महावीर जन्मोत्सव पर पावापुरी मे हुऐ ग्यारह अभिशेक

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Published on : 29 Mar, 18 15:03

महावीर जन्मोत्सव पर पावापुरी मे हुऐ ग्यारह अभिशेक सिरोही। श्रमण भगवान महावीर के २६१६ वे जन्म कल्याणक पर पावापुरी तीर्थ जीव मैत्रीधाम मे आचार्य भगवंत रविषेखरसूरीजी की पावन निश्रा मे चौमुखा पावापुरी जल मंदिर मे ग्यारह अभिशेक विधि विधान के साथ श्रावक श्राविकाओ ने किए। विधिकारक विरल भाई जैन षिवगंज ने मंत्रोचारण के साथ स्वर्ण, दही, दुध, फुल, जल, अन्न एवं गुलाबजल के अभिशेक करवाए। अभिशेक के पहले यात्रिक भवन से जन्मकल्याणक का भव्य वरघोडा गाजते बाजते व नृत्य करते हुए इन्द्रध्वजा, चांदी के रथ मे भगवान को विराजमान कर चतुर्विद संघ के साथ पावापुरी जल मंदिर पहुंचा जहां आचार्य भगवंत ने भगवान महावीर के जीवन पर प्रकाष डालते हुए कहा कि भगवान ने जो कठोर तपस्या की ओर जीवन मे त्याग, तपस्या, अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह एवं ब्रहाचर्य का पालन किया वो आज २६१६ वर्श तक भी प्रासंगिक है ओर उनके मूलमंत्र ’’अहिंसा परमो धर्म एवं जीओ ओर जीने दो‘‘ को आज अपनाने पर ही विष्व मे षांति संभव है। पन्यास प्रवर ललितषेखर विजय महाराज ने कहा कि भगवान ने अपने जीवन मे करूणा एवं किसी का भी दिल नही दुखाने का जो अमुल्य संदेष दिया है उसको अपनाने से प्रेम भाईचारा बढेगा ओर सबको सुख का अहसास होगा।
वरघोडे में नवपद ओली आराधना करने वाली भंवरी बेन नवलमलजी तातेड ने रथ मे भगवान लेकर बेठने का लाभ लिया ओर अनेक महिलाओ ने भगवान के १४ सपनो को लेकर मंगलगीत गाते हुए परमात्मा का जन्मोत्सव मनाया। श्रद्वालुओ ने भगवान का पालणा झुलाने का लाभ भी लिया। दोपहर में मूलनायक षंखेष्वर पार्ष्वनाथ मंदिर मे आचार्य श्री ने अठारह अभिशेक करवाये जिसमे भी भक्तो ने जलाभिशेक का लाभ लिया। भगवान के जन्मोत्सव पर तपस्वीयो एवं यात्रियो ने गौषाला मे अबोल पषुओ को लडडु, गुड व हरा चारा खिलाने का भी लाभ लिया।

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