पुराने बैग वाले कवि सम्मेलन ने रच दिया इतिहास

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Published on : 22 Apr, 18 19:04

विक्रमोत्सव पर किया था पुराने जूतों का संग्रहण

पुराने बैग वाले कवि सम्मेलन ने रच दिया इतिहास उदयपुर. वाकई, यह एक अपनी ही तरह का अनूठा कवि सम्मेलन था जिसमें प्रवेष के लिए पास के साथ श्रोता अपने घरों से पुराने स्कूल बैग लेकर पहुंचे और कवि सम्मेलन सुनने से ज्यादा बैग जमा कराने की होड़ नजर आई। नमो विचार मंच के मिषन एम-जे के तहत शनिवार को शुभ केसर गार्डन में आयोजित इस कवि सम्मेलन ‘नमो अनुभव’ ने उदयपुर के नाम एक और रिकाॅर्ड दर्ज करा दिया। गोल्डन और लिम्का बुक आॅफ रिकाॅर्ड में ‘पुराने बैग वाला कवि सम्मेलन’ का नाम दर्ज हो गया।
देष में होने वाले कवि सम्मेलनों में कहीं टिकट तो कहीं पास के जरिये प्रवेष होता है, लेकिन उदयपुर में पहली बार ऐसा कवि सम्मेलन हुआ जिसमें प्रवेष पत्र के साथ श्रोताओं से पुराना बैग मांगा गया। महज 4 घंटे में 5 हजार 800 पुराने बैग एकत्र हो गए। यहां तक कि आमंत्रित विषेष अतिथि भी पुराना बैग लेकर आए। खुद मुख्य अतिथि महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउंडेषन के लक्ष्यराजसिंह मेवाड़ और श्रीमती निवृत्ति कुमारी भी दो बैग लेकर आए। कवि सम्मेलन के मुख्य कवि शैलेष लोढ़ा को कार्यक्रम में आकर पता चला कि यह कवि सम्मेलन पुराने बैग एकत्र करने के लिए किया जा रहा है तो उन्होंने अपना हैंडबैग वहीं जमा करा दिया।
नमो विचार मंच के प्रदेषाध्यक्ष प्रवीण रतलिया ने बताया कि नमो विचार मंच के मिषन एम-जे (मई-जून) के तहत यह पुराने बैग एकत्र किए गए और इन्हें जुलाई में स्कूल खुलते ही जनजाति अंचल के सुदूर गांवों में उन बच्चों तक पहुंचाया जाएगा जिनके पास बैग नहीं होंगे। बैग नहीं होने से बारिष के मौसम में उनकी पुस्तकें भीग जाती हैं या वे पाॅलिथीन की थैलियों में काॅपी-किताबें रखते हैं। अपनी ही तरह के इस पहले कवि सम्मेलन पर लिम्का बुक आॅफ रिकाॅर्ड की टीम ने भी नजर रखी और आखिर शहरवासियों के सहयोग से एक और रिकाॅर्ड बना। इससे पहले नवसंवत्सर पर विक्रमोत्सव मनाया गया था जिसके तहत घर-घर जाकर पुराने जूते एकत्र किए गए थे और यह भी एक रिकाॅर्ड बना था।
इस पुनीत आयोजन को विष्वस्तरीय पहचान दिलाने में यश परमार, भूपति परमार, रोहित डांगी, हार्दिक चोरड़िया, अजय सुथार, दर्शिल कोठारी, कृतिश चितौड़ा, रुचिर दशोरा, हार्दिक चैधरी, ऋतिक औदिच्य, दीपक जैन, नयन सोलंकी, पवन भटनागर, अविरल जैन, कीर्ति चतुर्वेदी, मयूर चोरड़िया. अक्षत जैन, जया कुचरु, गुंजन त्रिवेदी, स्वाति गुर्जर, दीपक जैन, रितेश मेहता, दीपक दखनी, रोहित चैधरी, श्रवण पटेल आदि नमो कार्यकर्ताओं ने पुरजोर मेहनत की।
पुराने बैग वाले कवि सम्मेलन ने रच दिया इतिहास
-4 घंटे में 5800 पुराने बैग एकत्र
