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अपराध को किसी धर्म से जोड़ना खुद आतंकवाद

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18 Feb 17
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अपराध को किसी धर्म से जोड़ना खुद आतंकवाद नई दिल्ली किसी भी एक व्यक्ति के अपराध और व्यक्तिगत करतूतों के आधार पर पूरे समाज, समूह या धर्म को दोषी क़रार देना ख़ुद बड़ा अपराध है। हिंदू आतंकवाद या इस्लामी दहशतगर्दी जैसे नाम देना ही अपने आप में आतंकवाद है।
कुछ दिन पहले मध्य प्रदेश में आईएसआई के लिए जासूसी के आरोप में पकड़े गए 11 लोगों को हिंदू आतंकवादी कहना और मीडिया का उसे उछालना बेहद ग़लत हरकत है। इसकी जितनी निंदा की जाए कम है। अपराधी किसी भी कौम में आटे में नमक की तरह हैं। ऐसे में उनकी वजह से धर्म को निशाना बनाना सरासर अपराध है। मीडिया का इसमें शामिल होना दुर्भाग्यपूर्ण और आश्चर्यजनक है। उक्त विचार ऑल इंडिया उलमा व मशाईख बोर्ड के संस्थापक और अध्यक्ष हज़रत मौलाना सैयद मोहम्मद अशरफ ने एक बैठक ने एक बैठक में व्यक्त किये।
उन्होंने कहा कि यह मीडिया का शर्मनाक चेहरा है जो देश के लोकतंत्र और अखंडता के लिए खतरा बनता जा रहा है। लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहा जाने वाला इस तरह के ग़ैर ज़िम्मेदाराना और अनैतिक व्यवहार का व्यावहारिक सबूत देगा, यह हैरतअंगेज़ है। यह स्पष्ट छदम पत्रकारिता है। इस पर लगाम लगाने की सख्त ज़रूरत है। सोशल मीडिया ने बहुत ही बेबाक और आपराधिक साहस का परिचय दिया। उन्होंने कहा कि इस तरह का प्रोपेगेंडा राजनीतिक अक्षमता, असफलता और छदम पत्रकारिता की आपराधिक साज़िश का नतीजा होता है। हम भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में रहते हैं। सऊदी, अमेरिका और इसराइल में नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि इस तरह का प्रोपेगेंडा एक राजनीतिक हथकंडा भी हो सकता हे! यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान इस तरह के सुलगते और भावनात्मक अभियोगी समाज को भड़काने के लिए करते हैं। यह भी किसी राजनीतिक आतंकवाद से कम नहीं। राजनीतिक सत्ता की वासना में आदमी इतना भी न गिर जाए कि देश, समाज और मानवता का भी सौदा करने के लिए तैयार हो जाए ! किसी भी चुनाव के लिए इस तरह के मामलों को अभियोगी बनाना अपने आप में निंदनीय है।
यह हमारी ज़िम्मेदारी है कि इस तरह के प्रोपेगेंडा का शिकार न हों। सोशल मीडिया पर अगर कोई भी व्यक्ति किसी भी अपराधी को उसके धर्म या रंग व नस्ल और उसकी जाति और समुदाय से संबंधित करता है तो उसका पूरा बहिष्कार किया जाए। ऐसे लोगों से हर तरह के सामाजिक रिश्ते तोड़ दिये जाएं। इस देश के युवाओं से विशेषकर अनुरोध है कि अब देश को मानवतावादी नेताओं की ज़रूरत है। एक दूसरे को दोषी ठहराना छोड़कर उसकी बागडोर संभालो। इस अभियान में ऑल इंडिया उलमा व मशाईख बोर्ड पिछले दस वर्षों से सक्रिय है। परोपकार, राष्ट्रीय एकता और सह-अस्तित्व के लिए लगातार कोशिश में है।
बैठक में बोर्ड के ज़िम्मेदार, उलेमा मशाईख और समाज के ज़िम्मेदार लोगों ने भाग लिया। बैठक का अंत बुज़ुर्गों की परंपरा का पालन करते हुए सलात व सलाम और देश और समाज के लिए अमन और खुशहाली की दुआ पर हुआ।


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