भर्ती प्रक्रिया में सरकारी लापरवाही से युवा आक्रोशित

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Published on : 21 Mar, 18 11:03

जयपुर,पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव श्री अशोक गहलोत ने कहा है कि जब से राज्य में श्रीमती वसुन्धरा राजे के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी है, तब से सरकारी नौकरियां एक तमाशा बन कर रह गयी है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि बार-बार परीक्षाओं के पेपर लीक हो रहे हैं, चयन प्रक्रिया निरस्त की जा रही है और अगर परीक्षाएं हो भी गयी है तो उनके परिणाम रोके जा रहे हैं। इस प्रकार की संदेहास्पद स्थिति उत्पन्न होने पर सरकारी नौकरियों के अनेक मामले न्यायालयों में भी जा रहे हैं जिससे बेरोजगारों को नौकरी मिलने के अवसर अटक रहे हैं। ऐसे हालातों में युवा बेरोजगार आक्रोशित है। भर्ती प्रक्रिया में सरकार की इस प्रकार की लापरवाही पहली बार देखने को मिल रही है।
श्री गहलोत ने कहा कि जानकारी में आया है कि सरकारी स्तर पर प्रतियोगी परीक्षाएं आयोजित करने का काम ऐसी निजी कम्पनियों को दिया जा रहा है जो पहले से ही दूसरे प्रदेशों में ‘ब्लेक लिस्टेड‘ थी और अब वे अपना नाम बदलकर प्रदेश में काम कर रही हैं। ये युवा बेरोजगारों के हितों पर कुठाराघात है। इसकी विस्तृत जांच होनी चाहिए एवं दोषियों के विरूद्ध सख्त कार्यवाही की जानी चाहिये।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे के इशारे पर श्री हबीब खान गौरान जो राजस्थान लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष थे, उनके ऊपर बिना किसी पुख्ता आधार के आरोप लगाकर उन्हें जलील और बदनाम किया गया और इस्तीफे के लिए मजबूर किया गया। ऐसी तुनकमिजाजी और बदले की भावना से काम करने पर प्रदेश का माहौल बिगड़ना स्वाभाविक है।
श्री गहलोत ने कहा कि बेरोजगार युवकों द्वारा योग्यता के आधार पर रिक्त पडे़ पदों को भरने के लिये प्रदेश भाजपा मुख्यालय पर किये गये प्रदर्शन के दौरान उन पर लाठीचार्ज किया गया। हाल ही में प्रधानमंत्री की झुन्झुनू रैली के वक्त एन.आर.एच.एम. के संविदाकर्मियों द्वारा किये गये शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन को भी प्रतिशोध का आधार बनाया जा रहा है और पहले उन्हें गिरफ्तारी का भय दिखाया गया और अब उन्हें सेवा से हटाये जाने की कार्यवाही की जा रही है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि चुनावों के दौरान श्रीमती वसुंधरा राजे ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के नाते पन्द्रह लाख युवाओं को सरकारी नौकरियां देने का वादा किया था। लेकिन साढे चार साल का समय गुजरने के बाद भी बेरोजगारों के लिए नौकरियां एक दिवा-स्वप्न बन कर रह गयी है। युवाओं के साथ इससे बड़ा धोखा और क्या हो सकता है?
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