-प्रवेष पत्र के साथ पुराना बैग लेकर पहुंचे शहरवासी, मची देने की होड़
-नमो विचार मंच के मिषन एम-जे की अनूठी पहल
-वनवासी बच्चों के लिए पुराने बैग एकत्र करने की है मुहिम
-विक्रमोत्सव पर किया था पुराने जूतों का संग्रहण
उदयपुर, 22 अप्रेल। वाकई, यह एक अपनी ही तरह का अनूठा कवि सम्मेलन था जिसमें प्रवेष के लिए पास के साथ श्रोता अपने घरों से पुराने स्कूल बैग लेकर पहुंचे और कवि सम्मेलन सुनने से ज्यादा बैग जमा कराने की होड़ नजर आई। नमो विचार मंच के मिषन एम-जे के तहत शनिवार को शुभ केसर गार्डन में आयोजित इस कवि सम्मेलन ‘नमो अनुभव’ ने उदयपुर के नाम एक और रिकाॅर्ड दर्ज करा दिया। गोल्डन और लिम्का बुक आॅफ रिकाॅर्ड में ‘पुराने बैग वाला कवि सम्मेलन’ का नाम दर्ज हो गया।
देष में होने वाले कवि सम्मेलनों में कहीं टिकट तो कहीं पास के जरिये प्रवेष होता है, लेकिन उदयपुर में पहली बार ऐसा कवि सम्मेलन हुआ जिसमें प्रवेष पत्र के साथ श्रोताओं से पुराना बैग मांगा गया। महज 4 घंटे में 5 हजार 800 पुराने बैग एकत्र हो गए। यहां तक कि आमंत्रित विषेष अतिथि भी पुराना बैग लेकर आए। खुद मुख्य अतिथि महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउंडेषन के लक्ष्यराजसिंह मेवाड़ और श्रीमती निवृत्ति कुमारी भी दो बैग लेकर आए। कवि सम्मेलन के मुख्य कवि शैलेष लोढ़ा को कार्यक्रम में आकर पता चला कि यह कवि सम्मेलन पुराने बैग एकत्र करने के लिए किया जा रहा है तो उन्होंने अपना हैंडबैग वहीं जमा करा दिया।
नमो विचार मंच के प्रदेषाध्यक्ष प्रवीण रतलिया ने बताया कि नमो विचार मंच के मिषन एम-जे (मई-जून) के तहत यह पुराने बैग एकत्र किए गए और इन्हें जुलाई में स्कूल खुलते ही जनजाति अंचल के सुदूर गांवों में उन बच्चों तक पहुंचाया जाएगा जिनके पास बैग नहीं होंगे। बैग नहीं होने से बारिष के मौसम में उनकी पुस्तकें भीग जाती हैं या वे पाॅलिथीन की थैलियों में काॅपी-किताबें रखते हैं। अपनी ही तरह के इस पहले कवि सम्मेलन पर लिम्का बुक आॅफ रिकाॅर्ड की टीम ने भी नजर रखी और आखिर शहरवासियों के सहयोग से एक और रिकाॅर्ड बना। इससे पहले नवसंवत्सर पर विक्रमोत्सव मनाया गया था जिसके तहत घर-घर जाकर पुराने जूते एकत्र किए गए थे और यह भी एक रिकाॅर्ड बना था।
इस पुनीत आयोजन को विष्वस्तरीय पहचान दिलाने में यश परमार, भूपति परमार, रोहित डांगी, हार्दिक चोरड़िया, अजय सुथार, दर्शिल कोठारी, कृतिश चितौड़ा, रुचिर दशोरा, हार्दिक चैधरी, ऋतिक औदिच्य, दीपक जैन, नयन सोलंकी, पवन भटनागर, अविरल जैन, कीर्ति चतुर्वेदी, मयूर चोरड़िया. अक्षत जैन, जया कुचरु, गुंजन त्रिवेदी, स्वाति गुर्जर, दीपक जैन, रितेश मेहता, दीपक दखनी, रोहित चैधरी, श्रवण पटेल आदि नमो कार्यकर्ताओं ने पुरजोर मेहनत की।

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