वागड़ के समृद्ध इतिहास व संस्कृति के प्रचार-प्रसार की आवश्यकता

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Published on : 17 Mar, 18 12:03

वागड़ के समृद्ध इतिहास व संस्कृति के प्रचार-प्रसार की आवश्यकता वागड़ के समृद्ध इतिहास व संस्कृति के प्रचार-प्रसार की आवश्यकता जताई
इतिहासकार महेश पुरोहित बांसवाड़ा के दौरे पर
बांसवाड़ा,महाराणा मेवाड़ फाउण्डेशन के प्रतिष्ठित महाराणा कुंभा पुरस्कार व राज्य स्तरीय पुरस्कार से सम्मानित इतिहासकार महेश पुरोहित ने वागड़ के समृद्ध इतिहास और गौरवशाली संस्कृति की पर्यटन विकास की दृष्टि से प्रचार-प्रसार की आवश्यकता जताई है और कहा है कि ऐसा होने पर ही इसको उचित मान-सम्मान प्राप्त होगा।
पुरोहित ने यह उद्गार शुक्रवार को बांसवाड़ा के दौरे के तहत स्थानीय साहित्यकारों, प्रबुद्धजनों व प्रतिनिधियों से चर्चा दौरान व्यक्त किए।
वागड़ में भी हैं आहड़ सभ्यता के अवशेष:
इस मौके पर उन्होंने कहा कि अब तक माना जाता था कि लगभग चार हजार वर्ष पुरानी प्रस्तर धातु युगीन सभ्यता के अवशेष सिर्फ मेवाड़ तक ही सीमित रहे परंतु यह सही नहीं है। कालांतर में हुए उत्खनन में पता चला है कि मेवाड़ के बाहर भी इस सभ्यता का प्रसार था। डूंगरपुर में भी इसके प्रमाण मिले हैं और बांसवाड़ा में भी। माही नदी के किनारे, भगोरा आदि में आहड़ सभ्यता के अवशेष प्राप्त हुए हैं इस दृष्टि से यहां भी इस दिशा में उत्खनन करने की आवश्यकता है।
वेदपाठ और अग्निहोत्र है बांसवाड़ा की विशिष्टता:
उन्होंने कहा कि बांसवाड़ा की विशिष्टता यहां पर वेदपाठ की संस्कृति की उपस्थिति है। इसके संरक्षण की आवश्यकता है और इसके लिए प्रयास किया जावें कि एक ऐसा समूह बने जो सप्ताह में एक दिन निर्धारित स्थान पर वेदपाठ करें। इसका प्रचार भी हो ताकि स्थानीय व बाहर के लोग भी इसे देखने आए और इससे जुड़े। उन्होंने कहा कि यहां अग्निहोत्र भी था। यहां के लोग बनारस में रहते थे और वापस आते थे तो वहां से अपनी अग्नि लेकर आते थे। इस संस्कृति को पुनर्जीवित करने की आवश्कता है।
विदेशी पर्यटक माहीडेम या कागदी देखने नहीं आएंगे:
पुरोहित ने कहा कि जिले का पर्यटन दृष्टि से विकास करना है तो यहां की कला, संस्कृति का प्रचार-प्रसार जरूरी है। उन्होंने कहा कि विदेशी पर्यटक हमारे यहां माहीडेम, गेमन या कागदी देखने नहीं आएंगे। उनके यहां इससे कई गुना बड़े स्थान है। ये पर्यटक अरथूना देखने आ सकते हैं, वेदों के पाठ की संस्कृति को जानने आ सकते हैं। इन पर्यटकों को यहां की कला, संस्कृति और इतिहास-पुरातत्व में रूचि होगी। उन्होंने इस दृष्टि से वागड़ की अनूठी संस्कृति के संबंध में डॉक्यूमेंटेशन तथा इसके पर्यटन दृष्टि से प्रचारित करने के लिए प्रयास करने का आह्वान किया।
बर्डफेयर और बटरफ्लाई फेस्टिवल अच्छी शुरूआत:
इस मौके पर पुरोहित ने कहा कि बांसवाड़ा जिले में बर्डफेयर तथा सागवाड़ा में बटरफ्लाई फेस्टिवल की शुरूआत सराहनीय प्रयास है और इसको डूंगरपुर बर्डफेयर की भांति निरंतरता प्रदान की जानी चाहिए। उन्होंने इस आयोजन के लिए वागड़ नेचर क्लब के सदस्यों की पहल की तारीफ की और क्लब को प्रकृति के साथ-साथ सांस्कृतिक गौरव प्रदान करने वाले आयोजनों से जुड़कर सफल बनाने का आह्वान किया।
इस मौके पर सेवानिवृत्त विकास अधिकारी भूपेन्द्रनाथ पुरोहित, वागड़ नेचर क्लब के कमलेश शर्मा, भंवरलाल गर्ग, साहित्यकार भूपेन्द्र उपाध्याय ‘तनिक’ सहित कई प्रबुद्धजन भी मौजूद रहे।
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