कांग्रेस के सामने कई चुनौतियां

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Published on : 23 Jul, 18 13:07

जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस के सामने कई चुनौतियां मुंह बाए खड़ी हैं। सूबे में जहां कांग्रेस संगठन के तौर पर मजबूत दिखाई नहीं देती, वहीं पार्टी के भीतर गुटबाजी व अंतर्कलह चरम पर है। जम्मू-कश्मीर में पार्टी के अध्यक्ष जीए मीर हैं, जो सूबे की सरकार में मंत्री रह चुके हैं और एक जमीनी नेता माने जाते हैं। वहीं, राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद भी इसी सूबे से हैं। इस बीच, घाटी से पीडीपी नेता तारीक हामिद कर्रा कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। कर्रा को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी की कार्यसमिति का स्थाई सदस्य मनोनीत किया है। सूत्रों का कहना है कि कर्रा के, जो 2014 के लोकसभा चुनाव में पीडीपी की टिकट पर नेकां के प्रत्याशी व पूर्व मुख्यमंत्री डा. फारूक अब्दुल्ला को हरा कर सांसद बने थे, गुलाम नबी आजाद के साथ असहज संबंध हैं। बताया जाता है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीए मीर के साथ भी आजाद के सौहार्दपूर्ण रिश्ते नहीं रहे। यह अलग बात है कि कर्रा को ध्यान में रखते हुए आजाद अब मीर के साथ मधुर संबंध बनाने में लगे हैं। यानी कांग्रेस पार्टी के भीतर यहां सूबे में इन तीनों बड़े नेताओं के अलग अलग गुट हैं। जबकि इन तीनों नेताओं की पार्टी आलाकमान के साथ सीधी पहुंच है। काबिलेजिक्र है कि 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा की ओर से पुरजोर कवायद शुरू हो गई है। परंतु कांग्रेस की ओर से अभी तक इस दिशा में एक भी कदम चला नहीं गया है। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जम्मू संभाग की दोनों संसदीय सीटों पर जीत हासिल की थी। जम्मू-पुंछ संसदीय सीट से भाजपा के जुगल किशोर शर्मा ने कांग्रेस के दो बार सांसद रहे मदन लाल शर्मा को शिकस्त दी थी। जबकि डोडा-उधमपुर-कठुआ संसदीय सीट से भाजपा की ओर से पहली बार अपनी किस्मत आजमा रहे डा. जितेंद्र सिंह ने कांग्रेस के कद्दावर कहे जाने वाले नेता गुलाम नबी आजाद को धूल चटाई थी।
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