भारतीय जनता पार्टी को अपनी हार निश्चित नजर आ रही है

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Published on : 19 May, 18 13:05

द नई दिल्ली | कांग्रेस ने कहा है कि उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर कर्नाटक विधानसभा में शनिवार को होने वाले शक्ति परीक्षण में भारतीय जनता पार्टी को अपनी हार निश्चित नजर आ रही है इसलिए वह बौखलायी हुई है और यह बौखलाहट मामले की सुनवाई के दौरान आज न्यायालय में भी नजर आयी। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने यहां पार्टी की नियमित प्रेस ब्री¨फग में कहा कि मामले की सुनवाई के दौरान सरकार के वकील ने न्यायालय से शक्ति परीक्षण शनिवार को नहीं करने का बार बार आग्रह किया लेकिन न्यायालय ने उनके आग्रह को अस्वीकार कर दिया। भाजपा के वकील ने न्यायालय से पहले 15 दिन बाद शक्ति परीक्षण का आग्रह किया गया लेकिन न्यायालय ने उसके अनुरोध को ठुकरा दिया। न्यायालय के रुख को भांपकर वकील ने 15 दिन की बजाय दस दिन में बहुमत साबित करने का समय मांगा लेकिन अदालत ने यह प्रस्ताव भी अस्वीकार कर दिया। फिर सात दिन का समय मांगा गया लेकिन न्यायालय ने यह बात भी नहीं सुनी। कोई विकल्प नहीं बचा तो उनके वकील ने न्यायालय से अनुरोध किया कि सोमवार से पहले शक्ति परीक्षण बिल्कुल नहीं कराया जाए लेकिन न्यायालय ने इस आग्रह को भी अस्वीकार कर दिया और कहा कि शनिवार को शक्तिपरीक्षण किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भाजपा को विास हो गया है कि शनिवार को मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा बहुमत साबित नहीं कर सकेंगे और सदन में उनकी हार निश्चित है। इस निश्चित हार से भाजपा खेमे में बौखलाहट है और उसकी यह बौखलाहट मामले की सुनवायी के दौरान न्यायालय में स्पष्ट नजर आ रही थी।रात में ही अदालत का दरवाजा खटखटाने के संदर्भ में श्री सिंघवी ने कहा कि यदि राज्यपाल भाजपा नेता को रात साढे नौ बजे पत्र नहीं देते और श्री येदियुरप्पा को सुबह नौ बजे मुख्यमंत्री पद की शपथ के लिए आमंत्रित नहीं किया जाता तो आधी रात को अदालत की कार्यवाही की जरूरत नहीं पड़ती। इसी स्थिति को देखते हुए न्यायालय ने रात को अदालती कार्यवाही शुरू करने का आग्रह स्वीकार किया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की शपथ लेने के बाद श्री येदियुरप्पा एक एंग्लो इंडियन सदस्य को मनोनीत कर सकते थे इसलिए कांग्रेस के आग्रह पर न्यायालय ने साफ कर दिया है कि जब तक सरकार विास मत हासिल नहीं कर लेती है तब मुख्यमंत्री एंग्लो इंडियन सदस्य को मनोनीत नहीं कर सकते। इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि बहुमत साबित नहीं होने तक कोई नीतिगत फैसला नहीं लिया जा सकता।
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