MCI के नए आदेश से 2016 से फिलिपींस, यूएस, केरेबियन जैसे देश में पढ़ रहे भारतीय विद्यार्थी परेशान

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Published on : 15 Mar, 18 11:03

जून 2018 के बाद विदेशों से मेडिकल की पढाई हेतु नीट 2018 के कार्यान्वयन के लिए एमसीआई का प्रस्ताव 2016 से पढने गए विद्यार्थियों की परेशानी बन गया है
स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाल ही में एमसीआई द्वारा अग्रेषित किए गए प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जो इस साल से विदेशों में मेडिकल अध्ययन (एमबीबीएस / एमडी) करने वाले विद्यार्थियों के लिए नीट -2018 में अर्हता प्राप्त करना अनिवार्य हैं।
विदेश में मेडिकल की पढाई करने से पहले छात्रों को मेडिकल कौंसिल ऑफ़ इंडिया से एक पात्रता प्रमाण पत्र लेना होता है और यह प्रमाण पत्र छात्रों को मेडिसिन की पढाई के पूर्व मिलता है उल्लेखनीय है की फिलीपींस, यूएस के नियम अलग होने के कारण लगभग 5000 विद्यार्थी संकट में है, क्युकी इन देशो में पहले बीएस कोर्स के पढाई होती है उसके बाद मेडिसिन की, तो ऐसे में MCI द्वारा पात्रता पत्र भी बीएस कोर्स के बाद मिलता है
हालाँकि मंत्रालय ने प्राथमिक चिकित्सा पाठ्यक्रम में शामिल होने वाले छात्रों को नीट 2018 से छूट दी गई है, लेकिन प्राधिकरण की स्पष्टता की कमी के कारण, फिलीपींस, यूएस जैसे देश में मेडिकल कॉलेज में शामिल होने वाले छात्रों में अभी भी संशय की स्थिति यथावत बनी हुयी है क्योकि इन देशों में होने वाला बीएस, एबी कोर्स प्रारंभिक चिकित्सा में आता है या नहीं ये कही स्पष्ट नहीं है, एक और जहाँ अभिभावकों द्वारा कॉलेज, हॉस्टल की फीस जमा करवा दी है वही इस नियम के कारण उनके प्रवेश रद्द होने जैसी स्थिति बनी हुयी है और अगर ऐसा हुआ तो छात्रों को समय के नुकसान के साथ आर्थिक रूप से भी भारी नुकसान होगा और पुनः भारत आना पड़ेगा
हालांकि, यूएस, फिलीपींस जैसे देश में कानून अलग है फिलीपींस में चिकित्सा शिक्षा बीएस कोर्स से शुरू होती है जो एक वर्ष से डेढ़ वर्ष तक का एक पूर्व चिकित्सा पाठ्यक्रम है। बीएस के सफल समापन के बाद, विधार्थियों को फिलीपींस में एक एनमेट तथा यूएस में यूएसएमएलई की परीक्षा देनी होती है उसमे अर्हता प्राप्त करने के बाद वे एमडी (एमबीबीएस के समान) के लिए नामांकित होते है, और उसके बाद MCI द्वारा पात्रता प्रमाण पत्र लिया जाता है ।
लगभग 5000 छात्र हैं जिन्होंने पिछले शैक्षणिक वर्ष एवं 2016 में ही भारत छोड़ दिया था और अपनी पूरी फीस का भुगतान करने के बाद बी.एस. कोर्स में शामिल हो गए हैं उन छात्र की असमंजस की स्थिति बनी हुयी है की नीट 2018 की तैयारी करे या बीएस कोर्से की पढाई करे या फिर एनमेट या यूएसएमएलई की तैयारी करे ?
अगर फिलीपींस, यूएस जैसे देश में पड़ रहे छात्रों के लिए नीट 2018 में अर्हता प्राप्त करने संबंधी नियम लागू हो जाता है तो छात्रों अपने बीएस कोर्स के दौरान ही 6 मई को नीट परीक्षा देने भारत आना होगा एवं पुनः बीएस कोर्स करने फिलीपींस या यूएस जाना होगा एवं वहा जाकर मेडिसिन में प्रवेश हेतु उन्हें एनमेट में अर्हता प्राप्त करनी होगी ऐसे में इन छात्रों को मेडिकल की पढाई हेतु दो प्रवेश परीक्षा की प्रक्रिया से गुजरना होगा
यहाँ अभिभावक और फिलीपींस, यूएस में पढ रहे छात्र नीट -2018 के इन नियमो के चलते मानसिक रूप से परेशान है, वही दूसरी और उचित प्राधिकरण द्वारा या दूतावास के माध्यम से अभी तक कुछ भी नहीं बताया गया है, कई माता-पिता ने चिकित्सा परिषद् में संपर्क किया परन्तु वहाँ से भी कोई स्पष्ट जानकारी प्राप्त नहीं हुयी
नीट 2018 एवं विदेश से मेडिकल शिक्षा प्राप्त करने संबंधी यह नियम उचित विचार के बिना लागू कर दिया गया है, इससे लगभग 5000 भारतीय छात्रों का सामूहिक विनाश होगा जो पहले से ही फिलीपींस, यूएस, केरेबियन जैसे देश से मेडिसिन में नामांकित हैं।
अगर कोई विद्यार्थी शिक्षा लेने हेतु विदेश जाना चाहता है तो उसे भारतीय परीक्षा से अर्हता प्राप्त करके जाना, ऐसा नियम समझ से परे है इस नियम की तर्ज़ पर सभी कोर्स जैसे अभियांत्रिकी, प्रबंध में भी ऐसे नियम लागू कर देने चाहिए, लेकिन ऐसे नियम से बच्चो के भविष्य के साथ खिलवाड़ ही होगा
इस तरह का नियम लागू करना ही है तो कम से कम छात्रों को 2 से 3 वर्ष का समय देना चाहिए जिससे की नियम की स्पष्टता से बाद में किसी छात्र या अभिभावक को परेशानी ना हो और ना ही छात्र के भविष्य का नुकसान और आर्थिक नुकसान हो ।
वर्तमान में जो छात्र प्रवेश ले चुके है, उनका भविष्य अनिश्चितता और पीड़ा के बीच लटका हुआ है। माता-पिता और छात्र नहीं जानते कि क्या करना है यह उन सभी विद्यार्थियों के बारे में है जो अपनी सारी आशाओं और मेडिकल के करियर को खोने की कगार पर है।

विकास छाजेड़
करियर काउंसलर, उदयपुर


साभार :


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