राष्ट्रपति निकोलस मदुरो की चुनाव में दूसरी बार भारी जीत

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Published on : 25 May, 18 13:05

लैटिन अमेरिकी देश वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मदुरो की चुनाव में दूसरी बार भारी जीत के बाद उसे नए अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे वहां खाद्यान्न, दवाएं और मूलभूत वस्तुओं की भारी किल्लत हो गई है। ऐसे में वेनेजुएला भारत के साथ अपना व्यापार डालर के बजाय रुपये में करना चाहता है ताकि वह उन रुपयों से भारतीय सामानों की खरीद भी सीधे कर सके।भारत में वेनेजुएला के राजदूत अगस्तो मोन्टिल ने ‘‘राष्ट्रीय सहारा’ से खास बातचीत में कहा, बीते रविवार को उनके देश में आम चुनाव हुए, जिसमें 67 फीसद मताधिकार का प्रयोग हुआ और दो तिहाई जनता ने निकोलस मदुरो को फिर से अपना राष्ट्रपति चुना। देशवासियों का वह मैन्डेड अमेरिका के खिलाफ भी माना जाएगा, जिसने उनके देश पर तमाम आर्थिक प्रतिबंध लगा रखा है। उन्होंने कहा, उनकी सरकार पर निष्पक्ष चुनाव न कराने का आरोप जो अमेरिका द्वारा लगाया गया है वह निराधार है। वह उसके प्रमुख तेल के कुंओं पर कब्जे के लिए की जा रही उसकी कवायद है। उन कुंओं में तेल का भंडार है। राजदूत ने कहा, 2002 और फिर 2012 में अमेरिका के ही जिमी कार्टर ने वेनेजुएला के मतदान पण्राली की तारीफ की थी। अगस्तो ने कहा, उनके देश की चुनाव पण्राली दुनिया के बेहतरीन चुनाव पण्रालियों में से एक है।अगस्तो ने कहा, अमेरिका अपनी पूरी लीमा विरादरी (अमेरिका समर्थक लैटिन अमेरिकी देश) के साथ मिलकर वेनेजुएला को ध्वस्त करना चाहता है। वहां की कम्यूनिस्ट सरकार को अपदस्थ करना चाहता है। दरअसल यह सैद्धान्तिक लड़ाई नहीं बल्कि आर्थिक लड़ाई है। अमेरिका ने वहां कई तरह के सेंसर लगा रखे हैं। वह खाद्यान से भरे जहाजों को वेनेजुएला में नहीं पहुंचने दे रहा। उन्होंने कहा, वेनेजुएला की कुछ विपक्षी पार्टियां भी अमेरिका के साथ मिलकर काम कर रही हैं और उसे निकोलस मदुरो के खिलाफ उकसाती रहती हैं। राजदूत अगस्तो ने कहा, वेनेजुएला सरकार अमेरिका से बात करना चाहती है, लेकिन अमेरिका बातचीत को भी राजी नहीं है। जिस तरह क्यूबा के खिलाफ अमेरिका ने काम किया उसी तरह का वर्ताव वह वेनेजुएला के साथ कर रहा है।अमेरिका ने वेनेजुएला मे रविवार को हुये चुनाव के बाद देश पर नए आर्थिक प्रतिबन्ध लगाए हैं।
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