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परस्पर क्षमाचायना के परिणाम सुखद

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20 Aug 17
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उदयपुर। आचार्य जिनदशर्न सूरीश्वरजी ने कहा कि इस महापर्व पर आत्मा शुद्धि के लिये क्षमापना परम क़तर्व्य है। सांसारिक प्राणियों में आपस में बैर, विरोध या दुर्भावना उत्पन्न होना स्वाभाविक है।
वे आज श्री शांतिनाथ जैन ७वेताम्बर जिनालय, हि.म. सेक्टर-4, आराधना भवन में पर्युषण महापर्व के दूसरे दिन श्रावक के क*ार्व्यों में प्रमुख क्षमापना पर विस्तारपूर्वक बताया कि बैर,विरोध एवं दुर्भावना को दूर करना अत्यन्त आवश्यक है अन्यथा इसके भयंकर परिणाम उत्पन्न होने की संभावना प्रबल होती है। शुद्ध हृदय से परस्पर क्षमा याचना करने के परिणाम अत्यन्त सुखद हो सकते है। यही जैन धर्म की एक वि६ोशता है। यदि लोगों में आपस में दुर्भावना या बैर भाव समाप्त हो जाये तो यह दुनिया सचमुच रहने लायक स्वर्ग तुल्य जगह बन सकती है। हृदय की विषालता रखने वाला व्यक्ति ही अपने शत्र्ु को भी सच्चे मन से क्षमा कर सकता है।
अध्यक्ष् सशील बांठिया ने बताया कि रविवार श्रीकल्पसूत्र् जी घर ले जाना, बोहराना, गुरू पुजन, पांच ज्ञान पूजा, अ६टप्रकारी पूजा का चढावा बोला जायेगा।

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