चैत्रमास की ओली आराधना एक ’’षाष्वत‘‘ तप है

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Published on : 23 Mar, 18 12:03

चैत्रमास की ओली आराधना एक ’’षाष्वत‘‘ तप है सिरोही। श्री पावापुरी तीर्थ जीव मैत्रीधाम मे गुरूवार को नवपद षाष्वत ओली आराधना मे निश्रा प्रदान करने के लिए आचार्य भगवंत रविषेखरसूरी महाराज का मंगल प्रवेष गाजे बाजे के साथ हुआ। ओली आराधना करवाने वाले लाभार्थी खिमी बाई गोमचंदजी तातेड परिवार मारोल की ओर से आचार्य श्री का सामैया किया गया। ’’ गुरूजी हमने आपो आषीर्वाद‘‘ के जयकारो के साथ आचार्य श्री ने कनीमा धर्मषाला मे प्रवेष कर मांगलिक प्रवचन दिया। आचार्य श्री ने नवपद ओली की महिमा बताते हुए कहा कि जैन धर्म मे इसका महत्व पर्युशण पर्व से भी ज्यादा है ओर यह तप आदिकाल से नियत समय व तिथी पर ही होता है इसी कारण इसे षाष्वत ओली कहा जाता है। उन्होने कहा कि अभी जैनषासन मे भगवान महावीर का षासन चल रहा हैं ओली मे मेणा सूंदरी के महान तप की अनुमोदना होती हैं। ये दोनो ही भगवान महावीर के परम भक्त थे ओर इन दोनो ने नवपद की ऐसी कठोर आराधना की कि हर वर्श १८ दिन तक आज भी उनको ओली तप करके उनके जीवन से प्रेरणा ली जाती है।


आचार्य श्री रविषेखर सूरी एवं पन्यास ललितषेखर विजय ने ओली आराधना के लिए देषभर से आऐ ३०० से अधिक आराधको से कहा कि वे ९ दिन तक मोहमाया से दुर रहते हुऐ केवल आराधना मे लीन रहकर अपनी कर्म निर्जरा करें ओर तीर्थ मे विराधनाओ से बचें। उन्होने कहा कि ९ दिन तक जुतो का त्याग करे, स्नान मे साबुन का उपयोग नही करे, कपडे न धोए ओर पानी व मोबाईल का उपयोग कम से कम करे। ९ दिन तक प्रतिदिन सवेरे भक्तामर, पूजा, व्याख्यान, आयंबिल, प्रतिकमण एवं भक्ति भावना मे अपनी उपस्थिति सुनिष्चित करने का आव्हान करते हुए आचार्य श्री ने सभी को सर्वमंगल का आषीर्वाद दिया। ओली आयोजक परिवार के प्रमुख पोपट भाई, नवलमल एवं राजमलजी तातेड ने आराधको का अभिनंदन करते हुए ओली तप मे षामिल होने पर आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर सामैया मे पावापुरी ट्रस्ट के मेनेजिंग ट्रस्टी महापीर जैन, ट्रस्टी अमृतलाल ए. सिंघी, प्रबंधक सुरेन्द्र जैन एवं आराधको ने भाग लिया व महिलाओ ने मंगलगीत गाते हुए गुरूवंदन का लाभ लिया।





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