सबसे ऊँची चोटी कंचनजंघा को नजदीक से देखने का अवसर मिलता है दार्जलिंग में

( 37127 बार पढ़ी गयी)
Published on : 24 May, 18 11:05

डॉ.प्रभात कुमार सिंघल

सबसे ऊँची चोटी कंचनजंघा को नजदीक से देखने का अवसर मिलता है दार्जलिंग में कोटा | प्रकृति का खूबसूरत नजारा लिये दार्जलिंग हिल स्टेशन शिवालिक पर्वत माला की गोद में स्थित है। यह सुन्दर नगर होने के साथ-साथ पश्चिमी बंगाल का जिला मुख्यालय भी है। ब्रिटिश राजाओं के समय दौरान यहां की समशीतोष्ण जलवायु को देखते हुए इसे पर्वतीय स्थल बनाया गया। दार्जलिंग अपनी चाय के लिए विशेष रूप से दुनिया में पहचान बनाता है। पहाडी ढलानों पर चाय के बगीचे एवं उनमें चाय की पत्तियों को तोडते हुए महिलाओं को देखकर दर्शक एक अलग ही दुनियां में पहुँच जाते हैं। दार्जलिंग तथा इसके आस-पास ८७ चाय के उद्यान है। शहर से ३ कि.मी. दूरी पर स्थित ”हैपी-वैली-चाय उद्यान“ को देखने के लिए आसानी से पहुँचा जा सकता है। यहां विभिन्न किस्मों की चाय पाई जाती है। पहाड की चोटी पर ब्रिटिश काल की अनेक इमारतें सैलानियों को आकर्षित करती हैं। यहां प्राचीन एवं आधुनिक भवनों का संगम शहर को एक खास सुन्दरता प्रदान करता है।
टाइगर हिल
टाइगर हिल यहां का सबसे रोमानी पर्यटक स्थल है। हर सुबह पर्यटक यहां चढाई करते हुए नजर आते हैं। इसके पास ही स्थित विश्व की तीसरी सबसे ऊँची चोटी कंचनजंघा को नजदीक से देखने का अवसर मिलता है। कंचनजंघा को रोमांटिक माउन्टेन की उपाधि दी गई है। इसकी सुन्दरता, धूप और छांव में बदलते रंग दर्शकों को अविभूत कर देते हैं। इस चोटी को अनेक बार फिल्मकारों ने अपनी फिल्मों में सुन्दरता से दर्शाया है। यहां चढने के लिए कोई शुल्क नहीं लगता है परन्तु टावर पर चढने एवं इस पर बैठने का शुल्क लगता है। टाइगर हिल के नजदीक बना धूम मठ एक ईगा चोइलिंग तिब्बतियन मठ दर्शनीय है। मठ में भगवान बुद्धकी १५ फीट ऊँची मूर्ति स्थापित की गई है जो कीमती पत्थर की है तथा इसपर सोने की परत चढाई गई है। मठ में संस्कृत एवं तिब्बतियन भाषा के बहुमूल्य ग्रंथों का संग्रहालय भी दर्शनीय है।
हिमालियन टॉय ट्रेन
दार्जलिंग की हिमालय ट्रेन सर्वाधिक प्रसिद्ध है जिसके सम्पूर्ण प्राकृतिक परिवेश को देखते हुए वर्ष १९९९ में यूनेस्को ने इसे विश्व विरासत धरोहर के रूप में घोषित किया। विशेष कर बच्चों एवं सभी सैलानियों के लिए यह खिलौना गाडी महत्वपूर्ण आकर्षण रखती है। इसका इंजन आज भी वाष्पचलित है। करीब ७८ कि.मी. के इस अनोखे ट्रेक का निर्माण १८८१ ई. में पूर्ण हुआ। दार्जलिंग हिमालयन रेल मार्ग इंजिनियरिंग का आश्चर्यजनक नमूना है। पूरा रेल खण्ड समुद्रतल से ७५४६ फीट ऊँचाई पर स्थित है। यह रेल कई टेढे-मेढे रास्तों तथा वृत्ताकार मार्गों से होकर गुजरती है और पूरे रास्ते का प्राकृतिक परिवेश सैलानियों को एक सपनों की दुनिया में ले जाता है। मार्ग में बताशिया लूप से होकर जब यह ट्रेन गुजरती है तो ८ अंक के आकार की हो जाती है। यह ट्रेन दार्जलिंग से करीब १५ स्टेशन पार कर न्यू जलपाईगुडी तक पर्यटकों को ले जाती है। यदि समय कम हो तो भी इस ट्रेन से दार्जलिंग से धूम मठ तक अवश्य जाना चाहिए।
तेजिंगस लेगेसी -
टाइगर हिल के पश्चात् तेंजिंगस लेगेसी हिमालय माउन्टेनिंग संस्थान एक दर्शनीय स्थल है जिसकी स्थापना वर्ष १९५३ में पहली बार हिमालय पर चढाई की विजय प्राप्त करने के उपलक्ष में १९५४ को की गई थी। यहां एक संग्रहालय भी बनाया गया है, जिसमें हिमालय पर चढाई के लिए समय-समय पर किये गये ऐतिहासिक अभियानों से सम्बन्धित वस्तुओं को प्रदर्शित किया गया है। यहां पर्वतारोहण का प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाता है।

साभार :


© CopyRight Pressnote.in | A Avid Web Solutions Venture.