वैज्ञानिकों के साथ विचार विमर्ष करने की सलाह

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Published on : 21 Apr, 18 12:04

उदयपुर क्षेत्रीय अनुसंधान एवं प्रसार सलाहकार समिति संभाग चतुर्थ-अ की बैठक अनुसंधान निदेषालय के सभागार में दिनांक १९ व २० अप्रैल, २०१८ को आयोजित की गई।
महाराणा प्रताप कृशि एवं प्रौद्योगिकी विष्वविद्यालय, उदयपुर के कुलपति डॉ. उमाशंकर शर्माने बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि कृशकों की समस्याओं को विष्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के साथ विचार विमर्ष करने तथा इन समस्याओं पर अनुसंधान कर पुनः कृशि विभाग के द्वारा किसानों को जानकारी देने में इस बैठक का महत्वपूर्ण योगदान है। प्रोफेसर शर्मा ने बताया कि विष्वविद्यालय द्वारा हर साल 25 से 30 नई प्रौद्योगिकी विकसित की जा रही हैंउ
प्रोफेसर शर्मा ने कृशि विभाग के साथ-साथ पषुपालन विभाग, सिंचाई विभाग, वन विभाग तथा अन्य सम्बन्धित विभागों के समन्वय पर जोर दिया, जिससे किसानों तक नई तकनीकों को आसानी से पहचाया जा सके।

डॉ. ए.के. मेहता, अनुसंधान निदेषक ने बैठक को सम्बोधित करते हुए विष्वविद्यालय में चल रही विभिन्न परियोजनाओं की जानकारी दी तथा कहा कि वैज्ञानिकों को किसानों की समस्याओं के आधार पर अनुसंधान करना चाहिये ताकि किसानों को अधिक से अधिक फायदा मिल सकें। साथ ही उन्होनेंजोर दिया कि प्रथम पंक्ति प्रदर्शन में कृषि मशीनीकरण को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इससे कृषि मशीनीकरण के लिए प्रौद्योगिकी के उचित हस्तांतरण में मदद मिलेगी।उन्होंने सभी वैज्ञानिकों और सरकारी अधिकारियों के बेहतर समन्वय और निगरानी के लिए जोर दिया

डॉ. जी. एस. तिवारी,निदेषक, प्रसार षिक्षाने बताया किखेती और खरपतवार नियंत्रण के लिए प्राथमिक उपकरण© में वृद्धि की जानी चाहिए।साथ ही बाढ़ सिंचाई को रोकने के लिए किसानों को अवगत कराया जाना चाहिए।
इस बैठक में क्षेत्रीय अनुसंधान निदेषक डॉ. एस. के. षर्मा ने कृशि संभाग चतुर्थ अ की कृशि जलवायु परिस्थितियों तथा नई अनुसंधान तकनीकों के बारे में प्रकाष डाला।
इस बैठक में संयुक्त निदेषक कृशि विभाग, भीलवाडा श्री आर. जी. नायक तथा भीलवाडा, चित्तौडगढ, राजसमन्द एवं उदयपुर के उप निदेषक कृशि एवं अन्य अधिकारी, ग्राह्य अनुसंधान केन्द्र, चित्तौडगढ एवं एमपीयूएटी के वैज्ञानिकों ने भाग लिया।
बैठक के प्रारम्भ में श्री आर. जी. नायक, संयुक्त निदेषक कृशि विभाग, भीलवाडा ने गत खरीफ में वर्शा का वितरण, बोई गई विभिन्न फसलों के क्षेत्र एवं उनकी उत्पादकता के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होनें संभाग में विभिन्न फसलों में खरीफ २०१७ के दौरान् आयी समस्याओं को प्रस्तुत किया तथा अनुरोध किया कि वैज्ञानिकगण इनके समाधान हेतु उपाय सुझावें।

बैठक को डॉ. अरूनाभ जोशी, अधिश्ठाता, राजस्थान कृशि महाविद्यालय,डॉ. शशी जैन, अधिश्ठाता, ग्रह विज्ञानमहाविद्यालय,डॉ. एस. के. षमा,र् अधिश्ठाता, मतस्यक महाविद्यालय, तथा डॉ. आई. जे. माथुर, ने भी संबोधित किया।

इस बैठक में विभिन्न वैज्ञानिकों व अधिकारियों द्वारा गत खरीफ में किये गये अनुसंधान एवं विस्तार कार्यो का प्रस्तुतीकरण किया गया तथा किसानों को अपनाने हेतु सिफारिषें जारी की गई।

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