समाजों को जमीन मिलेगी तो मजबूत होगा सामाजिक विकास

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Published on : 17 Jul, 18 10:07

खाली बेकार पड़ी जमीनों को समाजों को देने की मांग

समाजों को जमीन मिलेगी तो मजबूत होगा सामाजिक विकास उदयपुर। यह कम ही लोग जानते हैं कि राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम 1963 के अन्तर्गत कई समाजों को नि:शुल्क 5 बीघा भूमि आवंटन की जा सकती है, लेकिन समाजों के आवेदन बरसों से लम्बित पड़े हैं या जिनको जमीन आवंटित हुई है वह नि:शुल्क और 5 बीघा तो दूर, महज जमीन का टुकड़ा दिया गया है वह भी शुल्क लेकर।
इस नियम के बावजूद आज भी आवंटन नहीं किया जा रहा है जबकि उदयपुर कलक्ट्रेट की 20 किलोमीटर की परिधी में 4,200 बीघा सरकारी जमीन बेकार पड़ी है। उल्टा अपराधी किस्म के लोगों द्वारा इन जमीनों पर अवैध कब्जा किए हुए हैं। वहीं कई बड़ी व्यावसायिक संस्थानों को कोडिय़ों के दाम पर जमीनें बांट दी गई हैं जो इलाज के नाम पर चांदी काट रहे हैं।
यही नहीं, राज्य की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और यूडीएच मंत्री श्रीचंद कृपलानी समाजों को जमीन आवंटित करने की घोषणा भी कर चुके हैं, इसके बावजूद जिला स्तर पर इस ओर कोई गंभीरता नहीं बरती गई है। यहां तक कि सरकार तो यह भी बात कह चुकी है कि इन जमीनों पर भवन बनाने के लिए 80 प्रतिशत खर्च सरकार वहन करेगी। समाज यदि 20 पैसा जोड़ेगा तो 30 पैसे यूआईटी और 50 पैसे राज्य सरकार देगी, बशर्ते कि वह समाज सभी अन्य समाजों को भी उस भवन का उपयोग करने की सहमति दे।
इन्हीं बातों की तरफ सरकार का ध्यानाकर्षण कराने के लिए आज लोहार समाज, कुमावत समाज, श्वेताम्बर जैन समाज, राव समाज, मेनारिया समाज, माली समाज, अग्रवाल समाज, खटीक समाज, साल्वी समाज, गुर्जरगोड़ समाज, माहेश्वरी समाज, दिगंबर जैन समाज, राजपूत समाज, साहू समाज, दर्जी समाज, मोची समाज आदि विभिन्न समाजों के प्रतिनिधियों की ओर से सोमवार सुबह 11.30 बजे जिला कलक्टर को ज्ञापन दिया गया ।
यदि लम्बित पड़े आवेदनों के निस्तारण के साथ समाजों को सरकार की मंशा के अनुरूप जमीन मिल जाती है तो हर समाज के पास जमीन होगी जो उनके लिए बेहद उपयोगी साबित होगी। समाज में किसी के भी मांगलिक कार्यक्रमों में महंगी किराये की वाटिकाओं में होने वाला खर्च बचेगा। इसके अलावा हर समाज के पास स्वयं का कार्यक्रम हॉल, मंदिर, अनाथालय, वृद्धाश्रम आदि संचालिन करने की व्यवस्था होगी। इतना ही नहीं, समाज यदि अपने समाज के उन बच्चों के रहने-खाने की व्यवस्था ही कर ले जो बाहर गांव से आकर यहां महंगे कमरों में रहने को मजबूर हैं, तब भी सामाजिक विकास में यह बहुत मजबूत कदम होगा।
ज्ञापन में पूर्व में आवंटित जमीनों पर समाजों से लिए गए शुल्क को पुन: लौटाने की मांग भी की गई।

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