वैदिक धर्म और आर्यसमाज को समर्पित आचार्य चन्द्रशेखरशास्त्री‘

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Published on : 22 May, 18 15:05

मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून

आचार्य चन्द्रषेखर षास्त्री जी के व्यक्तित्व व कृतित्व से समूचा आर्यजगत एवं विद्वदजन परिचित हैं। आप बहुप्रतिभाषाली व्यक्तित्व के धनी वैदिक विद्वान हैं। बचपन में ही आपने पाणिनी अश्टाध्यायी व धातुपाठ पुस्तकों को कण्ठ कर लिया था। आपकी षिक्षा दीक्षा वैदिक गरुकुल, आमसेना (उडीसा) में हुई है। आपने एम.ए. संस्कृत की परीक्षा सर्वाधिक अंक प्राप्त कर उत्तीर्ण की। इस परीक्षा में आपने स्वर्णपदक प्राप्त किया। वेद एवं समस्त वैदिक साहित्य पर आपको अधिकार प्राप्त है। आप वेद प्रवचन सहित रामायण एवं गीता आदि पर भी सरस एवं प्रभावषाली व्याख्यान देने सहित कथा आदि भी करते हैं। आर्यसमाजी और कुछ पौराणिक बन्धु भी आफ व्यक्तित्व से आकर्शित एवं प्रभावित हैं। आप उडीसा में एक गुरुकुल आश्रम ’भरसुजा‘ स्थापित कर रहे है जिसके भवनों के निर्माण का कार्य आरम्भ किया जा चुका है। आप आर्यसमाज के प्रभावषाली प्रचारक एवं वक्ता हैं। आपकी आध्यात्मिक व सामाजिक विशयों के वर्णन की षैली श्रोताओं के हृदय को प्रभावित करती है। लेखन के क्षेत्र में भी आपने लगभग ४० पुस्तकें लिखी व सम्पादित की हैं। आपने अपना बहुत सा साहित्य निःषुल्क वितरित कर एक प्रषंसनीय कार्य किया है। आपकी पुस्तक ’प्रेरणा के फूल‘ का अंग्रेजी एवं उडया भाशा में अनुवाद भी हुआ है। आर्यजगत के विद्वान डा. सुन्दर लाल कथूरिया, डी.लिट. को विष्वास है कि आने वाले कुछ वर्शों में आपकी अनेक पुस्तकों का अनेक भाशाओं में अनुवाद सम्पन्न होगा। भविश्य में भी आपसे अनेक विशयों पर प्रचार व अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण ग्रन्थों की प्राप्ति होने की आषा की जाती है।

पं. चन्द्रषेखर षास्त्री भारत में तो आर्यसमाज व वैदिक विचारधारा का प्रचार करते ही हैं, मारीषस, नेपाल, यूरोप, अमेरिका, कनाडा एवं अन्य अनेक देषों में भी आपने वैदिक विचारधारा का प्रभावषाली प्रचार किया है। देष में जब जब भूकम्प, बाढ व सुनामी आदि आई हैं, तब तब आपने वहां जाकर पीडतों की सहायता व सहयोग किया है। वैदिक धर्म और संस्कृति से आपको विषेश प्रेम है। आपकी वेष भूशा पूर्णतया भारतीय व वैदिक है। आपकी वाणी में मधुरता है और व्यवहार में सरलता एवं सादगी है। आप जिससे भी मिलते हैं, अपने व्यवहार व वाणी से उसे अपना बना लेते हैं। यज्ञों से आपको विषेश प्रेम है। आपने देष विदेष में बडी संख्या में वेदपारायण यज्ञ सम्पन्न कराये हैं। आपकी संन्ध्या व यज्ञ पर वीसीडी सर्वाधिक लोकप्रिय हुई है। यूट्यूब पर भी आपकी सन्ध्या एवं प्रवचन आदि की प्रभावषाली वीडियो चलचित्र उपलब्ध ह। व्हटषप का भी आप प्रयोग करते हैं। यह आधुनिक विज्ञान की देन व्हटषप भी आजकल प्रचार का एक प्रमुख साधन बन गया है। हम स्वयं भी इस साधन द्वारा प्रतिदिन सहस्रों लोगों तक वैदिक विचारधारा पर अपना एक लेख भेजते हैं।

