जैविक राज्य सिक्किम - देश के लिए अनुकरणीय उदाहरण

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Published on : 13 Jun, 18 13:06

जैविक राज्य सिक्किम - देश के लिए अनुकरणीय उदाहरण उदयपुर । जैविक खेती पर अग्रवर्ती संकाय प्रशिक्षण केंद्र के अंतर्गत जैविक कृषि पद्धति से उत्पादन ज्यादा मुनाफा तथा टिकाऊपन हेतु नवाचार तकनीकें एवं रणनीतियोंपर २१ दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रममहाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर में डॉ. रविकांत अवस्थी, संयुक्त निर्देशक, आईसीएआर- राश्ट्रीय जैविक खेती अनुसंधान संस्थान, गंगटोंक(सिक्किम) ने बताया कि सिक्किम में जैविक खेती की शुरूआत वर्श २००३ से राज्य विधानसभा में सिक्किम के मुख्यमंत्री की घोशणा के साथ देष के लिए अनुकरणीय षुरूआत हुई।
डॉ. अवस्थी ने बताया कि राजस्थान देश का सबसे अधिक क्षेत्रफल वाला राज्य है, जो जैविक खेती के नवाचारों को अपनाकर राश्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पहचान बना सकता है। राजस्थान मे वर्तमान में लगभग ६७००० हैक्टेयर क्षेत्रफल में जैविक खेती की जा रही है। जबकि राजस्थान के दक्षिणी जिलों में जैविक खेती की अपार संभावनाएंे है, जिसके लिए राज्य सरकार एवं विश्वविद्यालय को मिलकर कार्य करने की जरूरत है।
जैविक खेती मिषन के अन्तर्गत दिसम्बर, २०१५ के अन्त तक सिक्किम में ७७००० हैक्टेयर भूमि को पूर्णतः जैविक खेती में बदलने के उपरांत माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने १८ जनवरी, २०१६ को सिक्किम को देष का पहला जैविक खेती राज्य घोशित किया। जैविक खेती की इस पहचान एवं सतत् अनुसंधान की जरूरत को देखते हुए आईसीएआर- राश्ट्रीय जैविक खेती अनुसंधान संस्थान, गंगटोंक में बनाया गया। इस प्रकार राजस्थान में भी उपलब्ध जैविक खेती की संभावनाओं को देखते हुए नवाचारों के माध्यम से अनुसंधान आधारित तकनीकें विकसित करना, कौषल विकास, क्षमता निर्माण तथा तकनीकी हस्तान्तरण के कार्यो को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
२००३ से अब तक उचित प्रबन्धन के कारण अधिकतर फसलों की उपज परम्परागत रासायनिक खेती के बराबर पहुंच गई है। उन्होनें बताया कि फसलों एवं बगीचों में खरपतवार नियंत्रण तथा सामूहिक मार्केटिंग को सुधारकर जैविक किसानों की आय में वृद्धि की जा सकती है।

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