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मनु६य के साथ-साथ देवता भी करते है पयुषर्ण पर्व में आराधना

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20 Aug 17
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उदयपुर। साध्वी नीलाजंनाश्री ने कहा कि पयुषर्ण पर्व का इतना महत्व है कि इस पर्व के दौरान मनु६य के साथ-साथ देवता भी प्रभुभक्ति की आराधना करते है। पर्व के 8 दिनों के लिये देवता अपने विमान में अपनी देवियों के साथ 8 वें द्वीप नंदिश्वर द्वीप में जा कर आराधना करते है।
वे सुरजपोल स्थित दादाबाडी में आयोजित धर्मसभा में बोल रही थी। उन्हने कहा कि हम जम्बू द्वीप निवासी नंदीश्वर द्वीप को देख नहीं सकते है लेकिन नंदीश्वर द्वीप के दर्न जालोर में स्थित एक मंदिर में किये जा सकते है। इस द्वीप विभिन्न रत्नमयी शाश्वत 6448 प्रतिमाएं स्थापित की है। इन्हें किसी मनु६य ने नहीं वरन् स्वयं भगवान ने स्थापित की है।
उन्हने कहा कि नंदीश्वर द्वीप मे ं8 रतिकर पर्वत है। उस पर शाश्वत जिनालय है। इस दौरान देवता भी वहंा पर अ६टान्हिका पर्व धूमधाम से मनाते है। हम जप,तप,सामयिक,प्रतिक्रमण, उपवास,एकासणे आदि कर सकते है लेकिन देवता ये सभी नहीं कर सकते है वे सिर्फ भक्ति कर सकते है इसलिये इस जन्म में हम बहुत भाग्यशाली है कि हमें ये सब करने का अवसर प्राप्त हुआ है। ये पुण्य के फल मनु६य के अतिरिक्त देवता भी प्राप्त नहीं कर सकते है।
परमात्मा कहते है कि पयुषर्ण पर्व के दौरान शरीर, घर, मन्दिर, उपासरे को नहीं सजाना है हमें अपनी आत्मा को साजाना और वह भी तप,प्रत्याख्यान व आराधना से। दुनिया का सबसे बडा दान अभयदान है। उपवास के दौरान पंाचो इन्दि्रयों के दमन करने से ही वह उपवास सफल होता है।
रविवार को होगा कल्पसूत्र् का वाचन- चातुर्मास सह संयंोजक दलपत दोशी एवं प्रतापंसंह चेलावत ने बताया कि पर्युषण पर्व के तीसरे दिन रविवार को कल्पसूत्र् का वाचन होगा।

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