राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को कहा कि भारत और यूरोपीय संघ को दुनिया को समझाना चाहिए कि ‘‘अच्छे और बुरे’ आतंकवादियों के बीच कोई अंतर नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने आतंकवाद के राज्य प्रायोजकों पर प्रतिबंध लगाए जाने पर भी बल दिया। जाहिर तौर पर उनकी टिप्पणी पाकिस्तान के संदर्भ में थी जिस पर आतंकवादियों को सुरक्षित ठिकाना प्रदान करने का लंबे समय से आरोप लगता रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत ऐसे अंतरराष्ट्रीय शासन को लेकर प्रतिबद्ध है जो व्यवहार्य और टिकाऊ हो तथा राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता का सम्मान करता हो। को¨वद ने कहा कि यूरोप के पूरब और भारत के पश्चिम में अस्थिरता और अतिवाद वाले क्षेत्र हैं। वे यूरोप और भारत दोनों के लिए चिंता का विषय हैं। वह हेलेनिक फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में ‘‘यूरोप के साथ भारत के संबंध’ विषय पर बोल रहे थे। यह संस्थान प्रमुख विदेश नीति ¨थक-टैंक है। राष्ट्रपति ने कट्टरपंथ और आतंकवाद की पहचान प्रमुख नियंतण्र चिंताओं के रूप में की। उन्होंने कहा कि राज्य और राज्य से इतर तत्वों द्वारा आतंकवाद को बढ़ावा देना, विवेकहीन नफरत से पैदा उग्रवाद और आतंकवादी समूहों के वित्तीय चैनल किसी एक या दूसरे देश को नहीं बल्कि सभी मानवता के लिए खतरा पैदा करते हैं। उन्होंने खतरे का मुकाबला करने और आतंकवादियों के वित्त पोषण पर नियंतण्रके लिए ‘‘फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स’ (एफएटीएफ) और ‘‘ग्लोबल काउंटर-टेरोरिज्म फोरम’ जैसे बहुपक्षीय मंचों को मजबूत बनाए जाने पर भी बल दिया। भारत, अफगानिस्तान और अमेरिका का आरोप है कि पाकिस्तान आतंकवादियों, अफगान तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के तत्वों को सुरक्षित पनाह मुहैया कराता है।
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