५६वां अखिल भारतीय महाराणा कुम्भा संगीत समारोह

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Published on : 19 Mar, 18 11:03

 ५६वां अखिल भारतीय महाराणा कुम्भा संगीत समारोह महिलाओं के स्त्रीशक्ति बैण्ड की धमाकेदार प्रस्तुति एवं
कत्थक में कृश्ण की १६ लीलाओं ने श्रोताओं का मनमोहा


उदयपुर। होरी, मांड,ताल वाद्य एवं कचहरी में घाटम,कंजीरा एवं तबले की जुगलबन्दी एवं सवाज-जवाब ने श्रोताओं का ऐसा मनमोहा की काफी देर तक तालियों की दाद मिली। अवसर था षिल्पग्राम के मुक्ताकाषी रंगमंच पर महाराणा कुम्भा संगीत परिशद द्वारा आयोजित तीन दिवसीय महाराणा कुम्भा संगीत समारोह के तीसरे एवं अंतिम दिन सिर्फ महिलाओं द्वारा संचालित किया जाने वाला देष के प्रथम स्त्रीषक्ति बैण्ड की मनमोहक प्रस्तुति का।


मुबंई से उदयपुर में पहली बार प्रस्तुति देने आये इस बैण्ड के जरिये राश्ट्रपति पुरूस्कार प्राप्त अनुराधा पॉल ने प्रारम्भ में खम्मा घणी से की। नव संवत चैत्री प्रतिप्रदा की शुरूआत में शुभकामनाएं दी। बनारस घराने की प्रसिद्ध गणेश वंदना से की।
अनुराधा के साथ घाटम पर रम्या रमेष,कंजीरा पर कृश्णा प्रिया,संारगी पर सीए गौरी बेनर्जी तथा गायन पर पामिल भण्डारी ने संगत की। कार्यक्रम ने हिन्दुस्तानी एवं कर्नाटक षैली के मिश्रण की षानदार प्रस्तुति दी।घाटम,कंजीरा एवं तबले के सवाल-जवाब ने सभी को मोहित कर दिया। पामिल भण्डारी के मधुर कंठ से म्हारो वीर शीरोमणी देष गीत को जब घाटम, कंजीरा तबला एवं सारंगी का साथ मिला तो सभी श्रोताओं के मुख से वाह निकल पडा। पामिल भण्डारी द्वारा गाये होरी है जी होरी है..गीत पर जब अन्य महिलाओं ने अपने-अपने साज के साथ सुन्दर प्रस्तुति दी तो सभी के मुख से वाह निकल पडा।
अनुराधा पॉल द्वारा तबले व पखावज पर राधा-कृश्ण के बीच होली को लेकर किये गये वार्तालाप का सुन्दर संयोजन देखने को मिला। कार्यक्रम का समापन उन्होंने अविभाज्य भारत के उत्तर भारत, बंगाल,राजस्थान, महाराश्ट्र,पंजाब के गीतों की झलक दिखाते हुए वन्दे मातरम् गीत के साथ अनुराधा के मुख से निकले षास्त्रीय संगीत के सुरों ने सभी को जबरदस्त मोहित कर दिया।
अंतिम दिन की दूसरी प्रस्तुति के तहत बहुचर्चित प्रख्यात नृत्यागंना रिचा जैन एण्ड पार्टी द्वारा अपनी विशेष शैली में कत्थक नृत्य प्रस्तुत ने सभी को मोहित कर दिया। ऋचा ने अपने कार्यक्रम की शुरूआत कृश्ण की १६ लीलाओं का कवित नटवरी बोल तथा गत भाव में भयी कृश्णमयी गुण गावें बोल की कत्थक के जरिये समूह प्रस्तुति दी तो दृष्य दृष्यमान हो गया। कार्यक्रम की द्वितीय प्रस्तुति एकल कत्थक नृत्य में राग दरबारी में ताल तीन ताल में तोडे, टुकडे,परण, तत्कार आदि का नयनाभिराम संयोजन देखने को मिला।


ऋचा ने षुद्ध कत्थक में धमार ताल की राग मालकौंस की प्रस्तुति ने दर्षकों को अचम्भित कर दिया। कथा वाचन की परचरा जो कत्थक की पुरातन प्रथा का मंचन किया। इसमें विश्णु के चौथे नृसिंह अवतार का कत्थक नृतय में सुन्दर चित्रण किया। ऋचा ने अपनी अंतिम प्रस्तुति में नृत्य के बोल कृश्ण में ऐसो रास रचायों होली में धमाल मचायें के जरिये विश्णु के दषावतार के साथ होली त्यौहार का सुन्दर वर्णन किया।
ऋचा के साथ कत्थक में तबले पर षाबाज षकील खान,पखावज पर आषीश गंगानी, वॉकल एवं हारमोनियम पर षोएब हसन, तथा सारगी पर सईद उर रहमान ने संगत की। ऋचा के साथ नृत्य में नीरज,करण,षिवानी एवं झलक ने सहयोग दिया।
अनुराधा को मिला डॉ.यषवन्त कोठारी कुम्भा सम्मान- प्रसिद्व तबला वादक पण्डिता अनुराधा पाल को इस वर्श का डॉ. यषवन्तसिंह कोठारी पुरूस्कार अतिथियों ने प्रदान किया। मुख्य अतिथि हिन्दुस्तान जिंक की सीएसआर हेड नीलिमा खेतान,विषिश्ठ अतिथि एमएलएसयू के कुलपति प्रो. जे.पी.षर्मा, एमपीयूटी के कुलपति उमाषंकर षर्मा,खान एवं भू-विज्ञान के पूर्व निदेषक अरूण कोठारी,पीआई इन्डस्ट्रीज के संजय सिंघल,उप महापौर लेाकेष द्विवेदी तथा उद्घाटनकर्ता सवाईलाल पोखरना का महादेव दमानी, डॉ. प्रेम भण्डारी ने उपरना ओढाकर सम्मानित किया।
प्रारम्भ में महाराणा कुंभा संगीत परिशद के मानद सचिव डॉ. यषवन्तसिंह कोठारी ने आयोजन के बारें में जानकारी देते हुए अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ.लोकेष जैन ने किया।



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