आगंनवाडियों के लिए वरदान जिंक की खुशी परियोजना

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Published on : 30 Jun, 18 17:06

१० हजार ५ सौ से अधिक नौनिहाल हो रहे स्वास्थ्य, शिक्षा और पोषाहार से खुशहाल

आगंनवाडियों के लिए वरदान जिंक की खुशी परियोजना आंगनवाडी में बच्चों की बेहतर उपस्थिति और ठहराव को प्रभावी बनाने हेतु हिन्दुस्तान जिंक की खुशी परियोजना के तहत् महत्वपूर्ण कदम उठाएं, साथ ही बच्चों के सर्वागिण विकास जिससे उनके स्वास्थ्य,शिक्षा और पोषण को सुनिश्चित करने में खुशी परियोजना वरदान साबित हो रही है। इस परियोजना से वर्तमान में ५७४ आंगनवाडी केन्द्रों के १०७०१ बच्चें लाभान्वित हो रहे है। हिन्दुस्तान जिंक की खुशी परियोजना महिला एवं बाल विकास विभाग और केयर इंडिया की संयुक्त पहल है। जिले में आदिवासी घनत्व वाले ब्लॉक गंगरार, भदेसर एवं चित्तौडगढ ग्रामीण क्षेत्र में ६ वर्ष से कम आयु के बच्चों की स्वास्थ्य और शिक्षा स्तर को बेहतर बनाने के लिए सरकार की समेकित बाल विकास योजना आईसीडीएस की कार्यक्षमता और गुणवत्ता को सुदृढ किया जा रहा है। खुशी परियोजना चयनित आंगनवाडी केन्द्रों में गुणवत्तायुक्त शालापूर्व शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वच्छता को बढावा देने तथा फील्ड स्तर के अधिकारियों को गुणवत्ता युक्त पर्यवेक्षण सहायता प्रदान करने में सक्षम बनाया गया है। ५७४ आँगनवाडी केंद्रों में शालापूर्व शिक्षा को मजबूत करने के लिए ३-६ वर्षीय बच्चों की स्कूल पूर्व तैयारी, शारीरिक और मनोवैज्ञानिक-सामाजिक कल्याण सुनिश्चित करने के लिए आंगनवाडी केन्द्रो में प्रारंभिक बाल्यावस्था के विकास के लिए स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं, आहार और पूरक पोषण को मजबूत करने का प्रयास किया जा रहा है।

जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर के बाल विकास संस्थानों के माध्यम से मौजूदा कर्मचारियों,मास्टर ट्रेनर और आंगनवाडी पर्यवेक्षकों के लिए तकनीकी सहायता प्रणाली को मजबूत कर खास तौर पर आंगनवाडी केंद्रों में उपस्थित बच्चों की उपस्थिति, ठहराव और वृद्धि निगरानी को बढावा मिला है। इन केन्द्रों पर बच्चों के लिए अनुकूल और अधिक सुविधाजनक व्यवस्था बनाने के लिए बुनियादी ढांचे की मरम्मत और रखरखाव के संबंध में चयनित आंगनवाडी केन्द्रों में जरूरी आवश्यकताओं को पूरा किया जा रहा है। खुशी केन्द्रों से आंगनवाडी के बच्चों में जहां बेहतर नियममितता और उपस्थिति में सुधार आया है वहीं बच्चों के विकास और पोषण संबंधी निगरानी में भी सुधार आया है। कुपोषित बच्चों के प्रतिशत में गिरावट,अधिकाधिक सामुदायिक भागीदारी और बच्चों का ६ साल बाद औपचारिक स्कूलों में प्रवेश को सुनिश्चित किया जा रहा है। हिन्दुस्तान जिंक के हेड कार्पोरेट कम्यूनिकेशन पवन कौशिक ने बताया कि खुशी अभियान से ग्रामीण बच्चों, खासकर कुपोषित बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा व पोषाहार में परिवर्तन देखा जा रहा है। खुशी अभियान का लक्ष्य है कि भारत में कोई भी बच्चा कुपोषित ना रहे तथा ६ वर्ष की उम्र के सभी बच्चों को सुपोषण शिक्षा व स्वास्थ्य की सुविधाऐं उपलब्ध हो। राजस्थान के चित्तौडगढ, भीलवाडा, राजसमंद, उदयपुर और अजमेंर जिले में हिन्दुस्तान जिंक द्वारा खुशी बांटीयें कार्यक्रम में खुशी परियोजना के अन्तर्गत संचालित ३०८९ आंगनवाडी खुशी केन्द्रों के ६४००० से अधिक बच्चे लाभान्वित हो रहे है। बच्चों के कुपोषण स्तर में कमी हेतु किये गए प्रयास परियोजना क्षेत्र के बच्चों के कुपोषण स्तर में कमी लाना परियोजना का एक महत्वपूर्ण लक्ष्य है, इस हेतु परियोजना द्वारा वित्त्तीय वर्ष २०१७-१८ में २५ प्रतिशत आंगनवाडी केन्द्रों,गर्भवती, धात्री माताओं के घरों पर किचन गार्डन स्थापित करने का लक्ष्य था व १५४ किचन गार्डन स्थापित किये जा चूके है। कुपोषण की पहचान, समुदाय स्तर पर जागरूकता लाने व परामर्श सत्रों के आयोजन हेतु परियोजना कार्यकर्ताओं व आंगनवाडी कार्यकर्ताओं की दक्षता वृदि हेतु प्रारंभिक बाल्यवस्था स्वास्थ्य व पोषण विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया गया एवं परियोजना कार्यकर्ताओं व आंगनवाडी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया गया। परियोजना द्वारा आंगनवाडी केन्द्रों पर ०-६ वर्ष के बच्चों के स्वास्थ्य जाँच हेतु स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन किया गया व चिन्हित अति-कुपोषित बच्चों के बेहतर शारिरीक विकास करने हेतु प्रयास किये गए, कुपोषित बच्चों के माता-पिता व अभिभावकों को गृह-भ्रमण के दौरान बच्चों के स्वास्थ्य, पोषण व देख-भाल पर परामर्श प्रदान किया जा रहा है।सामुदायिक स्तर जागरूकता लाने व कुपोषित बच्चों के कुपोषण में कमी लाने हेतु सामुदायिक सहयोग एवं सहभागिता से समुदाय आधारित पोषण कार्यक्रमों का आयोजन किया गया व इन आयोजित कार्यक्रमों से बच्चे व अभिभावक लाभान्वित हुए। ६ साल बाद में बच्चों की मुख्यधारा से जोडने हेतु प्रयास बाल्यवस्था में आंगनवाडी केंद्र पर शाला पूर्व शिक्षा के माध्यम से बच्चों को विधालयों हेतु तैयार करना व विधालयों से जोडने हेतु प्रयासों के तहत प्रशिक्षित क्लस्टर कोऑर्डिनेटर व ३ ब्लाक को ऑर्डिनेटर को शाला पूर्व शिक्षा विषय पर प्रशिक्षण प्राप्त कर परियोजना क्षेत्र में आंगनवाडी कार्यकर्ताओं का आंगनवाडी केन्द्रों पर शाला पूर्व शिक्षा प्रदान करने में सहयोग कर रहें है, इसी क्रम में ४९६ आंगनवाडी कार्यकर्ताओं को परियोजना द्वारा शाला पूर्व शिक्षा विषय पर प्रशिक्षित किया गया व शाला पूर्व शिक्षा को बढावा देने हेतु ५६७ केन्द्रों पर कहानी की किताबें वितरित की गयी। विद्यालय प्रवेश योग्य बच्चों की सूचि बना कर खुशी टीम इन बच्चों का निकटतम विधालय में नामांकन करवाने हेतु कार्यरत है। आंगनवाडी केन्द्रों पर सामुदायिक सहयोग व सहभागिता में वृद्धि हेतु प्रयास आंगनवाडी केन्द्रों को समुदाय की प्राथमिकता पर लाने व केन्द्रों की गतिविधियों में सामुदायिक सहभागिता व सहयोग सुनिश्चित करने हेतु आंगनवाडी केन्द्रों पर अभिभावक बैठकों, समुदायिक बैठकों, माताओं की बैठकों, महत्वपूर्ण दिवस व सप्ताह का आयोजन किया गया व इन सभी गतिविधियों में सामुदायिक सहभागिता सुनश्चित करने हेतु प्रयास किये गये। शाला पूर्व शिक्षा व बाल स्वास्थ्य जागरूकता हेतु ८० नुक्कड नाटकों का आयोजन किया गया। ग्रेडिंग टूल द्वारा १४५ आंगनवाडी केन्द्रों पर चाइल्ड अस्सेस्मेंट किया गया। ५७४ आंगनवाडी केन्द्रों के १०५०० बच्चों को पोशाक वितरण हेतु जिला स्तरीय व पंचायत स्तरीय कार्यक्रमों का आयोजन व आंगनवाडी केंद्र के बच्चों को पोशाक वितरण किया गया।
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