भक्त का न जाति न गोत्र

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Published on : 23 Jun, 18 09:06

उदयपुर । नारायण सेवा संस्थान के लियों का गुडा स्थित सेवामहातीर्थ, बडी में आयोजित श्रीराम -कृष्ण कथा एवं ’अपनों से अपनी बात’ कार्यक्रम के समापन पर शुक्रवार को संस्थान संस्थापक कैलाष ’मानव‘ ने कहा कि जो व्यक्ति भगवान की शरण में चला गया उसका कोई गोत्र या जाति नहीं होती। वह केवल ईश्वर का होता है। जब भगवान की ही कोई जाति नहीं और वे सभी के साथ समानता का व्यवहार करते हैं तो लोग जात-पात का भेद क्यों करते हैं? उन्होने कहा कि मतंग ऋषि के आश्रम में नित्य राम के आगमन के लिए रास्ते की सफाई और उनकी प्रतीक्षा में भक्ति के कारण ही शबरी को राम का धाम मिला। भक्ति अनुपम सुख की जड है, जीवन में यदि संतों की सेवा का लाभ व कृपा मिल जाए तो जीवन संवर जाता है। अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने भी अपने विचार व्यक्त किए।कार्यक्रम का संस्कार चैनल पर सीधा प्रसारण किया गया। संचालन महिम जैन ने किया।


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