चम्बल का पानी लिखेगा सफलता की कहानीः

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Published on : 29 Mar, 18 11:03

लोकेंद्र सिंह

हर रोज चम्बल का लाखों लीटर पानी कोटा की जमीं को छूकर निकल जाता है, लेकिन यहां के हुनरमंद नौजवान फिर भी प्यारे रह जाते हैं। बचपन से नांव की पतवार संभालने वाली और तैराकी की पीढ़ी दर पीढ़ी बारीकियां सीखने वाली तरुणाई तमगों और रोजगार का जिक्र छिड़ते ही गुमनाम हो जाती है, लेकिन अब ऐसी नहीं होगा। कोटा कायोकिंग एंड कनोइंग एसोसिएशन (केकेसीए) कोटा में वॉटर स्पोर्टस को प्रोत्साहित करने हाड़ौती की खेल प्रतिभाओं को निखारेगी। जिसकी शुरुआत गुरुवार को कायोकिंग एंड कनोइंग खेल के प्रदर्शन से होगी। भोपाल जैसा शहर जो कि देश के सबसे बड़े प्रदेश की राजधानी होने के बावजूद पानी की जरूरतों के लिए सिर्फ दो तालाबों पर ही निर्भर है। बावजूद इसके वहां के लोगों ने छोटे तालाब में इस खेल के आयोजन की शुरुआत की तो इस खेल को खेलने वाले युवाओं ने देश भर में तहलता ही मचा दिया। छोटे तालाब में कायोकिंग एंड कनोइंग की बारीकियां सीख राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में शामिल हो जमकर मेडल जीते। महज 10 सालों में उन्होंने 25 से 30 अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी दिए। देश को बेस्ट टीम दी और भारतीय ही नहीं वैश्विक प्रतियोगिताओं में मेडल भी जितवाए। सफलताओं का सफर यहीं नहीं रुका और अब भोपाल में पानी की खासी कमी होने के बावजूद यही छोटा तालाब एशियन गेम्स के लिए चुनी गई भारतीय टीम का प्रशिक्षण स्थल बन गया है। वॉटर स्पोटर्स को प्रमोट करने के लिए यहां स्पोर्ट एकेडमी भी खोली गई है।
ऐसे में बारहमास पानी से भरे रहने वाली चम्बल और किशोर सागर तालाब तो इस खेल को कोटा में स्थापित करने के लिए आदर्श स्थल साबित हो सकते हैं। केकेसीए का प्रयास है कि कायोकिंग एंड कनोइंग को कोटा की खेल प्रतिस्पर्धाओं का अभिन्न हिस्सा बना कर यहां कायोकिंग एंड कनोइंग के चैम्पियन तराशे जाएं और उन्हें राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतिस्पर्धाओं का हिस्सा बनाने का काम किया जाए। कायोकिंग एंड कनोइंग होता क्या है, कैसे खेला जाता है, टीम कैसे बनती हैं, जैसे तमाम सवालों के विस्तार से जवाब देने के लिए गुरुवार को किशोर सागर में इस खेल का जीवंत प्रदर्शन किया जाएगा। ताकि कोटा के युवा कायोकिंग एंड कनोइंग को देख और समझ सकें। खेल की बारीकियां जान सकें। प्रधानमंत्री स्किल डवलपमेंट स्कीम का सबसे बड़ा उदाहरण 100 फीसदी जॉब गारंटी देने वाला यह खेल है। ओलंपिक खेलों की पदक तालिका में यह खेल 7वें स्थान पर आता है। भारत में इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन, मिनिस्ट्री ऑफ स्पोर्ट्स एंड यूथ अफेयर्स और स्पोर्टस अथॉरिटी ऑफ इंडिया से इस खेल को मान्यता प्राप्त है। इस खेल के प्रतिभागियों को सरकारी सेवाओं के चयन में अन्य खेलों के बराबर ही वेटेज दिया जाता है। शैक्षणिक संस्थाओं के दाखिलों में प्रवेश के लिए भी इसे स्पोर्ट्स कोटे में शामिल कर वेटेज दिया जाता है। बड़ी खासियत यह है कि कायोकिंग एंड कनोइंग खेलने वाला एक भी राष्ट्रीय खिलाड़ी बेरोजगार नहीं है। सभी को अच्छे पदों पर सरकारी नौकरी मिल रही है। राजस्थान में कोटा ही ऐसा इकलौता शहर है जहां पर्यटन के सभी क्षेत्रों में अवसर मौजूद हैं। जिनमें से वॉटर स्पोर्ट्स एक है। केएसटी और चम्बल में जब इस खेल का आयोजन किया जाएगा तो न सिर्फ देश और दुनिया भर के खिलाड़ी यहां आएंगे, बल्कि इन खेलों को देखने के लिए हजारों दर्शक और खेल एवं पर्यटन से जुड़े स्टॉक होल्डर्स भी कोटा की ओर आकर्षित होंगे। इससे कोटा के लोगों के लिए न सिर्फ रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे, बल्कि निश्चित तौर पर कोटा के दूसरे पर्यटन क्षेत्रों को भी प्रोत्साहित करने का मौका मिलेगा।
केएसटी में आयोजित होने वाले कायोकिंग एंड कनोइंग ईवेंट में देश के 12 राज्यों के 20 खिलाड़ी शामिल हो रहे हैं। सभी खिलाड़ी 14 से 17 वर्ष के हैं। जो अपनी खेल प्रतिभा का प्रदर्शन कर कोटा की तरुणाई में इस खेल के प्रति जागरुकता और आकर्षण पैदा करेंगे।

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