योगासन नहीं योग दिवस मनाएँ - डॉ. वर्मा

( 21600 बार पढ़ी गयी)
Published on : 20 Jun, 18 17:06

योगासन नहीं योग दिवस मनाएँ - डॉ. वर्मा उदयपुर अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की पूर्व संध्या पर सोसाइटी फॉर माइक्रोवाइटा रिसर्च एंड इंटीग्रेटेड मेडिसिन (स्मरिम),उदयपुर द्वारा भीलों का बेदला स्थित पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल्स में अध्ययनरत एम. बी. बी. एस. छात्र-छात्राओं के लिए योग तथा योगासन में अंतर स्पष्ट करने हेतु एक गोष्ठी का आयोजन किया गया. कार्यक्रम के आरम्भ में स्मरिम सचिव डॉ. वर्तिका जैन ने सोसाइटी के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए बताया की यह गोष्ठी 'योग दिवस' का यथार्थ अभिप्राय बताने हेतु आयोजित की गयी है.
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता स्मरिम अध्यक्ष डॉ. एस. के. वर्मा ने बताया की वर्तमान में 'योग' शब्द का अर्थ 'योगासन' से लिया जा रहा है जिस कारण हर जगह योग दिवस के स्थान पर योगासन दिवस मनाया जा रहा है. उन्होंने कहा की 'योग' शब्द की व्याख्या अलग-अलग तरीके से की गयी है. महर्षि पतंजलि के अनुसार 'योग' का अर्थ है जो चित्त की समस्त वृतियों को स्तंभित कर दे परन्तु उस अर्थ के अनुसार मूर्छना और योग में फिर कोई अंतर नहीं रहेगा. एक अन्य परिभाषा के अनुसार 'योग' का तात्पर्य है समस्त प्रकार की चिंताओं से मुक्त रहना.
डॉ. वर्मा ने कहा की वर्तमान युग के महामनीषी श्री पी. आर. सरकार के अनुसार 'योग' शब्द के निर्माण में 'युज' तथा 'युञ्ज' दो धातुओं का प्रयोग किया जाता है तथा उस अनुसार 'योग' का अर्थ 'संयोगो योगो इत्युक्तो जीवात्मा परमात्मन:' परिभाषा से प्रदर्शित किया जा सकता है जिसके आधार पर 'योग' शब्द का अर्थ जीवात्मा और परमात्मा का एकीकरण है, जिस प्रकार जल में चीनी मिलाने पर दोनों मिल-जुल कर एक हो जाते हैं, योग का वास्तविक अर्थ भी वही है तथा जिसके लिए नैतिकता के आधार पर आध्यात्मिक साधना का अनुशीलन करना होगा तभी योग दिवस सही मायने में चरितार्थ होगा. उन्होंने जैव-मनोविज्ञान के परिप्रेक्ष्य में योग को समझाते हुए बताया की उचित पद्धति से योग करने से मानव के भौतिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक सभी क्लेशों की निवृत्ति संभव होती है. कार्यक्रम के अंत में इन्दर सिंह राठौर ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया.
साभार :


© CopyRight Pressnote.in | A Avid Web Solutions Venture.