उद्योग जगत सरकार की बदलती नीतियों से नाखुश

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Published on : 23 Jul, 18 12:07

उद्योग संगठन एसोचैम ने अप्रत्याशित ढंग से नियमों में बदलाव की केंद्र और राज्य सरकारों की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा है कि इससे उद्योग जगत के लिए जोखिम बढ़ गया है।संगठन ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि अचानक केंद्र या राज्य सरकारें कोई अधिसूचना जारी कर देती हैं जिससे कई बड़ी कंपनियों के लिए भी मुश्किलें बढ़ जाती हैं। उसने कहा है कि नियमों में बदलाव से पहले सरकार को हितधारकों से बात करनी चाहिए। एसोचैम ने केंद्र सरकार द्वारा ट्रक का एक्सेल लोड बढ़ाने और महाराष्ट्र सरकार द्वारा सिनेमाघरों में दर्शकों को अपना खाना ले जाने की छूट का जिक्र करते हुए कहा कि ये दोनों सरकारी नीतियों में अचानक बदलावों के उदाहरण हैं। इनके अलावा दूरसंचार क्षेत्र में अक्सर नीतियों में बदलावों से पूरी वैल्यू चेन पर असर पड़ता है। उसने कहा है कि तेजी से बदलती तकनीकों के कारण भी कई क्षेत्रों में कंपनियों को पहले से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।एसोचैम के महासचिव डी.एस. रावत ने दूरसंचार क्षेत्र का उदाहरण देते हुए कहा कि एक कंपनी ने ब्रॉडबैंड वाली सभी सेवाओं के लिए कारोबारी घोषणा की और पूरे वैल्यू चेन में उथल-पुथल मच गई। बड़ी कंपनियां तो टेलीविजन, लैंडलाइन फोन, डिवाइस कनेक्टिविटी जैसी कई सेवाएं दे रही हैं, लेकिन छोटी कंपनियां डीटीएच, ब्राडबैंड जैसी एक या दो सुविधाओं में कारोबार कर रही हैं। उनके लिए मुश्किल ज्यादा है। कहीं न कहीं बाजार में लंबे समय से कम कर रही कंपनियों ने अपना स्थान सुरक्षित मान लिया था। अब उनका अस्तित्व खतरे में पड़ गया है।नीतिगत बदलावों की घोषणाएं न सिर्फ क्षेत्र विशेष के नियामक कर रहे हैं, बल्कि केंद्र और राज्य सरकारें भी इसमें पीछे नहीं हैं। इसी प्रकार उच्चतम न्यायालय के पैनल के किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले ही दूरसंचार नियामक ने अपनी सिफारिश दे दी है।
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