बजरी खनन की समस्याएं एवं विकल्प

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Published on : 20 Apr, 18 09:04

बजरी खनन की समस्याएं एवं विकल्प पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला कल से

उदयपुर। नदी की बजरी के खनन की वर्तमान समस्या व इसके सभी विकल्पों पर मंथन व चर्चा करने हेतु माइनिंग इंजीनियर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, राजस्थान चैप्टर, उदयपुर, खान व भू-विज्ञान विभाग, राजथान सरकार तथा खनन अभियांत्रिकी विभाग, सी.टी.ए.ई., उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में २१ अप्रेल से “नदी बजरी (रेती) खनन की समस्याएं एवं विकल्प” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला एवं प्रर्दशनी का आयोजन प्रौद्योगिकी एवं अभियांत्रिकी महाविद्यालय, उदयपुर के सभागार में किया जायेगा।
विकल्प-खान विभाग के निदेशक डीएस मारू ने बताया कि वर्तमान परिस्थितियों में पारम्परिक रूप से नदियों से उत्पादित होने वाली बजरी का विकल्प कुछ हद तक मैन्युफैक्चरिंग सेंड हो सकती हे तथा दक्षिण के कई राज्यों में उनकी आवश्यकता की २० से ३० प्रतिशत आपूर्ति मैन्युफैक्चरिंग सेंड से की जा रही है। राजस्थान में मैन्युफैक्चरिंग सेंड की अपार संभावनाएं है। यहाँ पर हिंदुस्तान जिंक, आर एस एम एम, सीमेंट ग्रेड लाइम स्टोन, हिंदुस्तान कोपर, सोप स्टोन, लिग्नाइट, सैंड स्टोन, मार्बल एवं अन्य खनिजो के खनन के दौरान उत्पादित करोडो टन ओवर बर्डन (मलबा) राज्य के विभिन्न स्थानों पर पडा हुआ है, जो पर्यावरण के लिए भी चुनौती बना हुआ है। इस मलबे का उपयोग आसानी से मैन्युफैक्चरिंग सेंड के लिए किया जा सकता है आवश्यकता सिर्फ बडे उद्योगपतियों की एवं सरकार की मानसिकता बदलने की gSA
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