सर्वश्रेष्ठहै आहार दानःसुप्रकाशमति माताजी

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Published on : 21 Apr, 18 19:04

सर्वश्रेष्ठहै आहार दानःसुप्रकाशमति माताजी
उदयपुर। राष्ट्रसंत और गणिनी आर्यिका सुप्रकाशमती माताजी और मुनि आज्ञा सागर महाराज के सानिध्य में औद्योगिक नगरी कानपुर गंाव में आयोजित पंाच दिवसीय पंचकल्याणक प्रति६ठा महोत्सव के तीसरे दिन समारोह में चौथ दिन भगवान ऋ६ाभदेव के आाहर चर्या को विस्तृत रूप से बताया गया।
इस अवसर पर इक्षु रस का आहार राजा श्रेयंास द्वारा कराया गया। तत्प८चात पंचाचार्य हुए कार्यक्रम में पु६पवृ६ट,रत्नवृ६ट, दुन्दुभिबाजे, सुगन्धित हवा, जय-जयकारे के साथ सैकडों भक्तगणों ने आहारचर्या में भाग लिया। शाम को समवरशरण की रचना,बारती, भक्ति आदि के कार्यक्रम आयोजित किय गये।
इससे पूर्व आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए सुप्रकाशमति माताजी ने कहा कि संयम तप और त्याग व्यक्ति को महान बनाता है। व्यक्ति अपने जीवन को संयम एवं त्याग से सजाता है तो उसका जीवन महान बन जाता है। तीन प्रकार के दान पात्र् दति,दया दति एवं समदति होते है। उत्तम पात्र् को दान देने वाला उत्तम भोग भूमि में जन्म लेता है। भूखे,प्यासे,गरीब को दान देने वाला दयादति कहलाता है। अपने परिवार में यदि कोई बहन,बेटी, भाई गरीब है तो उन्हें अपने सामर्थ्य के अनुसार सहयोग करना चाहिये। जिस भूमि पर तीर्थकर का अवतरण होता है वहंा कोई गरीब व दुखी नहीं रहता है। उन्हने सभी दानों में आहर दान सर्वश्रेष्ठ को बताया।

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