पत्र पत्रिकाओं का सम्पादन भी आर्यसमाज की वैदिक विचारधारा के प्रचार-प्रसार से जुडा हुआ एक प्रमुख क्षेत्र है। आप वेद और आर्यसमाज की विचारधारा के प्रचार प्रसार हेतु एक मासिक पत्रिका ’अध्यात्म पथ‘ का सम्पादन विगत लगभग ११ वर्शों से कर रहे हैं। इस पत्रिका में ईष्वर, वेद, ऋशि दयानन्द और आर्यसमाज सहित सामयिक विशयों पर जानकारी आचार्य चन्द्रषेखर षास्त्री द्वारा नियमित रूप से उपलब्ध कराई जाती है। ईष्वर, वेद, ऋशि दयानन्द सहित प्रमुख आर्य महापुरुशों पर लेख का प्रकाषन भी नियमित रूप से ’अध्यात्म पथ‘ में किया जाता है। आर्यजगत के अनेक प्रसिद्ध विद्वानों की रचनायें इस पत्रिका में प्रकाषित की जाती है। ऐसी अनेक गतिविधियों व कार्यों से षास्त्री जी जुडे हुए हैं। आप पचास वर्श की आयु के युवा ह। आापका व्यक्तित्व आकर्शक एवं प्रभावषाली है। आपकी सभी गतिविधियों से आर्यसमाज निरन्तर प्रभावषाली व बलषाली हो रहा है। आप पद, प्रतिश्ठा, लोकैशणा, राजनीति आदि से सर्वथा दूर हैं। आपका पूरा समय आर्यसमाज को ऊंचा उठाने व आगे बढाने में ही व्यतीत होता है। इस कारण समूचा आर्यजगत आपसे अनेक अपेक्षायें रखता है।

आचार्य चन्द्रषेखर षास्त्री जी ने लगभग ४० पुस्तकें लिखी व सम्पादित की हैं। आपकी प्रमुख पुस्तकें हैं अभिनव भजनांजलि, प्रेरणा के फूल (हिन्दी, अंग्रेजी, उडया), सरस भजन, मिट गई चिन्ता सारी (विष्व की अनमोल रचना), मनन कर मन मेरे, गायत्री महिमा, महामृत्युंजय मंत्र का अनुश्ठान, आराधना, आहार विहार एक वैज्ञानिक विवेचन एवं यज्ञालोक आदि। अन्य सभी पुस्तकें भी समान रूप से उपयोगी एवं पठनीय है। आपकी सुखी गृहस्थ विशयक सी.डी. भी तीन भागों में उपलब्ध हैं। इस सी.डी. में गृहस्थ जीवन को सुखमय एवं सरल बनाने के लिए अनुपम प्रवचन हैं। ऐसी ही ’आनन्द की लहरें‘ सीडी में जीवन के तनाव, कुंठा, निराषा व अषान्ति को दूर कर अध्यात्म दर्षन के आनन्द की दिव्य अनुभूति कराने वाले मनोहारी प्रवचन हैं। आपने छः लोकप्रिय पुस्तकों का सम्पादन भी किया हैं। यह पुस्तकें हैं संध्या प्रवचन, गोकरूणा निधि, व्यवहार भानु, प्रार्थना के स्वर एवं वेदों की झलक एवं यज्ञ गौरव आदि।

आचार्य चन्द्रषेखर षास्त्री जी ने वैदिक धर्म और आर्यसमाज की प्रषंसनीय सेवा की है। आपकी सेवाओं के लिए समय समय पर अनेक संस्थाओं ने आपको सम्मानित कर स्वयं को गौरवान्वित किया है। योग ऋशि स्वामी रामदेव जी के कर कमलों से आप आर्य विभूशण पुरस्कार से सम्मानित किये गये हैं। आर्य केन्द्रीय सभा दिल्ली ने आपको बिहारी लाल भाटिया पुरस्कार प्रदान किया है। माता कमला आर्या स्मारक ट्रस्ट की ओर से आपको विद्यामार्त्तण्ड सम्मान दिया गया है। साहित्य सृजन एवं वैदिक विद्वान अलंकरण सम्मान से भी आप सम्मानित हैं। अमेरिका के षिकागो षहर में पं. रामलाल जी के कर कमलों से भी आप सम्मनित हुए हैं तथा हालैण्ड के एमस्टरडम षहर में श्री सुरेन महाबली द्वारा आप सम्मानित किए गये हैं। सम्मान की सूची लम्बी है। इससे यह संकेत मिलता है कि आफ द्वारा की गई वैदिक धर्म की सेवा से लोग प्रभावित एवं सन्तुश्ट ह। अन्य कुछ संस्थाओं से भी आप सम्मानित किये गये हैं।

आचार्य चन्द्रषेखर षास्त्री जी ने अपने जीवन का उद्देष्य वैदिक धर्म और आर्यसमाज के प्रचार व सेवा को बनाया है। इसके लिए आप प्रषंसा एवं बधाई के पात्र हैं। हम आषा करते हैं कि आने वाले समय में आप आर्यसमाज की पूर्व की अपेक्षा कहीं अधिक सेवा करेंगे। इसके लिए हम आपको अपनी ओर से हार्दिक षुभकामनायें एवु साधुवाद देते हैं। ओ३म् षम्।

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