉ. हेमशंकर दाधीच सहित विद्यापीठ के डीन डायरेक्टर एवं शहर के गणमान्य एवं प्रबुद्ध नागरिक उपस्थित थे। सेनाएयर कमांडर कोमोडार राधा कृष्णनन शंकर ने अपने संक्षिप्त में राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय द्वारा सामुदायिक शिक्षा, ग्रामीण एवं वंचित व सर्वहारा वर्ग के लिए किये जा रहे कार्यो की प्रशंसा की। कुलपति कर्नल प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने अपने उद्बोधन में कहा कि जीवन में आगे बढना है तो भीड में अपनी अलग पहचान बनानी होगी, विद्यार्थी अपना लक्ष्य निर्धारित करे, और उसी दिशा में प्रयास करे। उन्होने कहा कि मेरा बचपन से ही सेना में जाने की ललक थी, और स्कूली पढाई से ही वे एनसीसी के केडेट्स रहे और आज उनका कर्नल की उपाधि पाकर सपना पूरा हुआ। उन्होने कहा कि आज हमारे भारतीयों में राष्ट्रीयता की कमी आ रही है उसे पूरा करने के लिए शिक्षक सैनिक के साथ जुड कर देश में सद्भाव, राष्ट्रीयता एवं भाई चारे का माहौल बनाये जिससे हमारी सेना का मनोबल ऊंचा हो सके। उन्होने युवाओं का आव्हान किया कि वे अपने अंदर देश भक्ति का भाव जगाये एवं उचे सपने रखे, बडे सपने देखे एवं उन्हे साकार करे।
सारंगदेवोत का इतिहास ः-
खानवा से लेकर बांदरवाडा की लडाई लडी थी सारंगदेवोत पीढी ने ः- मेवाड राजकुल के ४५ वे महाराणा लाखा यशस्वी पुत्र चुंडा के सहोदर उजा जी के सुपुत्र सारंगदेवोत सिसोदिया कुल से प्रख्यात है। मूल रूप से सारंगदेवोत की २३ वी पीढी के प्रबुद्ध हस्ताक्षर के रूप में गौरवांवित है। वीरता इनकी विरासत रही है ठेठ खानवा से लेकर बांदरवाडा की लडाई जो रणबाज के साथ हुई थी उनमें इस परिवार की पीढियॉ वीरता से लडकर शहीद हुई थी। इनके पूर्वज तलवार के धनी रहे तो प्रो. सारंगदेवोत कलम के धनी है।
सामाजिक संगठनों ने किया सम्मान ः- सेरेमनी समारोह में उदयपुर शहर के भूपाल नोबल्स संस्थान के महेन्द्र सिंह आगरिया, मोहब्बत सिंह राठोड, सुराणा चेरेटिबेल ट्रस्ट के दलपत सुराणा, जिला प्रमुख शांति लाल मेघवाल, डेयरी अध्यक्ष गीता पटेल, पूर्व प्रदेश मंत्री प्रमोद सामर, पंकज शर्मा, डॉ. मनोज भट्ट, महेन्द्र सिंह शेखावत, कमलेन्द्र सिंह बेमला, कांग्रेस देहात अध्यक्ष लाल सिंह झाला, पूर्व संसदीय सचिव गजेन्द्र सिंह शक्तावत, भीम सिंह चुण्डावत, भीण्डर मित्र मंडल के पंकज गंगावत, सकल राजपूत महासभा, लोकजन सेवा संस्थान, कुमावत क्षत्रिय महासभा, मेवाड क्षत्रिय महासभा, दाधीच समाज, पूर्व कुलपति प्रो. लोकेश भट्ट, इतिहासविद् प्रो. के.एस. गुप्ता, डॉ. राजशेखर व्यास, केन्द्रीय विधि आयेाग के सदस्य प्रो. मूल चंद शर्मा, मगध विवि के पूर्व कुलपति प्रो. पाण्डे्य, गुजरात विवि के कुलपति प्रो. एन.एन. जॉनी सहित शहर के गणमान्य नागरिक एवं सामाजिक संगठनों ने कर्नल प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत को पगडी, दुपट्टा एवं प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।


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