जो दूसरों को आनंद दे वही नंद

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Published on : 13 May, 18 10:05


उदयपुर नारायण सेवा संस्थान के बडी स्थित परिसर में त्रिदिवसीय ’श्रीराम- कृष्ण कथा‘ एवं अपनों से अपनी बात व दीनबन्धु वार्ता कार्यक्रम के समापन पर शनिवार को संस्थान संस्थापक कैलाश मानव ने कहा कि ज्ञानी का लक्षण यह है कि उसके व्यवहार से किसी को अशांति और उद्वेग न होने पाए। जो सदा आनंद में रहता है, औरों को भी आनंद देता है वही नंद है। ऐसे नंद के घर ही परमानंद होता है। उन्होंने बताया कि ’उत्‘ का अर्थ है ईश्वर और ’सव‘ का अर्थ है प्राकट्य यानी ईश्वर का प्राकट्य ही उत्सव है। उत्सव में धन, भोगादि नहीं होती सिर्फ प्रेम की आवश्यकता होती है। मंदिर या चौराहों पर नहीं बल्कि घर में ही प्रतिदिन उत्सव मनाया जाए, क्योंकि जीवात्मा का मंदिर ही उसका शरीर है।
संस्थान अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण का मन जरूर चंचल था, मगर उनकी इच्छा शक्ति मजबूत थी, हमें अपनी इच्छा शक्ति को मजबूत रखना है तो मन में अच्छे विचारों के बीज बोने होंगे जिससे मन जागृत होगा और जीवन को समझने का ज्ञान मिलेगा। जीवन में कितने भी कष्ट आयें, लेकिन कष्टों से घबराना नहीं चाहिए बल्कि उसका समाधान खोजना चाहिए, भगवान श्रीकृष्ण के जीवन में भी कई परेशानियां आई लेकिन वह सत्य पर चले और हर क्षेत्र में उन्होंने विजय प्राप्त की तथा मानव का कल्याण किया। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण संस्कार चैनल पर हुआ।संचालन महिम जैन व ओमपाल सीलन ने किया।

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