अब वो आंखों की शरारत नहीं होने वाली...

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Published on : 22 Jul, 18 10:07

शायर व गीतकार की जुगलबन्दी ने अल्फाज व अवाज को दी एक पहिचान

अब वो आंखों की शरारत नहीं होने वाली...    उदयपुर। सृजन द स्पार्क संस्था की ओर से डीपीएस स्कूल के सहयोग से विद्यालय परिसर के अम्पी थियेटर में गजल संध्या अल्फाज व आवाज नामक कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें ख्यातनाम गजल लेखक पेशे से झारखण्ड के जीएसटी के चीफ कमिश्नर अजय पाण्डे ‘शहाब‘ ने वहीं के एसोसिएट कमिष्नर गजल लेखक राजेश सिंह की लिखी गजलों,गीतों एवं सुफियाना भजन को अपनी आवाज देकर ऐसा समां बांध की सभी सुधि श्रोता मंत्रमुग्ध हो गये।
अजय पाण्डे ‘शहाब‘ ने अपने कार्यक्रम की शुरूआत गजल ‘शाम एक भीगी परी सी..‘,‘अब वो आंखेां की शरारत नहीं होने वाली...‘,‘तन्हाईयों में अश्क बहाने से क्या मिला...‘,गीत ‘मैं पल दो पल दो पल का शायर ह...‘,सुफियाना भजन मनवा के बोल ‘मनवा तू काहे बैचेन रहे...‘ के अलावा पुरानी फिल्मों के गीतों को नये अंतरे में पेष कर सभी को आनन्दित कर दिया।
अजय शहाब का कहना था कि वे संगीत और अपने प्रोफेशन दोनों में तालमेल बिठा कर चलते है। उन्हने १३ वर्ष की उम्र से ही गजले लिखनी शुरू की और उनकी लिखी गजलों को पंकज उधास, हरिहरन,अनुराधा पौडवाल, अनूप जलोटा आदि ने अपना स्वर दे कर इसे अमर बना दिया। उस समय उनकी गजलों जनता एवं गायकों की ओर से हौसला आफजाई मिली तो उन्हें इस संगीत की दुनिया में आगे बढने का मौका मिला।
उन्होंने बताया कि अल्फाज व आवाज एक कन्सेप्ट है। साहिर लुधियानवी की गजलों को भी अपने कार्यक्रम में शामिल करते है क्योंकि उनकी लिखी गजलें जीवन जीने का मकसद देती है। उसके पीछे सामाजिक संदेष छिपा होता है। कार्यक्रम का प्रारम्भ महेश आमेटा ने गणपति वंदना से की।
प्रारम्भ में संस्था के पूर्व अध्यक्ष ष्याम एस. सिंघवी ने अतिथियों का स्वागत किया। संस्था का परिचय सचिव अब्बास अली बन्दुकवाला ने दिया। समारोह में डीपीएस के वाइस चेयरमेन गोविन्द अग्रवाल, संस्था के संरक्षक आईपीएस प्रसन्न कुमार खमसेरा, डिप्टी कमिश्नर अशोक सिंह जीएसटी, उस्मानिया वि.वि. के उर्दु विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो.सलमान आबिद,अहमदाबाद से आये ब्रजमोहन सूद,टाटा प्रोजेक्ट के डी.के.शर्मा,डॉ.दर्शन शाह,अहमदाबाद के डॉ. नवीन पटेल, सहित अनेक अतिथि मौजूद थे। कार्यक्रम में ओम कुमावत तबले पर, जितेश सोलंकी ओक्टापेड,गिरिराज गन्धर्व वॉयलिन, मुकेश तातियंा ढोलक पर संगत की। समारोह में अतिथियों का उपरना ओढाकर एवं स्मृति चिन्ह प्रदान किया। कार्यक्रम का संचालन ब्रजेष सेठ ने किया।

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