‘बच्चे की दोनों किडनी शिराओं की सफल एंजियोप्लास्टी’

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Published on : 20 Jun, 18 08:06

संभाग में पहली बार गीतांजली के कार्डिलोजिस्ट द्वारा सफल इलाज

‘बच्चे की दोनों किडनी शिराओं की सफल एंजियोप्लास्टी’ उदयपुर, गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल के कार्डियोलोजी विभाग के विशेषज्ञों ने 10 वर्षीय बच्चे की दोनों किडनी की शिराओं की एंजियोप्लास्टी कर इलाज किया। डॉ रमेश पटेल एवं डॉ डैनी कुमार ने यह दावा किया है कि इतने छोटे बच्चे के किडनी की नसों का इलाज संभाग में पहली बार हुआ है।

सलुम्बर निवासी पंकज (उम्र 10वर्ष) ने सांस की परेशानी एवं हाथ-पैरों में सूजन के चलते गीतांजली हॉस्पिटल में बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ देवेंद्र सरीन से परामर्श लिया। उस वक्त उसका ब्लड-प्रेशर 200 से भी अधिक आया। सोनोग्राफी एवं सीटी स्केन की जांचों में दोनों किडनियों की नसों में ब्लॉकेज पाया गया जिस कारण उसका ब्लड-प्रेशर इतना ज्यादा था। किडनी की एक नस 90 प्रतिशत तो वहीं दूसरी नस 95 प्रतिशत तक ब्लॉक थी। इस ब्लॉकेज के कारण आने वाले समय में बच्चे की दोनों किडनियां खराब हो सकती थी। इस बीमारी को बायलेट्रल रीनल आर्टरी स्टोनिसिस कहते है। अब इस बीमारी का उपचार दो प्रकार से संभव था। पहला किडनी प्रत्यारोपण और दूसरा नयी शिराओं एवं ग्राफ्ट का प्रत्यारोपण कर डायलिसिस कराना जो एक बहुत बडी एवं मेजर सर्जरी हो जाती। इसमें बच्चे की जान को भी अत्यधिक खतरा था। इस कारण युक्त उपचार हेतु बच्चे को कार्डियोलोजिस्ट डॉ रमेश पटेल के पास रेफर किया गया।
डॉ रमेश पटेल एवं डॉ डैनी कुमार ने कैथ लेब में बच्चे की दोनों किडनी की शिराओं की एंजियोप्लास्टी कर उपचार किया। इस प्रक्रिया को बायलेट्रल परक्यूटेनियस ट्रांसल्यूमिनल रीनल एंजियोप्लास्टी कहते है। इसमें बिना किसी चीर फाड के पांव की नस से जा कर खराब नसों को रिपेयर किया गया। इस प्रक्रिया में केवल 30 मिनट का समय लगा एवं दूसरे ही दिन रोगी को हॉस्पिटल से छुट्टी प्रदान की गई। इस प्रक्रिया द्वारा इलाज आमतौर पर बडों में किया जाती है परंतु 10 वर्षीय बच्चे की दोनों किडनियों की नसों का इलाज संभाग में पहली बार हुआ है।
डॉ पटेल ने बताया कि यह बीमारी जन्मजात विकृति होती है। इसकी वजह से ब्लड प्रेशर काफी बढा हुआ रहता है और शरीर के अंग तेजी से खराब हो जाते है।

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