याद आ गए, तैतीस वर्ष पूर्व राजीव गाँधी के साथ गुजारे वो पल

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Published on : 21 May, 18 20:05

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी की पुण्यतिथि पर धनोल में कार्यक्रम

याद आ गए, तैतीस वर्ष पूर्व राजीव गाँधी के साथ गुजारे वो पल उदयपुर, पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी की पुण्यतिथि पर उदयपुर जिले के खेरवाडा तहसील के धनोल गांव में बलिदान दिवस के रूप में मनाया गया। गाँधी ग्राम जन जागरण अभियान के संयोजक एवं पूर्व जिला उपप्रमुख लक्ष्मीनारायण पण्ड्या की उपस्थिति में आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम घ्घ्घ् लोगो ने राजीव गाँधी की तस्वीर पर माल्यार्पण करते हुए तैतीस वर्ष पूर्व ग्राम धनोल में आए राजीव गाँधी एवं सोनिया गाँधी के साथ बिताए क्षणों को याद करतेए अपने संस्मरणों को सुनाते हुए, भाव विभोर हो गये। ८ अगस्त १९८५ को धनोल यात्रा के दौरान राजीव गाँधी के साथ रहे ५९ वर्षीय सोमाराम पारगी ने बताया कि राजीव गाँधी ने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम को बदल घ्घ् अचानक धनोल पाल की दूरदराज बस्ती में ३ किमी कच्चे एवं किचड भरे रास्ते से पैदल चल कर सोनिया गाँधी के साथ कुरा पिता देवा मीणा की झोपडी में पहुंचे, जहाँ उन्होंने आदिवासी परिवारों के रहन सहन, खान-पान, रिति रिवाज एवं उनकी आर्थिक स्थिति का बारिकी से जायजा लिया था। उसी दौरान राजीव गाँधी ने आदिवासी परिवार की झोंपडी में रखी हुयी कागनी-कुरी अनाज से बनी रोटी को चखा था, जिसका स्वाद अलग होने पर, गेहु की रोटी क्यों नही बनाते हो, प्रश्न किया था। तब आदिवासी दम्पति ने गेहू की अधिक कीमत की बात बताई, जिस पर राजीव गाँधी ने दिल्ली जाते ही पुरे देश के आदिवासी क्षैत्र में डेढ रूपया प्रति किलो अनाज देने की योजना प्रारम्भ की।


गाँधी ग्राम जागरण अभियान के संयोजक लक्ष्मीनारायण पण्डया ने बताया राजीव गाँधी द्वारा इस जनजाति क्षैत्र की कि गई यात्रा के दौरान आदिवासी परिवारों से रूबरू होकर उनकी समस्या के समाधान हेतु उन्होंने इन्दिरा आवास योजना, सस्ता अनाज, जीवनधारा एवं कुटीर घ्घ्घ्घ्घ्घ् योजना जैसे कई महत्वपूर्ण योजनाओं की शुरूआत की।


उपस्थित लोगो ने बताया पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने यात्रा के दौरान कहा था कि वे आदिवासी क्षैत्र के विकास हेतु विशेष योजना प्रारम्भ कर एक बार पुनः इस क्षैत्र में आऊंगा। परन्तु वे आ न सके तथा शहीद हो गये। परन्तु हमें पूर्ण विश्वास है कि एक न एक दिन उनके बेटे राहुल गाँधी हमारी खेर-खबर लेने जरूर आऐगे।
श्रद्धांजलि कार्यक्रम में बन्शीलाल जैन, गोतम लाल मीणा, देवीलाल पारगी, शान्तिलाल ने भी अपने विचार व्यक्त किये।


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