’एपिलेप्सी रोगियों का सर्जरी द्वारा सफल इलाज‘

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Published on : 28 Apr, 18 06:04

गीतांजली की न्यूरोसाइंस टीम ने की सफल सर्जरी

उदयपुर, गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल, न्यूरोसाइंस सेंटर की न्यूरो टीम ने १० वर्शीय व २८ वर्शीय रोगियों की एपिलेप्सी सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।
डॉ अनीस जुक्करवाला, न्यूरोलोजिस्ट एवं एपिलेप्टोलोजिस्ट ने बताया कि पहला मरीज १० वर्शीय बच्चा था जो पिछले ५ वर्शों से एपिलेप्सी की बीमारी से पीडत था। वह महीने में ३-४ बार बेहोष हो जाता था। वहीं दूसरा २८ वर्शीय रोगी पिछले १३ वर्शों से इसी बीमारी से ग्रसित था। यह रोगी भी बार-बार बेहोष होना एवं गिरने की परेषानी से जूझ रहा था।
इन दोनों ही रोगियों में तीन-चार प्रकार की दवाईयां देने पर भी दौरे रुक नहीं रहे थे। गीतांजली हॉस्पिटल में डॉ अनीस जुक्करवाला से परामर्ष के पष्चात् मस्तिश्क की विषेश तरह की एमआरआई जाचं की गई जिससे दोनों रोगियों में मस्तिश्क की दायीं ओर मीसीयल टेम्पोरल स्केलोरोसिस नामक बिमारी का पता चला। मस्तिश्क के दायें एवं बायें हिस्से में हिप्पोकैम्पस नामक एक विषेश नस जिसका काम याद्दाष्त एवं भावनाओं को नियंत्रित करना होता है, कई बार बचपन में बुखार के साथ आने वाली मिर्गी, संक्रमण, सिर की चोट आदि कारणों से यह नस धीरे-धीरे एक तरफ से सूख जाती है। सूखी हुई नस दिमाग में केवल दौरे बनाने का काम करती है जो दवाईयों द्वारा नियंत्रित नहीं हो पाती है। ऐसी स्थिति में दवाईयों द्वारा इलाज करने पर केवल १० प्रतिषत रोगी ही ठीक हो पाते है। परंतु सर्जरी द्वारा इलाज होने से लगभग ८० प्रतिषत रोगी ठीक हो कर दवाई मुक्त हो जाते है। सर्जरी का खतरा भी केवल ०.००१ प्रतिषत होता है जो आए दिन पढने वाले दौरे से कम है।
इन रोगियों की विषेश तरह की वीडियो ईईजी जांच से सुनिष्चित किया गया कि दौरे उसी सूखी हुई नस से उत्पन्न हो रहे है।
डॉ उदय भौमिक (चीफ न्यूरो सर्जन, जीएमसीएच) ने दोनों रोगियों की सर्जरी के लिए एक विषेश टीम गठित की जिसमें न्यूरोसर्जन डॉ गोविंद मंगल एवं न्यूरो एनेस्थेटिस्ट डॉ नीलेष भटनागर षामिल थे। इस टीम की विषेश मदद डॉ आदित्य गुप्ता (सीनियर न्यूरोसर्जन आर्टेनिस हॉस्पिटल, गुडगांव) ने प्रदान की। इन दोनों रोगियों की विषेश सर्जरी की गई जिसको एंटीरियर टेम्पोरल लोबेक्टोमी विद् एमिगडालो हिप्पोकैम्पेकटोमी कहते है। साथ ही ऑपरेषन पूरा होने पर स्पेषल इलेक्ट्रोड (इलेक्ट्रोर्कोटीकोग्राफी) द्वारा डॉ अनीस ने सुनिष्चित किया कि अब अंदरुनी दौरे नहीं आ रहे है। डॉ अनीस ने यह भी बताया कि मीसीयल टेम्पोरल स्केलोरोसिस के अलावा बहुत सी और बीमारियों में भी सर्जरी द्वारा दौरे बंद किए जा सकते है।
डॉ भौमिक ने बताया कि भारत में लगभग कुछ ही केंद्रों पर मिर्गी का सर्जरी द्वारा उपचार किया जाता है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि एपिलेप्सी सर्जरी के लिए एक समर्पित एवं प्रषिक्षित न्यूरोलोजिस्ट एवं न्यूरो सर्जन की टीम जिनका एपिलेप्सी रुचि क्षेत्र हो जरुरी है। इस कारण ही गीतांजली सम्पूर्ण राज्य का एकमात्र एपिलेप्सी सर्जरी केंद्र के रुप में स्थापित हुआ है जिसमें अब तक पाँच से अधिक मिर्गी रोगियों का सर्जरी द्वारा सफल इलाज किया जा चुका है।

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