आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस सॉल्यूशन लाखों लोगों के जीवन पर

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Published on : 10 Jul, 18 21:07

हेल्थकेयर में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस सॉल्यूशन लाखों लोगों के जीवन पर प्रभाव डालते हैं
उदयपुर। अनेक लोगों की आवश्यकताएं और सिर्फ कुछ लोगों के लिए उपलब्ध सेवाओं के अंतर को भरने के लिए स्वास्थ्य देखभाल में ऐसे तकनीकी समाधानों का उपयोग शुरू हुआ है, जिनमें बड़ी आबादी की जरूरतों को पूरा करने की क्षमता है। भारत में प्रति 10,000 की आबादी पर सिर्फ 4.8 डॉक्टर हैं। हालांकि वर्ष 2030 तक प्रति 10,000 लोगों के लिए डॉक्टरों की संख्या 6.9 तक पहुंचने की उम्मीद है, पर हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा अनुशंसित न्यूनतम डॉक्टर-मरीज अनुपात 1:1000 है।
राजस्थान स्थित एमहैल्थ सेवा प्रदाता और मेरापेशेंट ऐप के संस्थापक और अध्यक्ष मनीष मेहता ने कहा कि स्वास्थ्य भारत में राज्यों का मामला है। आंध्रप्रदेश, तेलांगना, महाराष्ट्र और नई दिल्ली जैसे राज्यों ने बीमारियों का निदान और महत्वपूर्ण देखभाल की निगरानी के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करना शुरू कर दिया है। इसके अलावा, राजस्थान के कुछ जिलों में कृषि क्षेत्र में एआई का इस्तेमाल हो रहा हैं। चूंकि भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सफलता के लिए, तकनीक को अमल में लाना महत्वपूर्ण है, इसलिए समय-समय पर नई प्रौद्योगिकियों को लागू करने के लिए डेटा एकत्र करने का काम करने वाले स्टार्टअप को बढ़ावा देने का यह सही समय है। भारत में मोबाइल स्वास्थ्य ऐप्स की बढ़ती संख्या के साथ, एमहैल्थ को अपनाने की आज विशेष रूप से जरूरत है, खासतौर पर ग्रामीण भारत में जहां योग्य और कुशल स्वास्थ्य पेशेवरों की कमी है। वाधवानी इंस्टिट्यूट फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (वाधवानी एआई) के सीईओ डॉ पी आनंदन ने कहा कि एआई सॉल्यूशंस के विकास से पैथोलॉजिस्ट की बढ़ती मांग भी पूरी होगी। इंटरनेट और स्मार्टफोन की तेजी से बढ़ती पहुंच के बाद भारत में स्वास्थ्य देखभाल के अंतर को दूर करने के लिए पर्याप्त अवसर उपलब्ध हुए हैं। एआई, इंटरनेट ऑफ थिंग्स और बिग डेटा जैसी नई प्रौद्योगिकियों के संयोजन के साथ, भारत हेल्थकेयर समाधानों के क्षेत्र में नया मुकाम कायम कर सकता है जो इस क्षेत्र के लिए परिवर्तनकारी साबित होगा।




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